पटना: चमकी बुखार ने पूरे भारत को सदमे में डाल दिया है. मुजफ्फरपुर के बाद ये बीमारी ने अन्य जिलों में भी पैर पसारने शुरू कर दिए हैं. इस बीमारी ने लोगों के दिल को झकझोर कर रख दिया है. ऐसे में सरकार कितना सचेत है. इस बात की जानकारी कुछ विशेषज्ञों ने दी है.
इस मौत भरी मंजर को देखने के बाद लोगों की रुह कांप रही है. मुजफ्फरपुर से हर दिन चमकी से बच्चों की मौत की खबरें सामने आ रही है. इस बीमारी ने अब तक 168 बच्चों की जिन्दगी छीन ली. लेकिन, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार अब भी होश में नहीं आई है.
स्वास्थ्य सुविधा नदारद
इस दुखभरी घटना का हाल सीएम से लेकर डीएम तक ने लिया. बिहार सरकार से लेकर केन्द्र के कई मंत्रियों ने भी मौके पर पहुंच कर पीड़ितों का हाल जाना. लेकिन, इस घटना के बाद से सभी मंत्रियों की बोलती बंद हो गई है. वहीं, कई नेता ने तो इस मुद्दे पर जवाब देने से इंकार कर दिया है. अगर अस्पतालों की बात की जाए तो आईसीयू में भी कोई खास सुविधा नहीं दिख रही है. सरकार के स्वास्थय को लेकर किए गए सारे वादे विफल साबित हो रहे हैं.
आर्थिक सलाहकार की राय
इस मामले में कुछ विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी है. सामाजिक और आर्थिक मामलों के सलाहकार डीएम दिवाकर ने कहा कि मुजफ्फरपुर में इतने बच्चों की मौत हुई है. इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा? उन्होंने कहा कि सरकार अगर पहले से व्यवस्था करती तो ये दिन शायद देखने को नहीं मिलती. सरकार ने चमकी बुखार से निबटने के लिए एक भी विशेष टीम अब तक नहीं भेजी. इस बीमारी को दूर करन के लिए सरकार की ओर से कोई जागरुकता अभियान भी नहीं चलाया जा रहा है.
डॉक्टर ने कही सरकार की लापरवाही
वहीं, डॉ दिवाकर तेजस्वी का मानना है कि सरकार ने ना सिर्फ प्रशासनिक स्तर पर बल्कि स्वास्थ्य सुविधाओं के हिसाब से भी बड़ी लापरवाही दिखाई है. गांव में जितने भी अस्पताल हैं, उनमें बेसिक सुविधाएं नहीं हैं. जहां बच्चों को भर्ती करके तुरंत इलाज करके उनकी जान बचाई जा सके. उन्होंने कहा कि अस्पताल में पैरासिटामोल और ओआरएस हमेशा मौजूद होनी चााहिए. अगर ये सब दवा उपलब्ध हो तो कई जान बच सकती थी.
अब तक हुई घटना में...
- 'चमकी ' से 168 बच्चों की हुई मौत
- CM नीतीश कुमार ने लिया जायजा
- परिजनों ने किया CM का विरोध
- केन्द्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने भी मुजफ्फरपुर का किया दौरा
- स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने भी किया अस्पताल का निरीक्षण