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Madhubani Painting: पटना हाईकोर्ट में मधुबनी पेंटिंग की उपेक्षा को लेकर सुनवाई, सरकार की रिपोर्ट पर न्यायालय ने जताया असंतोष - पटना हाईकोर्ट में मधुबनी पेंटिंग को लेकर सुनवाई

पटना हाईकोर्ट में मधुबनी पेंटिंग को लेकर गुरुवार को फिर सुनवाई हुई. इस दौरान बिहार सरकार की एक्शन रिपोर्ट से कोर्ट असंतुष्ट नजर आया. वहीं याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकारी उपेक्षा के कारण कलाकारों का शोषण होता है. अब इस मामले में अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी.

पटना हाईकोर्ट में मधुबनी पेंटिंग को लेकर सुनवाई
पटना हाईकोर्ट में मधुबनी पेंटिंग को लेकर सुनवाई
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Published : Mar 23, 2023, 7:37 PM IST

पटना: बिहार की प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित मधुबनी पेंटिंग की सरकारी उपेक्षा और कलाकारों की दयनीय अवस्था को लेकर पटना उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई. आत्मबोध की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए एसीजे जस्टिस सीएस सिंह की खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश एक्शन रिपोर्ट पर असंतोष जताया है. कोर्ट ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अगर इस संबंध में ब्लू प्रिंट एक सप्ताह में नहीं पेश किया गया तो अदालत इस पर गंभीर रुख अपनाएगी.

ये भी पढ़ें: Patna High Court News: मधुबनी पेंटिंग की उपेक्षा पर सुनवाई, सरकार को कार्य योजना पेश करने का निर्देश

पटना हाईकोर्ट में मधुबनी पेंटिंग को लेकर सुनवाई: पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील डॉ. मौर्य विजय चन्द्र ने कोर्ट को बताया था कि मधुबनी पेंटिंग के विकास, विस्तार और कलाकारों के कल्याण के लिए बिहार सरकार ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है. पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने कला-संस्कृति सचिव और उद्योग विभाग के निदेशक को पटना एयरपोर्ट परिसर में बने मधुबनी पेंटिंग का निरीक्षण कर कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने निर्देश दिया था. कोर्ट में जो रिपोर्ट दी गई, उससे स्पष्ट हुआ कि पटना एयरपोर्ट के परिसर में जो मधुबनी पेंटिंग लगी है, वहां न तो कलाकारों को कोई श्रेय दिया गया है और ना ही 'जी आई' टैग लगा है. इससे मधुबनी पेंटिंग और उसके कलाकारों की स्पष्ट तौर पर उपेक्षा होती है.

पेंटिंग बनाने वाले कलाकारों का शोषण: कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा था कि मधुबनी पेंटिंग के विकास और विस्तार के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता के वकील डॉ. मौर्य विजय चन्द्र ने अदालत को बताया कि मधुबनी पेंटिंग सरकारी उपेक्षा का शिकार तो है ही साथ ही पेंटिंग बनाने वाले कलाकारों का शोषण भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है.

एक सप्ताह बाद मामले में सुनवाई: साथ ही अदालत में ये भी बताया गया कि मधुबनी पेंटिंग की ख्याति देश विदेश में है, लेकिन मधुबनी पेंटिंग के कलाकार गरीबी में जीवन बिता रहे है. मधुबनी पेंटिंग के कलाकारों को अपने कानूनी अधिकारों का ज्ञान नहीं है, इसी का लाभ बिचौलिए उठाते हैं. उनकी पेंटिंग को बाहर ले जाकर महंगे दामों में बेचा जाता है, जबकि उन कलाकारों को काफी कम पैसे मिलते हैं. इस दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि उन्हें 2005 में ही जीआई टैग भारत सरकार से लगाने की अनुमति प्राप्त हुई. ये भौगोलिक क्षेत्र के तहत रजिस्टर होता है, लेकिन इसका आजतक पंजीयन नहीं हुआ है. इस संबंध में इन कलाकारों को जानकारी नहीं है. अब इस मामले में अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी.

पटना: बिहार की प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित मधुबनी पेंटिंग की सरकारी उपेक्षा और कलाकारों की दयनीय अवस्था को लेकर पटना उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई. आत्मबोध की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए एसीजे जस्टिस सीएस सिंह की खंडपीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश एक्शन रिपोर्ट पर असंतोष जताया है. कोर्ट ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि अगर इस संबंध में ब्लू प्रिंट एक सप्ताह में नहीं पेश किया गया तो अदालत इस पर गंभीर रुख अपनाएगी.

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पटना हाईकोर्ट में मधुबनी पेंटिंग को लेकर सुनवाई: पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता के वकील डॉ. मौर्य विजय चन्द्र ने कोर्ट को बताया था कि मधुबनी पेंटिंग के विकास, विस्तार और कलाकारों के कल्याण के लिए बिहार सरकार ठोस कार्रवाई नहीं कर रही है. पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने कला-संस्कृति सचिव और उद्योग विभाग के निदेशक को पटना एयरपोर्ट परिसर में बने मधुबनी पेंटिंग का निरीक्षण कर कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने निर्देश दिया था. कोर्ट में जो रिपोर्ट दी गई, उससे स्पष्ट हुआ कि पटना एयरपोर्ट के परिसर में जो मधुबनी पेंटिंग लगी है, वहां न तो कलाकारों को कोई श्रेय दिया गया है और ना ही 'जी आई' टैग लगा है. इससे मधुबनी पेंटिंग और उसके कलाकारों की स्पष्ट तौर पर उपेक्षा होती है.

पेंटिंग बनाने वाले कलाकारों का शोषण: कोर्ट ने राज्य सरकार को कहा था कि मधुबनी पेंटिंग के विकास और विस्तार के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किया जाना चाहिए. याचिकाकर्ता के वकील डॉ. मौर्य विजय चन्द्र ने अदालत को बताया कि मधुबनी पेंटिंग सरकारी उपेक्षा का शिकार तो है ही साथ ही पेंटिंग बनाने वाले कलाकारों का शोषण भी बड़े पैमाने पर किया जा रहा है.

एक सप्ताह बाद मामले में सुनवाई: साथ ही अदालत में ये भी बताया गया कि मधुबनी पेंटिंग की ख्याति देश विदेश में है, लेकिन मधुबनी पेंटिंग के कलाकार गरीबी में जीवन बिता रहे है. मधुबनी पेंटिंग के कलाकारों को अपने कानूनी अधिकारों का ज्ञान नहीं है, इसी का लाभ बिचौलिए उठाते हैं. उनकी पेंटिंग को बाहर ले जाकर महंगे दामों में बेचा जाता है, जबकि उन कलाकारों को काफी कम पैसे मिलते हैं. इस दौरान याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि उन्हें 2005 में ही जीआई टैग भारत सरकार से लगाने की अनुमति प्राप्त हुई. ये भौगोलिक क्षेत्र के तहत रजिस्टर होता है, लेकिन इसका आजतक पंजीयन नहीं हुआ है. इस संबंध में इन कलाकारों को जानकारी नहीं है. अब इस मामले में अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी.

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