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सरकारी बंगला खाली कराने की केंद्र सरकार की मांग पर शरद यादव को हाईकोर्ट का नोटिस - मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में याचिका दायर करके पूर्व राज्यसभा सांसद शरद यादव से सरकारी बंगला खाली कराने की मांग की है. केंद्र सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने शरद यादव को नोटिस जारी किया है.

Sharad Yadav
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Published : Feb 24, 2022, 3:08 PM IST

नई दिल्ली/पटना: केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर करके पूर्व राज्यसभा सांसद शरद यादव (Former Rajya Sabha MP Sharad Yadav) से सरकारी बंगला खाली कराने की मांग की है. केंद्र सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने शरद यादव को नोटिस जारी किया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने शरद यादव को 13 मार्च तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

केंद्र सरकार ने सिंगल बेंच के उस अंतरिम आदेश को चुनौती दी है. जिसमें शरद यादव को सरकारी आवास में रहने की छूट दी गई है. शरद यादव ने 2017 में याचिका दायर करके अपनी अयोग्यता का हवाला दिया था. ये याचिका अभी लंबित है. शरद यादव ने अपनी याचिका में कहा है कि अयोग्य करार देने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया. शरद यादव की दलील का जदयू नेता रामचंद्र प्रसाद ने विरोध करते हुए कहा था कि शरद यादव ने दल-बदल कानून का उल्लंघन किया है.

शरद यादव और दूसरे राज्यसभा सांसद अली अनवर को 4 दिसंबर 2017 को राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया था. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल से नाता तोड़कर जब बीजेपी के साथ सरकार बनाई थी. तो शरद यादव विपक्षी दलों के साथ चले गए थे. इसके बाद जदयू ने राज्यसभा के सभापति से मांग की थी कि शरद यादव और अली अनवर ने स्वयं ही पार्टी छोड़कर विपक्षी दलों के कार्यक्रम में जाना शुरू कर दिया है, इसलिए उनकी राज्यसभा सदस्यता खत्म की जाए.

नई दिल्ली/पटना: केंद्र सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर करके पूर्व राज्यसभा सांसद शरद यादव (Former Rajya Sabha MP Sharad Yadav) से सरकारी बंगला खाली कराने की मांग की है. केंद्र सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने शरद यादव को नोटिस जारी किया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने शरद यादव को 13 मार्च तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

केंद्र सरकार ने सिंगल बेंच के उस अंतरिम आदेश को चुनौती दी है. जिसमें शरद यादव को सरकारी आवास में रहने की छूट दी गई है. शरद यादव ने 2017 में याचिका दायर करके अपनी अयोग्यता का हवाला दिया था. ये याचिका अभी लंबित है. शरद यादव ने अपनी याचिका में कहा है कि अयोग्य करार देने से पहले उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया. शरद यादव की दलील का जदयू नेता रामचंद्र प्रसाद ने विरोध करते हुए कहा था कि शरद यादव ने दल-बदल कानून का उल्लंघन किया है.

शरद यादव और दूसरे राज्यसभा सांसद अली अनवर को 4 दिसंबर 2017 को राज्यसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया गया था. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनता दल से नाता तोड़कर जब बीजेपी के साथ सरकार बनाई थी. तो शरद यादव विपक्षी दलों के साथ चले गए थे. इसके बाद जदयू ने राज्यसभा के सभापति से मांग की थी कि शरद यादव और अली अनवर ने स्वयं ही पार्टी छोड़कर विपक्षी दलों के कार्यक्रम में जाना शुरू कर दिया है, इसलिए उनकी राज्यसभा सदस्यता खत्म की जाए.

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