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NMCH में तड़प-तड़पकर दम तोड़ती जिंदगी, सिसकती आहों की गूंज AC वाले क्यों नहीं सुनते?

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Published : Apr 24, 2021, 8:57 PM IST

Updated : Apr 24, 2021, 10:31 PM IST

तेजी से बढ़ते कोरोना संक्रमण के साथ ही बिहार में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाल स्थिति एक बार फिर जगजाहिर हो गई है. अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन सिलेंडर तथा रेमडेसिविर जैसी जरूरी दवा को लेकर हाहाकार मचा है. देखें ये रिपोर्ट.

पटना
पटना

पटना: बिहार में कोरोना का संक्रमण इस कदर अपने पैर पसार रहा है कि लगातार लोग इसकी जद में आते ही जा रहे हैं. कोरोना ने एनएमसीएच अस्पताल में अव्यवस्थाओं की पोल खोल कर रख दी है. एनएमसीएच में जर्जर हो चुकी स्वास्थ्य सुविधाओं के चलते परिजन अपनी आंखों के सामने अपनों को दम तोड़ते हुए देखने को मजबूर हैं. वहीं, कई परिजन ऐसे हैं जो अपनों को बचाने के लिए अब भी एनएमसीएच में डॉक्टरों का रास्ता देख रहे हैं.

ये भी पढ़ें- BIHAR CORONA UPDATE: हर घंटे 3 से अधिक मौत, 12,359 पॉजिटिव केस

"हालात ऐसे हैं कि आप अस्पताल वालों के पैर भी पकड़ लीजिए लेकिन फिर भी वे आपकी नहीं सुनेंगे. ये अस्पताल केवल नाम का है."- मृतक के परिजन

ये शब्द उस महिला के हैं जिन्होंने अपने पति को कोरोना वायरस के चलते खो दिया है. एनएमसीएच में इलाज के अभाव में अपने पति को खो चुकी महिला का कहना है कि उनकी आंखों के सामने उनके पति दर्द से छटपटा रहे थे, लेकिन उनके पति को देखने कोई डॉक्टर नहीं आया.

अपनो को खोने का दर्द
अपनो को खोने का दर्द

''6 तारीख को मैंने मेरे पापा को एडमिट कराया था, मेरे पापा निगेटिव हैं. अब यहां बोला जा रहा है कि ये पॉजिटिव हैं, यहां से इन्हें लेकर जाओ. अब हम उन्हें लेकर कहां जाएंगे. हमने सभी अस्पतालों में पता किया लेकिन कहीं कोई जगह नहीं है''- मरीज के परिजन

इलाज के लिए लगा रहे गुहार
पांच सौ बेड वाले कोविड अस्पताल में नो बेड, नो एडमिशन की सूचना अस्पताल प्रशासन द्वारा लगा दी गई है. लेकिन जो कोरोना संक्रमित मरीज अस्पताल में भर्ती है, उन्हें देखने वाला कोई नहीं है, मरीज के परिजन कह रहे है यहां देखने वाला कोई नहीं है.

स्वास्थ्य मंत्री के सारे दावे फेल
स्वास्थ्य मंत्री के सारे दावे फेल

''सात दिन से अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं आया है. हालात ये हैं कि कल रात अस्पताल में हमारे मरीज को इंजेक्शन देने ट्रॉली बाय आया था. अस्पताल में जो ट्रॉली उठाता है वो इंजेक्शन दे रहा है''- मरीज के परिजन

स्वास्थ्य मंत्री के सारे दावे फेल
हालांकि यहां हम आपको बता दें कि स्वास्थ्य मंत्री ने पिछले दिनों सुरक्षा कवच के साथ हॉस्पिटल का जायजा लिया और स्थिति नियंत्रण में होने का दावा किया था. वैसे में इस तरह की तस्वीर का फिर से सामने आना एनएमसीएच में फैले कुव्यवस्था और लाचार सिस्टम के पोल खोलने को काफी है.

दम तोड़ती जिंदगी
दम तोड़ती जिंदगी

राज्य में केवल 1700 आईसीयू बेड
अगर पूरे बिहार के हेल्थ केयर की बात करें तो राज्य में केवल 1700 आईसीयू बेड हैं. इनमें से 1000 बेड निजी अस्पतालों में हैं जबकि 700 बेड सरकारी अस्पताल में हैं. वेंटिलेटर की संख्या तो और भी कम है. केवल 800 वेंटिलेटर हैं जिनमें से 300 सरकारी अस्पतालों में हैं और 500 वेंटिलेटर निजी अस्पतालों में मौजूद हैं. (1 अप्रैल तक के आंकड़ें)

ये भी पढ़ें- बिहार में कोरोना बेकाबू: 24 घंटे में 77 मरीजों की मौत, 12,359 पॉजिटिव केस

एनएमसीएच के बद से बदतर हालात
आखिरी में आपको बता दें कि बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार ने जो उठाए ये एनएमसीएच जैसे अस्पताल में मछली तैरने, डीएमसीएच में सुअर घूमने, सुपौल के अस्पताल में ठेले पर सवार होकर अस्पताल जाते डॉक्टर की तस्वीरों में देख हम सब देख चुके हैं.

पटना: बिहार में कोरोना का संक्रमण इस कदर अपने पैर पसार रहा है कि लगातार लोग इसकी जद में आते ही जा रहे हैं. कोरोना ने एनएमसीएच अस्पताल में अव्यवस्थाओं की पोल खोल कर रख दी है. एनएमसीएच में जर्जर हो चुकी स्वास्थ्य सुविधाओं के चलते परिजन अपनी आंखों के सामने अपनों को दम तोड़ते हुए देखने को मजबूर हैं. वहीं, कई परिजन ऐसे हैं जो अपनों को बचाने के लिए अब भी एनएमसीएच में डॉक्टरों का रास्ता देख रहे हैं.

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"हालात ऐसे हैं कि आप अस्पताल वालों के पैर भी पकड़ लीजिए लेकिन फिर भी वे आपकी नहीं सुनेंगे. ये अस्पताल केवल नाम का है."- मृतक के परिजन

ये शब्द उस महिला के हैं जिन्होंने अपने पति को कोरोना वायरस के चलते खो दिया है. एनएमसीएच में इलाज के अभाव में अपने पति को खो चुकी महिला का कहना है कि उनकी आंखों के सामने उनके पति दर्द से छटपटा रहे थे, लेकिन उनके पति को देखने कोई डॉक्टर नहीं आया.

अपनो को खोने का दर्द
अपनो को खोने का दर्द

''6 तारीख को मैंने मेरे पापा को एडमिट कराया था, मेरे पापा निगेटिव हैं. अब यहां बोला जा रहा है कि ये पॉजिटिव हैं, यहां से इन्हें लेकर जाओ. अब हम उन्हें लेकर कहां जाएंगे. हमने सभी अस्पतालों में पता किया लेकिन कहीं कोई जगह नहीं है''- मरीज के परिजन

इलाज के लिए लगा रहे गुहार
पांच सौ बेड वाले कोविड अस्पताल में नो बेड, नो एडमिशन की सूचना अस्पताल प्रशासन द्वारा लगा दी गई है. लेकिन जो कोरोना संक्रमित मरीज अस्पताल में भर्ती है, उन्हें देखने वाला कोई नहीं है, मरीज के परिजन कह रहे है यहां देखने वाला कोई नहीं है.

स्वास्थ्य मंत्री के सारे दावे फेल
स्वास्थ्य मंत्री के सारे दावे फेल

''सात दिन से अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं आया है. हालात ये हैं कि कल रात अस्पताल में हमारे मरीज को इंजेक्शन देने ट्रॉली बाय आया था. अस्पताल में जो ट्रॉली उठाता है वो इंजेक्शन दे रहा है''- मरीज के परिजन

स्वास्थ्य मंत्री के सारे दावे फेल
हालांकि यहां हम आपको बता दें कि स्वास्थ्य मंत्री ने पिछले दिनों सुरक्षा कवच के साथ हॉस्पिटल का जायजा लिया और स्थिति नियंत्रण में होने का दावा किया था. वैसे में इस तरह की तस्वीर का फिर से सामने आना एनएमसीएच में फैले कुव्यवस्था और लाचार सिस्टम के पोल खोलने को काफी है.

दम तोड़ती जिंदगी
दम तोड़ती जिंदगी

राज्य में केवल 1700 आईसीयू बेड
अगर पूरे बिहार के हेल्थ केयर की बात करें तो राज्य में केवल 1700 आईसीयू बेड हैं. इनमें से 1000 बेड निजी अस्पतालों में हैं जबकि 700 बेड सरकारी अस्पताल में हैं. वेंटिलेटर की संख्या तो और भी कम है. केवल 800 वेंटिलेटर हैं जिनमें से 300 सरकारी अस्पतालों में हैं और 500 वेंटिलेटर निजी अस्पतालों में मौजूद हैं. (1 अप्रैल तक के आंकड़ें)

ये भी पढ़ें- बिहार में कोरोना बेकाबू: 24 घंटे में 77 मरीजों की मौत, 12,359 पॉजिटिव केस

एनएमसीएच के बद से बदतर हालात
आखिरी में आपको बता दें कि बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने के लिए सरकार ने जो उठाए ये एनएमसीएच जैसे अस्पताल में मछली तैरने, डीएमसीएच में सुअर घूमने, सुपौल के अस्पताल में ठेले पर सवार होकर अस्पताल जाते डॉक्टर की तस्वीरों में देख हम सब देख चुके हैं.

Last Updated : Apr 24, 2021, 10:31 PM IST
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