पटना: केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है कि देश के सभी राज्यों में 1 अप्रैल से मिड-डे-मील और आंगनबाड़ी केंद्रों में चलाए जा रहे पोषाहार योजना के अनाज में विटामिन और अन्य पोषक तत्व की मात्रा बढ़ाई जाए. इसके लिए सरकार ने निर्णय लिया है कि पकाए जाने वाले भोजन में फोर्टीफाइड अनाज का सम्मिश्रण किया जाएगा. इसके लिए राज्य खाद आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग तैयारी में जुट गया है.
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'राज्य सरकार जल्द ही पूर्ण पोषाहार वाले भोजन देने के लिए फोर्टीफाइड ( पुष्ट ) राइस आपूर्ति की तैयारी तेज कर दी है. 1 क्विंटल चावल में 1 किलो पुष्ट चावल को मिलाकर तैयार किया जाएगा. इस चावल के खाने से बच्चों में होने वाली एनीमीया बीमारी से लड़ने के लिए प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी. फोर्टीफाइड राइस में फोलिक एसिड, विटामिन बी कांपलेक्स और आयरन की भरपूर मात्रा होगी. जिसके दाल चावल में भरपूर पोषक तत्व होंगे. इस चावल के खाने से राज्य के महिलाओं और लड़कियों में एनीमिया की शिकायत में काफी कमी आएगी'.- विनय कुमार, विभाग सचिव
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तैयारियाें में जुटा विभाग
विनय कुमार ने बताया कि संपूर्ण पोषाहार युक्त चावल वितरण के लिए जिन संसाधनों की जरूरत है, वो तमाम तैयारियां विभाग के द्वारा की जा रही है. इस संबंध में स्टेट फूड कॉरपोरेशन को भी आवश्यक निर्देश दिए जा चुके हैं. फोर्टीफाइड राइस की उपलब्धता को लेकर कई तरह की कठिनाइयां जरूर है. लेकिन उसे जल्द निष्पादित कर दिया जाएगा. अभी राज्य में एक भी ऐसा चावल मिल नहीं है जो इस चावल का निर्माण कर सके. खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा यह भी निश्चित किया जा रहा है कि चावल जांच हो. इस लैब की स्थापना के लिए भी राज्य सरकार तैयारी तेज कर दी है, जल्दी यह लैब बनकर तैयार हो जाएगा. इस पूरी प्रक्रिया में 73 पैसे प्रति किलो खर्च होंगे.
'मिड-डे-मील और पोषाहार योजना से वैसे वर्ग जो अपने भोजन की थाली में तमाम प्रोटीन और पोषक तत्व नहीं जुटा पाते हैं, उन्हें इसका बड़ा लाभ मिलेगा. मिड-डे-मील और पोषाहार जैसी योजना में सरकार हर 5 सालों में समीक्षा कर नए चीजों को जोड़ती है. इस तरह के परिवर्तन से राज्य की गर्भवती महिलाओं, लड़कियों और बच्चों में प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों की कमी को पूरा किया जा सकेगा'.- सुधाकर कुमार, डाइटिशियन
सरकार को ठोस कदम उठाने की जरुरत
डाइटिशियन सुधाकर ने कहा कि इसके अलावा भी कई पहलुओं पर गंभीरता से विचार करते हुए सरकार को और ठोस कदम उठाने चाहिए. खासतौर से किचन गार्डनिंग पद्धति को अपनाते हुए स्कूल या आंगनवाड़ी केंद्रों के आसपास खाली पड़ी सरकारी जमीनों पर सब्जी उगाकर उसका प्रयोग खाने में करना चाहिए. सुधाकर का मानना है कि इस तरह की योजना से जोड़ने के लिए जागरूकता सबसे अहम मुद्दा है.