पटना: पटना हाईकोर्ट ने सूबे में बड़ी संख्या में फर्जी डिग्रियों के (Hearing on teachers appointed on fake degree) आधार पर नियुक्त शिक्षकों की बहाली मामले पर सुनवाई की. रंजीत पंडित की जनहित याचिका पर एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने यह सुनवाई की. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह एक समय सीमा निर्धारित करें. जिसके तहत सभी सम्बंधित शिक्षक अपना डिग्री और अन्य कागजात प्रस्तुत करें. हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि निर्धारित समय के अंदर कागजात और रिकॉर्ड प्रस्तुत नहीं करने वाले टीचरों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. इस मामले पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद की जाएगी.
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खुद इस्तीफा देने वाले पर नहीं होगी कार्रवाई: पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से अब तक की कार्रवाई रिपोर्ट को तलब किया था. इससे पूर्व कोर्ट ने 2014 के आदेश में कहा था कि जो लोग इस तरह की जाली डिग्री के आधार पर राज्य में शिक्षक हैं, उन्हें ये अवसर दिया जाता है कि वे खुद अपना त्यागपत्र दे दें, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.
निगरानी विभाग को जांच के लिए सौंपा है: 26 अगस्त 2019 को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया था कि इस आदेश के बाद भी बड़ी संख्या में इस तरह के शिक्षक काम कर रहे हैं और वेतन ले रहे हैं. कोर्ट ने मामले को निगरानी विभाग को जांच के लिए सौंपा था. 31 जनवरी 2020 की सुनवाई के दौरान निगरानी विभाग ने कोर्ट को जानकारी दी थी कि राज्य सरकार द्वारा इनके सम्बंधित रिकॉर्ड की जांच चल रही है.
अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी: कोर्ट ने इस मामले को काफी गम्भीरता से लिया था. पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को अगली सुनवाई में अब तक की गई कार्रवाई का ब्यौरा पेश करने का निर्देश भी दिया था. इस मामले पर अगली सुनवाई 1 सप्ताह बाद होगी.