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Patna High Court: सहरसा में स्थापित किये जाने वाले AIIMS को दरभंगा स्थानांतरित करने के मामले पर सुनवाई, कोर्ट ने मांगा जवाब

सहरसा में बनने वाले एम्स को दरभंगा स्थानांतरित किए जाने के मामले पर पटना हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. इस मामले पर चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने सुनवाई की और केंद्र और राज्य सरकार से इस मामल पर जवाब मांगा है.

पटना हाईकोर्ट
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Published : Apr 3, 2023, 5:34 PM IST

पटना: पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) ने बिहार के सहरसा में स्थापित किये जाने वाले एम्स अस्पताल को दरभंगा स्थानांतरित किये जाने के मामले पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मुख्य न्यायाधीश केवी चंद्रन की खंडपीठ ने कोसी विकास संघर्ष मोर्चा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकार को जवाब देने के लिए 17 अप्रैल, 2023 तक की मोहलत दी है.

ये भी पढ़ें- बिहार में जजों की कमी के चलते न्याय मिलने में देरी, 25 लाख से ज्यादा केस पेंडिंग

सहरसा में एम्स बनाने के मामले पर सुनवाई: याचिकाकर्ता की ओर से वकील राजेश कुमार सिंह ने न्यायालय को बताया था कि विभिन्न प्रदेशों में एम्स के स्तर के अस्पताल स्थापित करने की योजना तैयार की गई. बिहार के सहरसा में भी एम्स के तर्ज पर हॉस्पीटल बनाए जाने का प्रस्ताव था. न्यायालय को बताया गया था कि इस अस्पताल के निर्माण के लिए सहरसा में पर्याप्त भूमि उपलब्ध है. 2017 में सहरसा के जिला अधिकारी ने अस्पताल के लिए आवश्यक 217.74 एकड़ भूमि की उपलब्धता की जानकारी विभाग को दी थी.

सहरसा में उपलब्ध है पर्याप्त भूमि: कोर्ट को ये बताया था कि इस क्षेत्र में एम्स स्तर का अस्पताल नहीं है. गंभीर बीमारियों के ईलाज के लिए इस इलाके के लोगों को या तो पटना जाना पड़ता है या सिलिगुड़ी जाना पड़ता है. इसमें लोगों को आने-जाने में कठिनाई होती है, इसके साथ ही लोगों पर आर्थिक बोझ भी पड़ता है. याचिकाकर्ता के वकील ने न्यायालय को बताया कि सहरसा में एम्स अस्पताल के निर्माण के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध है, जबकि दरभंगा में एम्स अस्पताल के लिए पर्याप्त भूमि की उपलब्ध नहीं है.

कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब: कोर्ट को एम्स अस्पताल के निर्माण के मानकों पर सहरसा ज्यादा खरा था, लेकिन राज्य सरकार ने 2020 में दरभंगा में एम्स अस्पताल को स्थापित किये जाने की अनुशंसा कर दी थी. इससे इस क्षेत्र लोगों के साथ अन्याय किया गया. कोर्ट को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि सहरसा, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया जिले इस क्षेत्र में आते हैं.

17 अप्रैल के बाद होगी अगली सुनवाई: कोर्ट को बताया गया कि इस क्षेत्र की जनसंख्या के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एम्स अस्पताल स्थापित की जानी चाहिए. न्यायालय को बताया गया कि इस क्षेत्र के बहुत सारे लोग कैंसर और कई अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं. लोगों को बेहतर ईलाज के लिए इस क्षेत्र में एम्स स्तर के अस्पताल की जरूरत है. अब इस मामले पर 17 अप्रैल, 2023 के बाद अगली सुनवाई की जाएगी.

पटना: पटना उच्च न्यायालय (Patna High Court) ने बिहार के सहरसा में स्थापित किये जाने वाले एम्स अस्पताल को दरभंगा स्थानांतरित किये जाने के मामले पर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की. मुख्य न्यायाधीश केवी चंद्रन की खंडपीठ ने कोसी विकास संघर्ष मोर्चा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र और राज्य सरकार को जवाब देने के लिए 17 अप्रैल, 2023 तक की मोहलत दी है.

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सहरसा में एम्स बनाने के मामले पर सुनवाई: याचिकाकर्ता की ओर से वकील राजेश कुमार सिंह ने न्यायालय को बताया था कि विभिन्न प्रदेशों में एम्स के स्तर के अस्पताल स्थापित करने की योजना तैयार की गई. बिहार के सहरसा में भी एम्स के तर्ज पर हॉस्पीटल बनाए जाने का प्रस्ताव था. न्यायालय को बताया गया था कि इस अस्पताल के निर्माण के लिए सहरसा में पर्याप्त भूमि उपलब्ध है. 2017 में सहरसा के जिला अधिकारी ने अस्पताल के लिए आवश्यक 217.74 एकड़ भूमि की उपलब्धता की जानकारी विभाग को दी थी.

सहरसा में उपलब्ध है पर्याप्त भूमि: कोर्ट को ये बताया था कि इस क्षेत्र में एम्स स्तर का अस्पताल नहीं है. गंभीर बीमारियों के ईलाज के लिए इस इलाके के लोगों को या तो पटना जाना पड़ता है या सिलिगुड़ी जाना पड़ता है. इसमें लोगों को आने-जाने में कठिनाई होती है, इसके साथ ही लोगों पर आर्थिक बोझ भी पड़ता है. याचिकाकर्ता के वकील ने न्यायालय को बताया कि सहरसा में एम्स अस्पताल के निर्माण के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध है, जबकि दरभंगा में एम्स अस्पताल के लिए पर्याप्त भूमि की उपलब्ध नहीं है.

कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब: कोर्ट को एम्स अस्पताल के निर्माण के मानकों पर सहरसा ज्यादा खरा था, लेकिन राज्य सरकार ने 2020 में दरभंगा में एम्स अस्पताल को स्थापित किये जाने की अनुशंसा कर दी थी. इससे इस क्षेत्र लोगों के साथ अन्याय किया गया. कोर्ट को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि सहरसा, पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया जिले इस क्षेत्र में आते हैं.

17 अप्रैल के बाद होगी अगली सुनवाई: कोर्ट को बताया गया कि इस क्षेत्र की जनसंख्या के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एम्स अस्पताल स्थापित की जानी चाहिए. न्यायालय को बताया गया कि इस क्षेत्र के बहुत सारे लोग कैंसर और कई अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं. लोगों को बेहतर ईलाज के लिए इस क्षेत्र में एम्स स्तर के अस्पताल की जरूरत है. अब इस मामले पर 17 अप्रैल, 2023 के बाद अगली सुनवाई की जाएगी.

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