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पटना हाईकोर्ट में कैदियों को हथकड़ी लगाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई

Patna High Court में कैदियों को हथकड़ी लगाने के मामले पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई. याचिका के अनुसार कैदियों को कोर्ट में ट्रायल के दौरान लाने और ले जाने के दौरान हथकड़ी लगायी जाती है. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इसके खिलाफ फैसला दिया है. ऐसे में कोर्ट ने आईजी जेल को एक सप्ताह के अंदर शपथ पत्र दायर करने का आदेश दिया है. पढ़ें पूरी खबर....

पटना हाईकोर्ट में सुनवाई
पटना हाईकोर्ट में सुनवाई
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Published : Aug 12, 2022, 8:47 PM IST

पटना: पटना हाई कोर्ट (Hearing In Patna High Court) ने सजायाफ्ता और विचाराधीन कैदियों को हथकड़ी लगाए जाने के मामले में राज्य सरकार के इंस्पेक्टर जनरल (जेल) को एक सप्ताह में शपथ-पत्र दायर करने का आदेश दिया है. चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की खंडपीठ ने विधि के छात्र कुमार अभिषेक द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश को पारित किया है.

यह भी पढ़ें: फल्गु नदी में लगा कूड़े का अंबार, हाईकोर्ट ने दिया जल्द वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने का निर्देश

मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला: याचिकाकर्ता का कहना था की सिटीजन्स फोर डेमोक्रेसी बनाम स्टेट ऑफ असम व अन्य के मामले में, वर्ष 1995 में ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कैदियों को एक जेल से दूसरे जेल में लाने और वापस ले जाने तथा जेल से कोर्ट लाने व ले जाने के दौरान हथकड़ी और अन्य बेड़ियों का बलपूर्वक प्रयोग नहीं किया जाए. फैसले के मुताबिक पुलिस और जेल के अधिकारियों को स्वयं कैदियों को हथकड़ी और बेड़ी लगाने के लिए आदेश देने का अधिकार नहीं होगा.

यह भी पढ़ें: गर्भाशय घोटाले मामले में Patna HC ने की सुनवाई, महाधिवक्ता ने कोर्ट से मांगा समय

बिहार में कैदियों को हथकड़ी: याचिकाकर्ता का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गए फैसले के बावजूद बिहार की पुलिस कैदियों को हथकड़ी लगाने का काम कर रही है. इन अधिकारियों द्वारा की जा रही इस कार्रवाई को अमानवीय कार्य कहा जा सकता है. याचिका में यह भी कहा गया है कि यदि इसे जारी रखने की अनुमति दी जाती है तो यह न्याय की एक बड़ी विफलता होगी.

पटना: पटना हाई कोर्ट (Hearing In Patna High Court) ने सजायाफ्ता और विचाराधीन कैदियों को हथकड़ी लगाए जाने के मामले में राज्य सरकार के इंस्पेक्टर जनरल (जेल) को एक सप्ताह में शपथ-पत्र दायर करने का आदेश दिया है. चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की खंडपीठ ने विधि के छात्र कुमार अभिषेक द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये आदेश को पारित किया है.

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मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला: याचिकाकर्ता का कहना था की सिटीजन्स फोर डेमोक्रेसी बनाम स्टेट ऑफ असम व अन्य के मामले में, वर्ष 1995 में ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कैदियों को एक जेल से दूसरे जेल में लाने और वापस ले जाने तथा जेल से कोर्ट लाने व ले जाने के दौरान हथकड़ी और अन्य बेड़ियों का बलपूर्वक प्रयोग नहीं किया जाए. फैसले के मुताबिक पुलिस और जेल के अधिकारियों को स्वयं कैदियों को हथकड़ी और बेड़ी लगाने के लिए आदेश देने का अधिकार नहीं होगा.

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बिहार में कैदियों को हथकड़ी: याचिकाकर्ता का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गए फैसले के बावजूद बिहार की पुलिस कैदियों को हथकड़ी लगाने का काम कर रही है. इन अधिकारियों द्वारा की जा रही इस कार्रवाई को अमानवीय कार्य कहा जा सकता है. याचिका में यह भी कहा गया है कि यदि इसे जारी रखने की अनुमति दी जाती है तो यह न्याय की एक बड़ी विफलता होगी.

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