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Patna High Court : सूबे में थानों की दयनीय अवस्था पर हाईकोर्ट में हुई सुनवाई, 471 पुलिस स्टेशन को अपना भवन नहीं

सूबे में थानों में बुनियादी सुविधाओं की कमी और दयनीय अवस्था को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई (Hearing on lack of facilities in police stations) हुई. राज्य में 1263 थाना है,जिनमें 471 पुलिस स्टेशन के अपने भवन नहीं है. इस मामले में एडीजी कमल किशोर सिंह को सरकार की ओर से कोर्डिनेटर के रूप में काम करने की जिम्मेदारी दी गई है. पढ़ें पूरी खबर..

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Published : Feb 9, 2023, 11:06 PM IST

पटनाः बिहार की राजधानी पटना में हाइकोर्ट ने राज्य में पुलिस स्टेशनो की दयनीय अवस्था और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के मामलें पर सुनवाई (Hearing in High Court ) की. एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामलें बिहार राज्य के एडीजी कमल किशोर सिंह कार्डिनेटर के रूप में कार्य करेंगे. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को कॉर्डिनेटर के रूप में कार्य करने के लिए वरीय पुलिस अधिकारी का नाम का सुझाव देने को कहा था. इस मामलें पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी

ये भी पढ़ेंः हाईकोर्ट का सरकार को निर्देश, जल्द शुरू करें पटना रिंग रोड का काम

471 पुलिस स्टेशन को भवन नहीं: राज्य में 1263 थाना है,जिनमें 471 पुलिस स्टेशन के अपने भवन नहीं है. इन्हें किराये के भवन में काम करना पड़ता है. कोर्ट ने बिहार स्टेट पुलिस बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कार्पोरेशन को पार्टी बनाने का निर्देश दिया. जब तक दूसरे भवन में पुलिस स्टेशन के लिए सरकारी भवन नहीं बन जाते, तब तक पुलिस अधिकारी कॉर्डिनेटर के रूप में कॉर्डिनेट करेंगे. इससे पहले भी पुलिस स्टेशन की दयनीय स्थिति और बुनियादी सुविधाओं का मामला कोर्ट में उठाया गया था. राज्य सरकार ने इन्हें सुधार लाने का वादा किया था,लेकिन ठोस परिणाम नहीं दिखा.

सरकारी भवनों में चल रही थानों की दशा भी खराबः इसी तरह का एक मामले पर जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने सुनवाई करते हुए पुलिस स्टेशनों की दयनीय अवस्था को गम्भीरता से लिया. उन्होंने इस मामलें को जनहित याचिका मानते हुए आगे की सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच में भेज दिया. कोर्ट में सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अधिवक्ता सोनी श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि जो थाने सरकारी भवन में चल रहे हैं, उनकी भी हालत अच्छी नहीं है. उनमें भी बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी है.

बिजली, पानी, शौचालयों की कमीः उन्होंने बताया कि पुलिस स्टेशन में बिजली,पेय जल,शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं है. लगभग आठ सौ थाने ऐसे है, सरकारी भवन में चल रहे है, लेकिन उनकी भी दयनीय अवस्था है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि जो थाना सरकारी भवन में है, उनमें भी निर्माण और मरम्मती की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि कई पुलिस स्टेशन के भवन की स्थिति खराब है. पुलिसकर्मियों को काफी कठिन परिस्थितियों में और कई सुविधाओं के अभाव में कार्य करना पड़ता है.

पटनाः बिहार की राजधानी पटना में हाइकोर्ट ने राज्य में पुलिस स्टेशनो की दयनीय अवस्था और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के मामलें पर सुनवाई (Hearing in High Court ) की. एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ को राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि इस मामलें बिहार राज्य के एडीजी कमल किशोर सिंह कार्डिनेटर के रूप में कार्य करेंगे. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार को कॉर्डिनेटर के रूप में कार्य करने के लिए वरीय पुलिस अधिकारी का नाम का सुझाव देने को कहा था. इस मामलें पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी

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471 पुलिस स्टेशन को भवन नहीं: राज्य में 1263 थाना है,जिनमें 471 पुलिस स्टेशन के अपने भवन नहीं है. इन्हें किराये के भवन में काम करना पड़ता है. कोर्ट ने बिहार स्टेट पुलिस बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कार्पोरेशन को पार्टी बनाने का निर्देश दिया. जब तक दूसरे भवन में पुलिस स्टेशन के लिए सरकारी भवन नहीं बन जाते, तब तक पुलिस अधिकारी कॉर्डिनेटर के रूप में कॉर्डिनेट करेंगे. इससे पहले भी पुलिस स्टेशन की दयनीय स्थिति और बुनियादी सुविधाओं का मामला कोर्ट में उठाया गया था. राज्य सरकार ने इन्हें सुधार लाने का वादा किया था,लेकिन ठोस परिणाम नहीं दिखा.

सरकारी भवनों में चल रही थानों की दशा भी खराबः इसी तरह का एक मामले पर जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने सुनवाई करते हुए पुलिस स्टेशनों की दयनीय अवस्था को गम्भीरता से लिया. उन्होंने इस मामलें को जनहित याचिका मानते हुए आगे की सुनवाई के लिए डिवीजन बेंच में भेज दिया. कोर्ट में सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी अधिवक्ता सोनी श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि जो थाने सरकारी भवन में चल रहे हैं, उनकी भी हालत अच्छी नहीं है. उनमें भी बुनियादी सुविधाओं की काफी कमी है.

बिजली, पानी, शौचालयों की कमीः उन्होंने बताया कि पुलिस स्टेशन में बिजली,पेय जल,शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएँ भी उपलब्ध नहीं है. लगभग आठ सौ थाने ऐसे है, सरकारी भवन में चल रहे है, लेकिन उनकी भी दयनीय अवस्था है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि जो थाना सरकारी भवन में है, उनमें भी निर्माण और मरम्मती की आवश्यकता है. उन्होंने बताया कि कई पुलिस स्टेशन के भवन की स्थिति खराब है. पुलिसकर्मियों को काफी कठिन परिस्थितियों में और कई सुविधाओं के अभाव में कार्य करना पड़ता है.

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