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सरकारी स्कूल के बच्चों ने क्यों कहा Online पढ़ाई को NO.. जानें e-LOTS की असलियत - E LOTS

बिहार में डिजिटल पढ़ाई न छात्रों को रास आयी और न ही शिक्षकों को. इसी कारण सरकारी स्कूल के कई बच्चों ने ऑनलाइन पढ़ाई नहीं की. इसको लेकर विभाग ने एक सर्वे कराया. मामले चौकानेवाले सामने आए हैं. पढ़ें खबर...

ई लॉट्स
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Published : Sep 13, 2021, 8:31 PM IST

पटना: सरकार (Bihar government) ने इसी साल मई महीने में कोरोना संक्रमण से प्रभावित सरकारी स्कूलों की पढ़ाई के मद्देनजर बड़े तामझाम से एक डिजिटल प्लेटफॉर्म (Digital Platform) लांच किया था. शिक्षा विभाग को उम्मीद थी कि सरकारी स्कूल के शिक्षक और विद्यार्थियों के लिए बनाए गए इस ऑनलाइन प्लेटफार्म 'ई लॉट्स' (E-LOTS) के जरिए बच्चे आसानी से घर बैठे पढ़ाई कर सकेंगे. लेकिन विभाग द्वारा कराए गए एक सर्वे में ही ई लॉट्स के जो आंकड़े सामने आए हैं, उससे सरकार की ऑनलाइन पढ़ाई की कोशिशों को जबरदस्त धक्का लगा है.

यह भी पढ़ें- 'e-LOTS' से हर रोज खत्म होगा 1 GB डाटा, कैसे पढ़ाई करेंगे गरीब बच्चे

ई लाइब्रेरी ऑफ टीचर एंड स्टूडेंट (E LOTS) को शिक्षा विभाग ने इसी साल 12 मई को लांच किया था. इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कक्षा 1 से 12 तक के तमाम टेक्स्ट बुक, सिलेबस और वीडियो कंटेंट उपलब्ध हैं. जिससे आसानी से शिक्षक बच्चों को पढ़ा सकते हैं. बच्चे भी खुद पढ़ कर अपना सिलेबस पूरा कर सकते हैं.

देखें वीडियो

लेकिन जब इस डिजिटल लाइब्रेरी का सर्वे शिक्षा विभाग ने कराया तो आंकड़े अत्यंत निराशाजनक सामने आए हैं. ना तो स्टूडेंट्स और ना ही टीचर्स इस डिजिटल लाइब्रेरी में कोई इंट्रेस्ट दिखा रहे हैं.

ऑनलाइन उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक डिजिटल लाइब्रेरी के प्रयोग में सबसे अव्वल नालंदा जिला रहा है. जहां 11,467 लोगों ने इसका उपयोग किया है. इसके बाद सारण में 7,306, भागलपुर में 6,659, पूर्णिया में 5,702 और पूर्वी चंपारण में 5,488 लोगों ने डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग किया है.

इसके अलावा कुछ अन्य जिलों की बात करें तो आंकड़े बेहद निराशाजनक हैं. शिवहर में 409, खगड़िया में 423, सहरसा में 632, अरवल में 454 और लखीसराय में महज 551 लोगों ने इ लॉट्स का उपयोग किया है.

'ई लॉट्स के जरिए बच्चों के लिए कक्षा 1 से 12 तक के तमाम पाठ्यक्रम उपलब्ध कराए गए हैं. ऑनलाइन डिजिटल लाइब्रेरी में यह किताबें और सिलेबस भी उपलब्ध हैं. लेकिन परेशानी यह है कि जिन गरीब घरों के बच्चे यहां पढ़ने आते हैं, उनके पास ना तो स्मार्ट एंड्राइड फोन है और ना ही इंटरनेट की सुविधा है. यही वजह है कि ई लॉट्स का काफी कम लोग ही उपयोग कर पा रहे हैं.' -सुनील कुमार, प्राथमिक शिक्षक

'सरकार ने एक अच्छी व्यवस्था शुरू की है. खास तौर पर तब, जब सभी स्कूल बंद हैं. बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी. उन्हें किताबें नहीं मिल रही थी. तब सरकार ने डिजिटल लाइब्रेरी की व्यवस्था की. ताकि बच्चे घर पर ही अपना पाठ्यक्रम पूरा कर सकें. लेकिन विडंबना यह है कि डिजिटल लाइब्रेरी के लिए ना सिर्फ एंड्राइड मोबाइल की जरूरत है बल्कि इंटरनेट कनेक्शन भी जरूरी है. जो सरकार ने उपलब्ध नहीं कराया है. अब गरीब घरों के बच्चे जिन्हें खाना तक मुश्किल से मिल पाता है, वह एंड्राइड मोबाइल और इंटरनेट का खर्च कहां से उठा पाएंगे. इसके साथ-साथ जागरुकता की भी कमी है. सरकार को तमाम शिक्षकों और बच्चों के अभिभावकों को जागरूक करना होगा. तभी डिजिटल लाइब्रेरी का भी पूरा फायदा उठा सकेंगे.' -डॉ. संजय कुमार, शिक्षाविद

'हमारी टीम लगातार सभी जिलों का दौरा कर रही है. कुछ जिलों में अच्छे नतीजे देखने को मिले हैं. जिन जिलों में रिपोर्ट अच्छी नहीं है, वहां ट्रेनिंग के जरिए शिक्षकों को ई लॉट्स के उपयोग के बारे में बताया जा रहा है. इसके अलावा डिजिटल डिवाइस नहीं होना भी एक बड़ी वजह है. अब स्कूल खुल चुके हैं. बच्चों की पढ़ाई स्कूल में हो रही है. ऐसे में ई लॉट्स की उपयोगिता फिलहाल उतनी ज्यादा नहीं है, जितनी स्कूल बंद होने के दौरान थी.' -श्रीकांत शास्त्री, डायरेक्टर, बिहार शिक्षा परियोजना

बता दें कि ई-लॉट्स पर उपलब्ध चैप्टर्स में से जब कोई विद्यार्थी किसी एक सब्जेक्ट के किसी एक चैप्टर को एक्सेस करता है और उसे खोलकर डाउनलोड करता है तो उसमें कम से कम 100 एमबी से 400 एमबी तक का डाटा खर्च होता है. अगर उस चैप्टर से संबंधित वीडियो देखना है, तो उसके लिए और ज्यादा डाटा खर्च करना पड़ेगा. यानि एक दिन में कम से कम 500 एमबी और अधिकतम 1 जीबी से ज्यादा मोबाइल डाटा ई-लॉट्स पर पढ़ाई के लिए खर्च हो सकता है.

बता दें कि ई-लॉट्स यानी इलेक्ट्रॉनिक लाइब्रेरी फॉर टीचर्स एंड स्टूडेंट्स की साइट bepclots.bihar.govt.in पर लॉगिन करने पर कक्षा 1 से 12 तक की तमाम किताबों की लिस्ट के साथ उन्हें क्लिक करके देखा जा सकता है.

ई-लॉट्स पर हर चैप्टर को पढ़ने और डाउनलोड करने के अलावा इसमें पाठ से संबंधित वीडियो भी उपलब्ध है. इसे शिक्षक और छात्र दोनों ही देख सकते हैं. हर पाठ के अंत में कुछ सवाल भी दिए गए हैं, जिन्हें सॉल्व करके भेजने और सही उत्तर जानने का विकल्प भी उपलब्ध है. सरकार की ओर से शिक्षकों और स्टूडेंट्स के लिए एडवांस ई-लाइब्रेरी को लॉन्च करने का मकसद है कि बच्चे लॉकडाउन के समय आसानी से घर पर पढ़ाई कर सकें.

बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की वेबसाइट पर उपलब्ध तमाम कक्षाओं की किताबों को ऑनलाइन पढ़ा और देखा जा सकता है. ई-लॉट्स किसी भी स्मार्ट मोबाइल के गूगल प्ले स्टोर में भी उपलब्ध है. जहां से डाउनलोड करके कोई भी मोबाइल पर अपनी पढ़ाई जारी रख सकते हैं.

यह भी पढ़ें- बिहार: पढ़ाई में डिजिटल डिवाइस बना रोड़ा, डेढ़ करोड़ बच्चों की पहुंच से दूर ऑनलाइन एजुकेशन

पटना: सरकार (Bihar government) ने इसी साल मई महीने में कोरोना संक्रमण से प्रभावित सरकारी स्कूलों की पढ़ाई के मद्देनजर बड़े तामझाम से एक डिजिटल प्लेटफॉर्म (Digital Platform) लांच किया था. शिक्षा विभाग को उम्मीद थी कि सरकारी स्कूल के शिक्षक और विद्यार्थियों के लिए बनाए गए इस ऑनलाइन प्लेटफार्म 'ई लॉट्स' (E-LOTS) के जरिए बच्चे आसानी से घर बैठे पढ़ाई कर सकेंगे. लेकिन विभाग द्वारा कराए गए एक सर्वे में ही ई लॉट्स के जो आंकड़े सामने आए हैं, उससे सरकार की ऑनलाइन पढ़ाई की कोशिशों को जबरदस्त धक्का लगा है.

यह भी पढ़ें- 'e-LOTS' से हर रोज खत्म होगा 1 GB डाटा, कैसे पढ़ाई करेंगे गरीब बच्चे

ई लाइब्रेरी ऑफ टीचर एंड स्टूडेंट (E LOTS) को शिक्षा विभाग ने इसी साल 12 मई को लांच किया था. इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर कक्षा 1 से 12 तक के तमाम टेक्स्ट बुक, सिलेबस और वीडियो कंटेंट उपलब्ध हैं. जिससे आसानी से शिक्षक बच्चों को पढ़ा सकते हैं. बच्चे भी खुद पढ़ कर अपना सिलेबस पूरा कर सकते हैं.

देखें वीडियो

लेकिन जब इस डिजिटल लाइब्रेरी का सर्वे शिक्षा विभाग ने कराया तो आंकड़े अत्यंत निराशाजनक सामने आए हैं. ना तो स्टूडेंट्स और ना ही टीचर्स इस डिजिटल लाइब्रेरी में कोई इंट्रेस्ट दिखा रहे हैं.

ऑनलाइन उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक डिजिटल लाइब्रेरी के प्रयोग में सबसे अव्वल नालंदा जिला रहा है. जहां 11,467 लोगों ने इसका उपयोग किया है. इसके बाद सारण में 7,306, भागलपुर में 6,659, पूर्णिया में 5,702 और पूर्वी चंपारण में 5,488 लोगों ने डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग किया है.

इसके अलावा कुछ अन्य जिलों की बात करें तो आंकड़े बेहद निराशाजनक हैं. शिवहर में 409, खगड़िया में 423, सहरसा में 632, अरवल में 454 और लखीसराय में महज 551 लोगों ने इ लॉट्स का उपयोग किया है.

'ई लॉट्स के जरिए बच्चों के लिए कक्षा 1 से 12 तक के तमाम पाठ्यक्रम उपलब्ध कराए गए हैं. ऑनलाइन डिजिटल लाइब्रेरी में यह किताबें और सिलेबस भी उपलब्ध हैं. लेकिन परेशानी यह है कि जिन गरीब घरों के बच्चे यहां पढ़ने आते हैं, उनके पास ना तो स्मार्ट एंड्राइड फोन है और ना ही इंटरनेट की सुविधा है. यही वजह है कि ई लॉट्स का काफी कम लोग ही उपयोग कर पा रहे हैं.' -सुनील कुमार, प्राथमिक शिक्षक

'सरकार ने एक अच्छी व्यवस्था शुरू की है. खास तौर पर तब, जब सभी स्कूल बंद हैं. बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी. उन्हें किताबें नहीं मिल रही थी. तब सरकार ने डिजिटल लाइब्रेरी की व्यवस्था की. ताकि बच्चे घर पर ही अपना पाठ्यक्रम पूरा कर सकें. लेकिन विडंबना यह है कि डिजिटल लाइब्रेरी के लिए ना सिर्फ एंड्राइड मोबाइल की जरूरत है बल्कि इंटरनेट कनेक्शन भी जरूरी है. जो सरकार ने उपलब्ध नहीं कराया है. अब गरीब घरों के बच्चे जिन्हें खाना तक मुश्किल से मिल पाता है, वह एंड्राइड मोबाइल और इंटरनेट का खर्च कहां से उठा पाएंगे. इसके साथ-साथ जागरुकता की भी कमी है. सरकार को तमाम शिक्षकों और बच्चों के अभिभावकों को जागरूक करना होगा. तभी डिजिटल लाइब्रेरी का भी पूरा फायदा उठा सकेंगे.' -डॉ. संजय कुमार, शिक्षाविद

'हमारी टीम लगातार सभी जिलों का दौरा कर रही है. कुछ जिलों में अच्छे नतीजे देखने को मिले हैं. जिन जिलों में रिपोर्ट अच्छी नहीं है, वहां ट्रेनिंग के जरिए शिक्षकों को ई लॉट्स के उपयोग के बारे में बताया जा रहा है. इसके अलावा डिजिटल डिवाइस नहीं होना भी एक बड़ी वजह है. अब स्कूल खुल चुके हैं. बच्चों की पढ़ाई स्कूल में हो रही है. ऐसे में ई लॉट्स की उपयोगिता फिलहाल उतनी ज्यादा नहीं है, जितनी स्कूल बंद होने के दौरान थी.' -श्रीकांत शास्त्री, डायरेक्टर, बिहार शिक्षा परियोजना

बता दें कि ई-लॉट्स पर उपलब्ध चैप्टर्स में से जब कोई विद्यार्थी किसी एक सब्जेक्ट के किसी एक चैप्टर को एक्सेस करता है और उसे खोलकर डाउनलोड करता है तो उसमें कम से कम 100 एमबी से 400 एमबी तक का डाटा खर्च होता है. अगर उस चैप्टर से संबंधित वीडियो देखना है, तो उसके लिए और ज्यादा डाटा खर्च करना पड़ेगा. यानि एक दिन में कम से कम 500 एमबी और अधिकतम 1 जीबी से ज्यादा मोबाइल डाटा ई-लॉट्स पर पढ़ाई के लिए खर्च हो सकता है.

बता दें कि ई-लॉट्स यानी इलेक्ट्रॉनिक लाइब्रेरी फॉर टीचर्स एंड स्टूडेंट्स की साइट bepclots.bihar.govt.in पर लॉगिन करने पर कक्षा 1 से 12 तक की तमाम किताबों की लिस्ट के साथ उन्हें क्लिक करके देखा जा सकता है.

ई-लॉट्स पर हर चैप्टर को पढ़ने और डाउनलोड करने के अलावा इसमें पाठ से संबंधित वीडियो भी उपलब्ध है. इसे शिक्षक और छात्र दोनों ही देख सकते हैं. हर पाठ के अंत में कुछ सवाल भी दिए गए हैं, जिन्हें सॉल्व करके भेजने और सही उत्तर जानने का विकल्प भी उपलब्ध है. सरकार की ओर से शिक्षकों और स्टूडेंट्स के लिए एडवांस ई-लाइब्रेरी को लॉन्च करने का मकसद है कि बच्चे लॉकडाउन के समय आसानी से घर पर पढ़ाई कर सकें.

बिहार शिक्षा परियोजना परिषद की वेबसाइट पर उपलब्ध तमाम कक्षाओं की किताबों को ऑनलाइन पढ़ा और देखा जा सकता है. ई-लॉट्स किसी भी स्मार्ट मोबाइल के गूगल प्ले स्टोर में भी उपलब्ध है. जहां से डाउनलोड करके कोई भी मोबाइल पर अपनी पढ़ाई जारी रख सकते हैं.

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