पटनाः सीएम नीतीश (CM Nitish) ने जातीय जनगणना (caste census) को लेकर केंद्र सरकार को पुनर्विचार करने का आग्रह किया है. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी (BJP) के बोल सीएम की राय से बिल्कुल विपरीत हैं. बिहार विधान मंडल के मानसून सत्र में हिस्सा लेने पहुंचे बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर 'बचोल' (Hari Bhushan Thakur) ने साफ कह दिया कि जातीगत जनगणना की देश में कोई जरूरत नहीं है. जिस तरह पहले जनगणना हुई थी, वैसे ही इस बार भी जनगणना होगी. जातीगत जनगणना से समाज में वैमनस्यता बढ़ेगी.
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विधायक ने कहा, सीएम नीतीश हमारे सीएम हैं. दो राय इसलिए है, क्योंकि दो पार्टियां हैं. दो अलग-अलग संविधान है. उनकी अपनी सोच है हमारी अपनी सोच है. लेकिन जनता की सेवा में दोनों पर्टी मिल कर लगी है. देश में अगर जातीगत जनगणना हुई तो समाज में वैमनस्यता बढ़ेगी.
हमारे समाज में पहले क्यों नहीं जातीगत जनगणना हुई. क्या पहले के राष्ट्रनिर्माता विद्वान नहीं थे. कम विद्वान थे क्या. जातीगत जनगणना के बाद यह भी मांग आयेगा कि देश का टुकड़ भी बांट कर दे दिया जाए. जो कमजोड़ वर्ग के हैं, पिछड़े हैं, उनकी आर्थिक जनगणना हुई है. राष्ट्र नेतृत्व ने कहा है कि जैसे जनगणना होती आयी है वैसे ही होनी चाहिए.
बता दें कि हरिभूषण ठाकुर 'बचोल' अपने बयानों को लेकर अक्सर चर्चा में रहते हैं. इससे पहले उन्होंने मदरसा को लेकर बड़ा विवादित बयान दिया था कि मदरसों में आतंकवाद का पाठ पढ़ाया जाता है. इस मुद्दे पर उनकी बड़ी किरकिरी हुई थी.
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जानकारी दें कि 24 जुलाई को सीएम नीतीश कुमार ने ट्वीट कर केंद्र सरकार को जातीगत जनगणना के लिए पुनर्विचार करने को कहा था. सीएम नीतीश ने इस मुद्दे को कई बार उठाया है. इससे पहले लालू प्रसाद यादव ने काफी वक्त तक जातीय जनगणना कराने की मांग की थी. बाद में नीतीश कुमार ने भी सुर में सुर मिला लिया था.
केंद्र सरकार ने जातिगत जनगणना को लेकर अपने स्टैंड स्पष्ट कर दिए हैं. सरकार ने कहा है कि फिलहाल जातिगत जनगणना संभव नहीं है. आपको बता दें कि बिहार के तमाम राजनीतिक दलों ने जातिगत जनगणना को लेकर सब सम्मत प्रस्ताव विधानसभा से पारित किए थे. भाजपा नेताओं ने भी जातिगत जनगणना के पक्ष में मतदान किया था. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जातिगत जनगणना के पक्ष में हैं.
"मैं केंद्र सरकार से अनुरोध करूंगा कि अपने फैसले पर वह विचार करें. जातिगत जनगणना इसलिए भी जरूरी है कि गरीबों के लिए सही तरीके से योजना बन पाएगी और उन्हें लाभ मिल पाएगा."- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री
बता दें कि सिर्फ सीएम नीतीश ही नहीं. इससे पहले भागलपुर में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने भी जातीय जनगणना की बात कही थी. वहीं जेडीयू ( JDU ) नेता उपेन्द्र कुशवाहा भी इस पर बयान दे चुके हैं. कई बड़े नेता चाहते हैं कि देश में जातीय जनगणना हो.
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इससे पहले भी जेडीयू ने केंद्र द्वारा जातिगत जनगणना नहीं कराए जाने के फैसले को लेकर अपनी नाराजगी जताई थी. जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि जातिगत जनगणना के मामले को लेकर हम बहुत क्षुब्ध हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार अब भी जातिगत जनगणना को लेकर प्रतिबद्ध नहीं है. ऐसे समय में जब हम यह उम्मीद कर रहे थे कि ओबीसी के अंदर ओबीसी के उप-वर्गीकरण संबंधी जस्टिस जी रोहिणी आयोग की सिफारिशों को लागू कर दिया जाएगा, तब जस्टिस रोहिणी आयोग के कार्यकाल को छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया.
दरअसल, बिहार विधान मंडल के दोनों सदनों द्वारा जाति आधारित जनगणना कराने के पक्ष में 2-2 बार सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजा गया है. इसके उलट केन्द्र सरकार 2021 की जनगणना के साथ केवल SC/ST वर्ग की जनगणना कराने के पक्ष में है. खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी जातिगत जनगणना को लेकर पक्ष में बयान देते रहे हैं.
जातीय जनगणना के बारे में उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि अगर देश में जातीय जनगणना होगी तो हमारी पार्टी उसका समर्थन करेगी. यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं हैं, बल्कि सामाजिक मुद्दा है.
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भागलपुर में अपनी जनसभा में तेजस्वी ने भी इसका समर्थन किया था. उन्होंने कहा था कि जातिगत आधार पर ही आरक्षण का प्रावधान संविधान में है. लेकिन जिस तरह से सवर्णों को आरक्षण देने का काम किया गया है. वह संविधान को ताक पर रखकर किया गया है. उन्होंने कहा था कि मैं गरीब सवर्णों के साथ हूं. आरक्षण मिलना चाहिए, लेकिन उससे पहले जातीय जनगणना जरूरी है. जातीय जनगणना के बाद ही आरक्षण दिया जाए.
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बता दें कि जातीय जनगणना का प्रस्ताव बिहार विधानसभा से सर्वसम्मति से केंद्र को भेजा गया है. इसमें बीजेपी की भी सहमति थी. लेकिन अब बीजेपी के सुर बदल गये हैं. वहीं, जदयू लगातार मांग कर रहा है कि ओबीसी की जनगणना होनी चाहिए. जिससे सही संख्या पता चल सके और उनके विकास के लिए योजना बनायी जा सके. जातीय जनगणना नहीं कराने पर राजद की ओर से तो लगातार निशाना साधा जा रहा है.
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बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह (BJP Spokesperson Arvind Singh) ने साफ तौर पर कहा है कि जनगणना जातीय और धार्मिक आधार पर नहीं होना चाहिए. आर्थिक आधार पर गणना होने से विकास योजनाओं को बनाने में मदद मिलेगी. SC-ST जरूर बहुत पिछड़ा हुआ है तो उसकी गणना होनी चाहिए.
जातीय जनगणना की वकालत सिर्फ नीतीश कुमार ही नहीं करते, बल्कि उनके बड़े भाई लालू प्रसाद यादव भी करते आए हैं. उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को लेकर देशभर में जारी बहस के बीच 2019 में जातीय जनगणना की मांग उठायी थी.
उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि साथियों, मुस्लिम तो बहाना है, दलित-पिछड़ा असल निशाना है. हमने तत्कालीन मनमोहन सरकार से 2010 में जातीय जनगणना को स्वीकृति दिलवाई थी लेकिन उसपर हजारों करोड़ खर्च करने के बाद वर्तमान सरकार ने वो सारे आंकड़े छुपा लिए और उन्हें कभी सार्वजनिक नहीं किया. हमारी पार्टी सड़क से संसद तक यह लड़ाई लड़ती रहेगी.