ETV Bharat / state

Patna High Court: सरकारी गार्ड के एवज में 18 लाख की राशि वसूलने पर कोर्ट ने लगाई रोक, सरकार से जवाब तलब

author img

By

Published : May 11, 2023, 10:49 PM IST

पटना हाईकोर्ट ने पूर्व कैबिनेट मंत्री शंकर प्रसाद टेकरिवाल के निधन के बाद सरकारी गार्ड और अंगरक्षक के एवज में 18 लाख रुपये से अधिक की राशि नीलाम पत्र के जरिये वसूलने की कार्रवाई पर रोक लगा दी. जस्टिस रंजन ने हैरानी जताते हुए पूरी नीलाम वाद पर रोक लगाने का आदेश दिया. राज्य सरकार से जवाब तलब किया है.

पटना हाईकोर्ट
पटना हाईकोर्ट

पटना: पटना हाईकोर्ट ने पूर्व कैबिनेट मंत्री शंकर प्रसाद टेकरिवाल के निधन के बाद सरकारी गार्ड और अंगरक्षक के एवज में 18 लाख रुपये से अधिक की राशि नीलाम पत्र के जरिये वसूलने की कार्रवाई पर रोक लगा दी. जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने प्रभाकर टेकरीवाल की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया.

ये भी पढ़ें: Bihar Caste Census: बिहार में जातीय जनगणना पर लगी रोक, पटना हाईकोर्ट का आदेश


सरकारी अफसरशाही के मनमानापन : याचिकाकर्ता के तरफ से वरीय अधिवक्ता रामाकांत शर्मा ने कोर्ट को बताया की यह मामला सरकारी अफसरशाही के मनमानापन दर्शाता है. एक दिवंगत कैबिनेट मिनिस्टर जिन्हें सरकार की तरफ से अंगरक्षक और हाउस गार्ड मिला. उसके बदले सरकारी राशि वसूलने की कार्रवाई एक मजाक नहीं बल्कि सरकारी अफसरों द्वारा निर्दोष नागरिकों से जबरन पैसे वसूलने अथवा उनकी संपत्ति को लूटने की कार्रवाई है.

जस्टिस रंजन ने हैरानी जताते हुए आदेश पर लगाई रोक: उनका निधन 2012 में हुआ और उसके 10 साल बाद सहरसा के तत्कालीन एसपी ने मनमाने तरीके से स्व. टेकरीवाल को 1998 से 2005 तक दिए गए. एक अंगरक्षक मुहैय्या कराने के लिए लगभग 18 लाख रुपये की राशि बकाया बताते हुए स्व शंकर प्रसाद टेकरीवाल के बेटे प्रभाकर टेकरीवाल से वसूलने की कार्रवाई नीलाम वाद के जरिये शुरू किया. मामले पर आगे सुनवाई होगी.
हाउस गार्ड और दो अंग रक्षकों को सरकार को लौटा दिया: शर्मा ने कोर्ट को बताया कि शंकर प्रसाद टेकारिवाल 1990 से लेकर फरवरी 2005 तक सहरसा से लगातार विधायक रहे. 12 वर्षों तक वित्त, खनन और अन्य विभाग के मंत्री रहे उनके मंत्रीमंडल में रहने के समय राज्य सरकार ने उन्हें तीन अंगरक्षक और हाउस गार्ड दिया था.

दो अंग रक्षकों लौटा दिया था: 2002 में राबड़ी सरकार से उन्होंने इस्तीफा देने के बाद जब वह सहरसा अपने गृह क्षेत्र गए. उन्होंने अपने हाउस गार्ड और दो अंग रक्षकों को सरकार को लौटा दिया और विधायकों को मिलने वाले एक बॉडीगार्ड को भी उन्होंने फरवरी 2005 में विधायकी कार्य काल पूरा होने पर वापस भेज दिया था.

पटना: पटना हाईकोर्ट ने पूर्व कैबिनेट मंत्री शंकर प्रसाद टेकरिवाल के निधन के बाद सरकारी गार्ड और अंगरक्षक के एवज में 18 लाख रुपये से अधिक की राशि नीलाम पत्र के जरिये वसूलने की कार्रवाई पर रोक लगा दी. जस्टिस राजीव रंजन प्रसाद ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने प्रभाकर टेकरीवाल की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया.

ये भी पढ़ें: Bihar Caste Census: बिहार में जातीय जनगणना पर लगी रोक, पटना हाईकोर्ट का आदेश


सरकारी अफसरशाही के मनमानापन : याचिकाकर्ता के तरफ से वरीय अधिवक्ता रामाकांत शर्मा ने कोर्ट को बताया की यह मामला सरकारी अफसरशाही के मनमानापन दर्शाता है. एक दिवंगत कैबिनेट मिनिस्टर जिन्हें सरकार की तरफ से अंगरक्षक और हाउस गार्ड मिला. उसके बदले सरकारी राशि वसूलने की कार्रवाई एक मजाक नहीं बल्कि सरकारी अफसरों द्वारा निर्दोष नागरिकों से जबरन पैसे वसूलने अथवा उनकी संपत्ति को लूटने की कार्रवाई है.

जस्टिस रंजन ने हैरानी जताते हुए आदेश पर लगाई रोक: उनका निधन 2012 में हुआ और उसके 10 साल बाद सहरसा के तत्कालीन एसपी ने मनमाने तरीके से स्व. टेकरीवाल को 1998 से 2005 तक दिए गए. एक अंगरक्षक मुहैय्या कराने के लिए लगभग 18 लाख रुपये की राशि बकाया बताते हुए स्व शंकर प्रसाद टेकरीवाल के बेटे प्रभाकर टेकरीवाल से वसूलने की कार्रवाई नीलाम वाद के जरिये शुरू किया. मामले पर आगे सुनवाई होगी.
हाउस गार्ड और दो अंग रक्षकों को सरकार को लौटा दिया: शर्मा ने कोर्ट को बताया कि शंकर प्रसाद टेकारिवाल 1990 से लेकर फरवरी 2005 तक सहरसा से लगातार विधायक रहे. 12 वर्षों तक वित्त, खनन और अन्य विभाग के मंत्री रहे उनके मंत्रीमंडल में रहने के समय राज्य सरकार ने उन्हें तीन अंगरक्षक और हाउस गार्ड दिया था.

दो अंग रक्षकों लौटा दिया था: 2002 में राबड़ी सरकार से उन्होंने इस्तीफा देने के बाद जब वह सहरसा अपने गृह क्षेत्र गए. उन्होंने अपने हाउस गार्ड और दो अंग रक्षकों को सरकार को लौटा दिया और विधायकों को मिलने वाले एक बॉडीगार्ड को भी उन्होंने फरवरी 2005 में विधायकी कार्य काल पूरा होने पर वापस भेज दिया था.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.