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भुईयां समाज को उपेक्षित कर रही सरकार, हमें आदिवासी का दर्जा दें: जीतनराम मांझी - jitan ram manjhi

झारखंड के सिमरिया में पूर्व मुख्यमंत्री सह हम पार्टी के सुप्रीमो जीतनराम मांझी ने एक कार्यक्रम को संबोधित किया. उन्होंने केंद्र सरकार और झारखंड राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार भुईयां समाज की जमीन लूट रही है. हमें आदिवासी समाज का दर्जा दें सरकार.

जीतनराम मांझी
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Published : Sep 10, 2019, 2:47 AM IST

चतरा/पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सह हम सुप्रीमो जीतनराम मांझी सिमरिया के हॉस्पिटल मैदान में आयोजित झारखंड भुईयां समाज संघर्ष समिति का झकझोर झूमर कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे. यहां जीतनराम मांझी ने प्रदेश की रघुवर सरकार और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि सरकार भुईयां समाज की जमीन लूटकर उन्हें उपेक्षित करना चाहती है. जिसे बचाने के लिए हम सड़क से सदन तक आंदोलन करेंगे.

जीतनराम मांझी ने कहा कि भुईयां समाज को हीन दृष्टि से देखने वाले रघुवर सरकार और केंद्र सरकार को चेतने की आवश्यकता है. सरकार ब्राह्माण वादी व्यवस्था में फूट डालने की कोशिश कर रही है. यही कारण है कि समाज के सबसे पिछड़ी जाति को शिक्षा से भी वंचित रखा जा रहा है.

झकझोर झूमर कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे जीतनराम मांझी

भुईयां समाज को आदिवासी में करें शामिल
हम सुप्रीमो मांझी ने कहा कि इसके विरूद्ध भुईयां समाज के लोगों को एक होकर लड़ाई लड़ने की जरूरत है. हमारे समाज में वीर तुलसी, सबरी माता पूर्वज हैं. उन्होंने कहा कि भुईयां समाज को अपना जाति छुपाने की जरूरत नहीं है, बल्कि गर्व से बोलें कि हम भुईयां हैं. जाति बताने में शर्म महसूस ना करें. अपने जात को उपर उठाने की जरूरत है. मांदर आदिवासी बजाता है. मांदर हम भुईयां समाज के लोग भी बजाते हैं. जल जंगल जमीन पर हमारे समाज का अधिकार है. इस लिए हमारे भुईयां समाज को आदिवासी में शामिल किया जाए.

भुईयां समाज मुझे जिताए
जीतनराम मांझी ने कहा कि भुईयां समाज को उपर उठाने के लिए 20 अक्टूबर को पटना मेमोरियल में सम्मेलन कर रहे हैं. हमारी संस्कृति सबरी माता, तुलसी वीर हुआ करते थे. हमारे समाज की शिक्षा व्यवस्था ठीक नहीं है. इस पर प्रकाश डालने और लोगों को जागरूक करने के लिए मैं यहां आया हूं. हमे अपना हक और अधिकार जानने की जरूरत है. एक मंच पर आकर आने वाले विधानसभा चुनाव में अपने तेज तरार भुईयां समाज के बेटा को जिताने की आवश्यकता है. आज की सरकार में मनुवादी व्यवस्था की सरकार है.

सरकारी स्कूलों पर तशा कंज
हमारा समाज दारू मुर्गा खाने में बदनाम है. जिसके लिए मैं कहना चाहता हूं कि दारू को दवा के रूप में प्रयोग करें. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला किया है कि मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, नेता, जज, के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ेंगे. तभी जाकर सरकारी विद्यालयों की स्थिति में वृहद पैमाने पर सुधार होगी. जब सरकार सबका साथ सबका विकास की बात कहती है तो गरीब का बच्चा सरकारी स्कूल में और अमीर के बच्चे निजी स्कूलों में क्यों पढ़ते हैं. इस तरह अपने भाषण में भुईयां समाज को आदिवासी समाज में शामिल करने की बात कही.

चतरा/पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सह हम सुप्रीमो जीतनराम मांझी सिमरिया के हॉस्पिटल मैदान में आयोजित झारखंड भुईयां समाज संघर्ष समिति का झकझोर झूमर कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे. यहां जीतनराम मांझी ने प्रदेश की रघुवर सरकार और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि सरकार भुईयां समाज की जमीन लूटकर उन्हें उपेक्षित करना चाहती है. जिसे बचाने के लिए हम सड़क से सदन तक आंदोलन करेंगे.

जीतनराम मांझी ने कहा कि भुईयां समाज को हीन दृष्टि से देखने वाले रघुवर सरकार और केंद्र सरकार को चेतने की आवश्यकता है. सरकार ब्राह्माण वादी व्यवस्था में फूट डालने की कोशिश कर रही है. यही कारण है कि समाज के सबसे पिछड़ी जाति को शिक्षा से भी वंचित रखा जा रहा है.

झकझोर झूमर कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे जीतनराम मांझी

भुईयां समाज को आदिवासी में करें शामिल
हम सुप्रीमो मांझी ने कहा कि इसके विरूद्ध भुईयां समाज के लोगों को एक होकर लड़ाई लड़ने की जरूरत है. हमारे समाज में वीर तुलसी, सबरी माता पूर्वज हैं. उन्होंने कहा कि भुईयां समाज को अपना जाति छुपाने की जरूरत नहीं है, बल्कि गर्व से बोलें कि हम भुईयां हैं. जाति बताने में शर्म महसूस ना करें. अपने जात को उपर उठाने की जरूरत है. मांदर आदिवासी बजाता है. मांदर हम भुईयां समाज के लोग भी बजाते हैं. जल जंगल जमीन पर हमारे समाज का अधिकार है. इस लिए हमारे भुईयां समाज को आदिवासी में शामिल किया जाए.

भुईयां समाज मुझे जिताए
जीतनराम मांझी ने कहा कि भुईयां समाज को उपर उठाने के लिए 20 अक्टूबर को पटना मेमोरियल में सम्मेलन कर रहे हैं. हमारी संस्कृति सबरी माता, तुलसी वीर हुआ करते थे. हमारे समाज की शिक्षा व्यवस्था ठीक नहीं है. इस पर प्रकाश डालने और लोगों को जागरूक करने के लिए मैं यहां आया हूं. हमे अपना हक और अधिकार जानने की जरूरत है. एक मंच पर आकर आने वाले विधानसभा चुनाव में अपने तेज तरार भुईयां समाज के बेटा को जिताने की आवश्यकता है. आज की सरकार में मनुवादी व्यवस्था की सरकार है.

सरकारी स्कूलों पर तशा कंज
हमारा समाज दारू मुर्गा खाने में बदनाम है. जिसके लिए मैं कहना चाहता हूं कि दारू को दवा के रूप में प्रयोग करें. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला किया है कि मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, नेता, जज, के बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ेंगे. तभी जाकर सरकारी विद्यालयों की स्थिति में वृहद पैमाने पर सुधार होगी. जब सरकार सबका साथ सबका विकास की बात कहती है तो गरीब का बच्चा सरकारी स्कूल में और अमीर के बच्चे निजी स्कूलों में क्यों पढ़ते हैं. इस तरह अपने भाषण में भुईयां समाज को आदिवासी समाज में शामिल करने की बात कही.

Intro:भुइयां समाज को उपेक्षित कर रही सरकार, राज्य व केंद्र सरकार को है चेतने की जरूरत : जीतनराम मांझी

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चतरा : सिमरिया के हॉस्पिटल मैदान में आयोजित झारखंड भुइंया समाज संघर्ष समिति का झकझोर झूमर कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सह हम सुप्रीमों जीतनराम मांझी ने प्रदेश की रघुवर सरकार और केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सरकार भुइंया समाज की जमीन लूटकर उन्हें उपेक्षित करना चाहती है। जिसे बचाने के लिए सड़क से सदन तक आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि भुइया समाज को हीन दृष्टि से देखने वाले रघुवर सरकार और केंद्र सरकार को चेतने की आवश्यकता है। सरकार ब्राह्माण वादी व्यवस्था में फूट डालने की कोशिश कर रही है। यही कारण है कि समाज के सबसे पिछड़ी जाति को शिक्षा से भी वंचित रखा जा रहा है।

बाईट : जीतराम मांझी, हम सुप्रिमों सह पूर्व मुख्यमंत्री, बिहार।


Body:जिसके विरूद्ध भुइया समाज के लोगों को एक होकर लड़ाई करने की जरूरत है। हमारा समाज के बिर तुलसी ,सबरी माता हमरे पूर्वज हैं। उन्होंने कहा कि भुइयां समाज को अपना जाति छुपाने की जरूरत नहीं है, बल्कि गर्व से बोलें कि हम भुइया समाज के हैं। जाति बताने में लज्जा महसूस ना करें। मैं जब पढ़ रहा था तो स्कूल में मेरा नाम जीतन राम था। तब मैने विरोध जता कर कहा कि जीतन राम काहे जितन भुइया क्युं नहीं तब मेरा नाम में सोदाहरण कर आपन नाम जीतन राम माझी लिखवाया । आपने जात को उपर उठाने की जरूरत है। मादर आदिवासी बजाता है। मादर हम भुइंया समाज के लोग बजाते हैं तथा जल जंगल जमीन पर हमारा समाज का अधिकार है। इस लिए हमारे भुइया समाज को आदिवासी में शामिल किया जाए। Conclusion:जीतनराम ने कहा कि भुइंया समाज को उपर उठाने के लिए 20 अक्टूबर को पटना मेमोरियल में सम्मेलन कर रहे हैं। हमारा संस्कृति सबरी माता तुलसीबीर हुआ करते थे । हमारा समाज को शिक्षा व्यवस्था ठीक नहीं है। जिस पर प्रकाश डालने के लिए लोगों को जागरूक करने के लिए आए हैं। अपना हक और अधिकार को तो जानने पहचानने की जरूरत है और एक मंच पर आकर आने वाला विधान सभा चुनाव में अपने तेज तरार भुइंया समाज के बेटा को जिताने की आवश्यकता है। आज की सरकार में मनुवादी व्यवस्था की सरकार है । एक ही व्यक्ति को चार जगह बाटा गया है । ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शुद्र। तो मैं जानना चाहता हूं कि शुद्र कौन है और कैसे अलग है । हमारा समाज दारू मुर्गा खाने में बदनाम है। जिसके लिए हम कहना चाहते हैं कि दारू को दवा के रूप में प्रयोग करें। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला किया कि मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक, नेता, जज, जैसे लोगों बच्चा सरकारी स्कूलों में पढ़ तभी सरकारी विद्यालयों की स्थिति में वृहद पैमाने पर सुधार होगी। जब सबका साथ सबका विकास की बात कहते हैं तो गरीब का बच्चा सरकारी स्कूल में और अमीर के बच्चे निजी स्कूलों में क्युं पढ़ते हैं। इस तरह अपने भाषण में सरकार को खूब कोषा। और भुइंया समाज को आदिवासी समाज में शामिल करने की बात कही।
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