पटना: महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सरकार गंभीर है. लेकिन आज भी महिलाओं को कई तरह के शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न से गुजरना पड़ रहा है. संगीता की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. दो छोटे बच्चों के साथ महिला अकेले दानापुर स्टेशन पर पिछले एक महीने से रहने को विवश है.
एक महीने से स्टेशन पर रह रही है संगीता
संगीता अपने पति राज यादव के साथ आरा में रह रही थी. लेकिन एक दिन पति ने उसे, दोनों बच्चों के साथ दानापुर रेलवे स्टेशन पर लाकर छोड़ दिया और वहां से भाग निकला. महिला को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि अब वो क्या करेगी. बच्चों को क्या खिलाएगी, कहां सुलाएगी. दोनों मासूम कोमल और धीरज अपनी मां के साथ इसी स्टेशन पर रातें गुजारने को मजबूर हैं. जिसमें से कोमल पोलियो ग्रस्त है.
महिला पर टूटा दुखों का पहाड़
संगीता के पति ने उससे बेवफाई की और दूसरी शादी कर ली. महिला ने किसी तरह मुसाफिरों से मदद मांगी और अपने ससुराल गई, लेकिन संगीता के ससुराल वालों ने भी अपना पल्ला झाड़ लिया और कहा कि बेटा चला गया तो तुम्हें भी यहां नहीं रहने दिया जाएगा. संगीता लगभग एक महीने से स्टेशन पर भीख मांगकर अपना और अपने दो मासूम बच्चों का भरण पोषण कर रही है.
संगीता को मदद का है इंतजार
संगीता का कहना है कि इस दुनिया में मेरा अब कोई नहीं है. ना मायके में कोई है और ना ही ससुराल में. बेटी को पोलियो की दवा पिलाई गयी थी फिर लकवा मार गया. अब दो मासूमों के साथ पति के वेबफाई के साथ समझौता कर जदोजहद की जिंदगी जीने को मजबूर है. ऐसे में मुसाफिरों की मदद से दो वक्त की रोटी नसीब हो रही है. लेकिन इस महिला और इसके दो मासूमों को सरकार से भी मदद का इंतजार है.