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सरकारी स्कूल की बदहाली, जमीन पर बोरा बिछाकर पढ़ने को मजबूर हैं बच्चे

पटना जिले के मसौढ़ी के धनरूआ का टेरिबिगहा प्राथमिक स्कूल बदहाल है. यहां स्थिति यह है कि बच्चों को जमीन पर बैठकर पढ़ना पड़ता है. बच्चे घर से बोरा लाते हैं और उसे बिछाकर पढ़ने के लिए बैठते हैं. आधा अधूरा बना भवन जर्जर हो गया है. खिड़की और दरवाजे नहीं हैं. न शौचालय है और न पीने का पानी.

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जमीन पर बैठकर पढ़ते बच्चे.
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Published : Apr 3, 2021, 4:33 PM IST

पटना (मसौढ़ी): शिक्षा में सुधार के सरकार भले ही लाख दावा करे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. स्कूल जरूरी संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं. पटना जिले के मसौढ़ी के धनरूआ का टेरिबिगहा प्राथमिक स्कूल ऐसे ही बदहाल स्कूलों में से एक है.

यह भी पढ़ें- बिहार के सरकारी स्कूलों में 20 लाख से अधिक एडमिशन का टारगेट, मिल रहा अच्छा रिस्पांस

यहां स्थिति यह है कि बच्चों को जमीन पर बैठकर पढ़ना पड़ता है. बच्चे घर से बोरा लाते हैं और उसे बिछाकर पढ़ने के लिए बैठते हैं. इस स्कूल में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. आधा अधूरा बना भवन जर्जर हो गया है. खिड़की और दरवाजे नहीं हैं. न शौचालय है और न पीने का पानी.

देखें रिपोर्ट

5 किलोमीटर दूर है दूसरा स्कूल
टेरिबिगहा प्राथमिक स्कूल के बदहाल होने से एक तरफ जहां शिक्षक परेशान हैं. वहीं, बच्चे और गांव के लोग विवश हैं. गांव के आसपास कोई और स्कूल नहीं है. दूसरा स्कूल 5 किलोमीटर दूर है. दूरी अधिक होने के चलते वहां बच्चों को पढ़ने के लिए भेजना कठिन है.

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जमीन पर बैठकर पढ़ते बच्चे.

विवाद के चलते अधूरा रह गया निर्माण
"स्कूल का भवन 2003 में 3.4 लाख रुपए में बनाया गया था. निर्माण के दौरान ठेकेदार और स्थानीय जनप्रतिनिधि के बीच विवाद हो गया था. इसके चलते निर्माण कार्य पूरा न हुआ. आज तक यह भवन अधूरा है. इसका खामियाजा स्कूल के बच्चे भुगत रहे हैं."- मुकेश शर्मा, प्रधानाचार्य, टेरिबिगहा प्राथमिक स्कूल

यह भी पढ़ें- जंगल के रास्ते बच्चों को पढ़ने जाना पड़ता था 6 KM दूर, लोगों ने चंदा कर बनवाया स्कूल

पटना (मसौढ़ी): शिक्षा में सुधार के सरकार भले ही लाख दावा करे, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. स्कूल जरूरी संसाधनों की कमी से जूझ रहे हैं. पटना जिले के मसौढ़ी के धनरूआ का टेरिबिगहा प्राथमिक स्कूल ऐसे ही बदहाल स्कूलों में से एक है.

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यहां स्थिति यह है कि बच्चों को जमीन पर बैठकर पढ़ना पड़ता है. बच्चे घर से बोरा लाते हैं और उसे बिछाकर पढ़ने के लिए बैठते हैं. इस स्कूल में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. आधा अधूरा बना भवन जर्जर हो गया है. खिड़की और दरवाजे नहीं हैं. न शौचालय है और न पीने का पानी.

देखें रिपोर्ट

5 किलोमीटर दूर है दूसरा स्कूल
टेरिबिगहा प्राथमिक स्कूल के बदहाल होने से एक तरफ जहां शिक्षक परेशान हैं. वहीं, बच्चे और गांव के लोग विवश हैं. गांव के आसपास कोई और स्कूल नहीं है. दूसरा स्कूल 5 किलोमीटर दूर है. दूरी अधिक होने के चलते वहां बच्चों को पढ़ने के लिए भेजना कठिन है.

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जमीन पर बैठकर पढ़ते बच्चे.

विवाद के चलते अधूरा रह गया निर्माण
"स्कूल का भवन 2003 में 3.4 लाख रुपए में बनाया गया था. निर्माण के दौरान ठेकेदार और स्थानीय जनप्रतिनिधि के बीच विवाद हो गया था. इसके चलते निर्माण कार्य पूरा न हुआ. आज तक यह भवन अधूरा है. इसका खामियाजा स्कूल के बच्चे भुगत रहे हैं."- मुकेश शर्मा, प्रधानाचार्य, टेरिबिगहा प्राथमिक स्कूल

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