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पटना की सड़कों पर सरपट ई-रिक्शा दौड़ाता है दिव्यांग बबलू, कमाई के साथ PU में करता है पढ़ाई - पटना यूनिवर्सिटी

दोनों पैर और कमर से दिव्यांग बबलू युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है. पटना विश्वविद्यालय में पढ़ाई करने के साथ ई रिक्शा चलाकर कमाई भी करता है. बाकि बचे समय में घर पर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करता है.

सरपट ई-रिक्शा चलाता बबलू
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Published : Jul 28, 2019, 12:04 PM IST

पटना: अगर इरादे मजबूत और हौसले बुलंद हो तो शारीरिक दिव्यांगता भी राह में रोड़े नहीं अटका सकती. राजधानी पटना का 22 वर्षीय युवक बबलू युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत है. दिव्यांगता को हथियार बनाकर बबलू हालात से किसी योद्धा की भांति लड़ रहा है.

पटना की सड़कों पर सरपट चलाता है रिक्शा
बबलू के दोनों पैर भले ही आम युवाओं की तरह नहीं हैं, लेकिन हिम्मत, जोश, जुनून और हौसला किसी से कम नहीं. संघर्ष करने की ऐसी जिवटता, जिसे देख लोग दांतो तले उंगलियां दबा लेते हैं. बबलू आज पढ़ाई के साथ कमाई भी कर रहा है. पढ़ाई के बाद समय बर्बाद करने के बजाए राजधानी की सड़कों पर सरपट ई-रिक्शा चलाता है.

bablu in patna roads
ई-रिक्शा चलाता दिव्यांग बबलू

पढ़ाई के साथ कमाई
बबलू पटना यूनिवर्सिटी में फाइनल इयर का छात्र है. कॉलेज में पढ़ाई के बाद ई-रिक्शा चलाकर आय भी कर रहा है. चार भाईयों में तीसरे नंबर पर बबलू के सिर से बचपन में ही मां का साया उठ गया. पिता ललन प्रसाद ने ऑटो रिक्शा चलाकर पालन-पोषण किया. वही, तीनों भाई मजदूरी कर घर चलाते हैं.

bablu talk with etv bharat
ईटीवी से बातचीत करता दिव्यांग बबलू

ट्यूशन के पैसे से PU में लिया दाखिला
बबलू ने ईटीवी भारत को बताया कि उसका पैतृक गांव पुनपुन स्थित लखना के पास है. गांव में एक छोटा सा मकान है. साल 2007 में पूरा परिवार पटना आ गया. शुरुआत में पान की दुकान चलाते हुए पढ़ाई किया करता था. बबलू अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए 1 से लेकर कक्षा 8 तक ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया. बबलू ने ट्यूशन के पैसे से पटना विश्वविद्यालय में नामांकन कराया. इतिहास विषय लेकर वह स्नातक की पढ़ाई पूरी कर रहा है. बबलू की चाहत प्रतियोगिता परीक्षा पास कर सरकारी नौकरी करना है.

पढ़ाई के साथ ई-रिक्शा चलाता दिव्यांग बबलू

बबलू का संघर्ष

  • शुरुआत में पान की दुकान चलाते हुए की पढ़ाई.
  • बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर जमा पैसे से लिया पीयू में दाखिला.
  • सुबह 10 से 1 बजे तक यूनिवर्सिटी में करता है पढ़ाई.
  • 1 बजे से शाम 5 बजे तक पटना की सड़कों पर ई-रिक्शा चलाना.
  • शाम में रोजाना घर पर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी.

पटना: अगर इरादे मजबूत और हौसले बुलंद हो तो शारीरिक दिव्यांगता भी राह में रोड़े नहीं अटका सकती. राजधानी पटना का 22 वर्षीय युवक बबलू युवाओं के लिए प्रेरणा स्त्रोत है. दिव्यांगता को हथियार बनाकर बबलू हालात से किसी योद्धा की भांति लड़ रहा है.

पटना की सड़कों पर सरपट चलाता है रिक्शा
बबलू के दोनों पैर भले ही आम युवाओं की तरह नहीं हैं, लेकिन हिम्मत, जोश, जुनून और हौसला किसी से कम नहीं. संघर्ष करने की ऐसी जिवटता, जिसे देख लोग दांतो तले उंगलियां दबा लेते हैं. बबलू आज पढ़ाई के साथ कमाई भी कर रहा है. पढ़ाई के बाद समय बर्बाद करने के बजाए राजधानी की सड़कों पर सरपट ई-रिक्शा चलाता है.

bablu in patna roads
ई-रिक्शा चलाता दिव्यांग बबलू

पढ़ाई के साथ कमाई
बबलू पटना यूनिवर्सिटी में फाइनल इयर का छात्र है. कॉलेज में पढ़ाई के बाद ई-रिक्शा चलाकर आय भी कर रहा है. चार भाईयों में तीसरे नंबर पर बबलू के सिर से बचपन में ही मां का साया उठ गया. पिता ललन प्रसाद ने ऑटो रिक्शा चलाकर पालन-पोषण किया. वही, तीनों भाई मजदूरी कर घर चलाते हैं.

bablu talk with etv bharat
ईटीवी से बातचीत करता दिव्यांग बबलू

ट्यूशन के पैसे से PU में लिया दाखिला
बबलू ने ईटीवी भारत को बताया कि उसका पैतृक गांव पुनपुन स्थित लखना के पास है. गांव में एक छोटा सा मकान है. साल 2007 में पूरा परिवार पटना आ गया. शुरुआत में पान की दुकान चलाते हुए पढ़ाई किया करता था. बबलू अपनी पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए 1 से लेकर कक्षा 8 तक ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया. बबलू ने ट्यूशन के पैसे से पटना विश्वविद्यालय में नामांकन कराया. इतिहास विषय लेकर वह स्नातक की पढ़ाई पूरी कर रहा है. बबलू की चाहत प्रतियोगिता परीक्षा पास कर सरकारी नौकरी करना है.

पढ़ाई के साथ ई-रिक्शा चलाता दिव्यांग बबलू

बबलू का संघर्ष

  • शुरुआत में पान की दुकान चलाते हुए की पढ़ाई.
  • बच्चों को ट्यूशन पढ़ाकर जमा पैसे से लिया पीयू में दाखिला.
  • सुबह 10 से 1 बजे तक यूनिवर्सिटी में करता है पढ़ाई.
  • 1 बजे से शाम 5 बजे तक पटना की सड़कों पर ई-रिक्शा चलाना.
  • शाम में रोजाना घर पर प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी.
Intro:इसमें सिर्फ स्क्रिप्ट है विजुअल दो दिन पहले गई है



जोश और जुनून से हाई विकलांगता,
दोनों पैर और कमर से विकलांग बबलू युवाओं के बीच बना है प्रेरणा स्रोत
पटना विश्वविद्यालय का छात्र है बबलू, पटना विश्वविद्यालय में पढ़ाई भी और ई रिक्शा चलाकर कमाई भी करता है बबलू


Body:कहते हैं अगर इरादे मजबूत और हौसले बुलंद हो तो फिर शारीरिक विकलांगता भी आदमी के सामने झुक जाती हैं, ऐसा ही कुछ वाक्य है राजधानी पटना के खाजपुरा निवासी एक युवक बबलू की जो दोनों पैर और कमर से विकलांग है इसके भले ही दोनों पैर सलामत नहीं हो मगर ऊंची उड़ान भर कदम रखने की कोशिश रही है, अपनी विकलांगता को हथियार बनाकर जिंदगी से संघर्ष करता यह युवक बब्लू आज उन सबों के लिए आईना है जो विकलांगता को हीन भावना से देखते हैं, पटना की सड़कों पर सरपट ऑटो रिक्शा चलाता या 22 वर्षीय युवक बबलू रोजगार के अलावा पढ़ाई भी करता है
पटना यूनिवर्सिटी का यह फाइनल ईयर का छात्र है कॉलेज में पढ़ाई करने के बाद रिक्शा चलाता है,सुबह दस बजे से एक बजे तक पढाई करता है,उसके बाद एक बजे से शाम पांच बजे तक ई-रिक्शा चलाता है,और देर रात तक अपनी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी करता है।


बबलू चार भाई है, बचपन में ही मां का साया इससे दूर हो गया, जिसमें यह तीसरे नंबर पर है, पिता ललन प्रसाद ने इसे पालन पोषण कर बड़ा किया, पिता भी ऑटो रिक्शा चलाते हैं, वही तीनो भाई भी मजदूरी कर घर चलाते हैं


Conclusion:बबलू का पैतृक गांव पुनपुन के लखना के पास है, जहां पर एक एक छोटा सा मकान में रहते हैं, आर्थिक तंगी के कारण इसके पिता 2007 में पटना आ गए और यहां एक खाजपुरा में किराए के मकान में रह कर अपना रोजी रोजगार करना शुरू कर दिया शुरुआत के दौर में एक छोटा सा पान का दुकान चलाते थे उसी में बबलू दुकान पर बैठकर अपनी पढ़ाई भी करता था और दुकान भी चलाता था 2008 में आठवीं कक्षा पास कर कदम कुआं स्थित सर गणेश दत्त हाई स्कूल में नाम लिखाया, इंटर तक पढ़ाई की उसके बाद ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक के बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था, शुरुआत में दो बच्चे को ट्यूशन पर आता था उसके बाद से 15 बच्चे को पढाने लगा, ट्यूशन से आए पैसों से वह पटना विश्वविद्यालय में अपना नामांकन कराया इतिहास विषय लेकर वह स्नातक की पढ़ाई पूरी की

फिलहाल बब्लू 10:00 बजे से 1:00 बजे तक व यूनिवर्सिटी जाता है उसके बाद शाम 5:00 बजे तक वा रिक्शा चलाता है और शाम को घर जाकर वह अपनी प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करता है उसके दिल में कुछ बनने की चाहत है और वह प्रतियोगिता परीक्षा पास करने की जुगत में लगा है


नाम बबलू कुमार पिता लल्लन प्रसाद माता स्वर्गीय सविता देवी चार भाई सभी मजदूरी कर अपना घर चलाते हैं

बाईट-बब्लू कुमार
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