पटनाः भाजपा के वरिष्ठ नेता व सांसद राजीव प्रताप रूडी (Rajiv Pratap Rudy) के एमपी लोकल एरिया फण्ड (MPLAD) से खरीदे गए एम्बुलेंस के दुरुपयोग की जांच सीबीआई (CBI) या एसआईटी (SIT) से करवाने के लिए दायर जनहित याचिका पर पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) में सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस संजय करोल के खंडपीठ ने इस याचिका पर सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को इस मामले में सारण के जिलाधिकारी के समक्ष अभ्यावेदन देने को कहा है.
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इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सारण के जिलाधिकारी को याचिकाकर्ता द्वारा दाखिल किये जाने वाले अभ्यावेदन पर चार सप्ताह में आदेश पारित करने को कहा है. इस मामले में राजीव प्रताप रूडी, सारण के तत्कालीन जिलाधिकारी और सारण के सिविल सर्जन की भूमिका की भी जांच की मांग की गई थी.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि याचिका के माध्यम से 64 एम्बुलेंसों की खरीदारी में बरती गई कथित धांधली की भी जांच का आग्रह किया गया था. इनका उपयोग कोविड- 19 (COVID-19) संक्रमण के दौरान नहीं हो सका और बड़ी संख्या में एम्बुलेंस सारण जिला के अमनोर में एकांत स्थान पर रखा पाया गया था.
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याचिकाकर्ता का कहना था कि क्या एम्बुलेंस की खरीदारी में इस्तेमाल किये गए फंड की वसूली बिहार और उड़ीसा पब्लिक डिमांड रिकवरी एक्ट, 1917 के तहत नहीं की जानी चाहिए? याचिका में यह भी बताया गया था कि राजीव प्रताप रूडी के एमपी फण्ड से खरीदी गई एम्बुलेंस से शराब जब्त होने की बात कही गई है. याचिकाकर्ता का कहना था कि सारण जिले के लोगों धन से खरीदी गई इन एम्बुलेंस का लाभ आम लोगों को नहीं मिला.
बता दें कि छपरा में बीजेपी के पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव प्रताप रूडी के अमनौर स्थित कार्यालय परिसर में दर्जनों एंबुलेंस कोरोना की दूसरी लहर के दौरान खड़ी मिली थीं. इस पूरे मामले को जाप प्रमुख पप्पू यादव मीडिया के सामने लाए थे. पप्पू यादव का आरोप था कि कोरोना के समय में लोगों को एंबुलेंस नसीब नहीं हो रहा है. लेकिन अमनौर स्थित कार्यालय परिसर में कई एंबुलेंस ऐसे ही पड़ी हैं. साथ ही ये भी आरोप लगा था कि इस एंबुलेंस से शराब और बालू ढुलाई का काम होता है. मामला प्रकाश में आने के बाद बीजेपी नेता पर जनहित याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की गई थी.