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'चमकी' पर विशेषज्ञों की राय- अब भी लापरवाही बरत रही है सरकार

बिहार सरकार से लेकर केन्द्र के कई मंत्रियों ने भी मौके पर पहुंच कर पीड़ितों का हाल जाना. लेकिन, इस घटना के बाद से सभी मंत्री बोलने से परहेज कर रहे हैं.

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Published : Jun 20, 2019, 6:35 PM IST

Updated : Jun 20, 2019, 6:45 PM IST

पटना: चमकी बुखार ने पूरे भारत को सदमे में डाल दिया है. मुजफ्फरपुर के बाद ये बीमारी ने अन्य जिलों में भी पैर पसारने शुरू कर दिए हैं. इस बीमारी ने लोगों के दिल को झकझोर कर रख दिया है. ऐसे में सरकार कितना सचेत है. इस बात की जानकारी कुछ विशेषज्ञों ने दी है.

इस मौत भरी मंजर को देखने के बाद लोगों की रुह कांप रही है. मुजफ्फरपुर से हर दिन चमकी से बच्चों की मौत की खबरें सामने आ रही है. इस बीमारी ने अब तक 168 बच्चों की जिन्दगी छीन ली. लेकिन, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार अब भी होश में नहीं आई है.

patna
सीएम अस्पताल का निरीक्षण करते हुए

स्वास्थ्य सुविधा नदारद
इस दुखभरी घटना का हाल सीएम से लेकर डीएम तक ने लिया. बिहार सरकार से लेकर केन्द्र के कई मंत्रियों ने भी मौके पर पहुंच कर पीड़ितों का हाल जाना. लेकिन, इस घटना के बाद से सभी मंत्रियों की बोलती बंद हो गई है. वहीं, कई नेता ने तो इस मुद्दे पर जवाब देने से इंकार कर दिया है. अगर अस्पतालों की बात की जाए तो आईसीयू में भी कोई खास सुविधा नहीं दिख रही है. सरकार के स्वास्थय को लेकर किए गए सारे वादे विफल साबित हो रहे हैं.

आर्थिक सलाहकार की राय
इस मामले में कुछ विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी है. सामाजिक और आर्थिक मामलों के सलाहकार डीएम दिवाकर ने कहा कि मुजफ्फरपुर में इतने बच्चों की मौत हुई है. इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा? उन्होंने कहा कि सरकार अगर पहले से व्यवस्था करती तो ये दिन शायद देखने को नहीं मिलती. सरकार ने चमकी बुखार से निबटने के लिए एक भी विशेष टीम अब तक नहीं भेजी. इस बीमारी को दूर करन के लिए सरकार की ओर से कोई जागरुकता अभियान भी नहीं चलाया जा रहा है.

पटना से अमित वर्मा की रिपोर्ट

डॉक्टर ने कही सरकार की लापरवाही
वहीं, डॉ दिवाकर तेजस्वी का मानना है कि सरकार ने ना सिर्फ प्रशासनिक स्तर पर बल्कि स्वास्थ्य सुविधाओं के हिसाब से भी बड़ी लापरवाही दिखाई है. गांव में जितने भी अस्पताल हैं, उनमें बेसिक सुविधाएं नहीं हैं. जहां बच्चों को भर्ती करके तुरंत इलाज करके उनकी जान बचाई जा सके. उन्होंने कहा कि अस्पताल में पैरासिटामोल और ओआरएस हमेशा मौजूद होनी चााहिए. अगर ये सब दवा उपलब्ध हो तो कई जान बच सकती थी.

अब तक हुई घटना में...

  • 'चमकी ' से 168 बच्चों की हुई मौत
  • CM नीतीश कुमार ने लिया जायजा
  • परिजनों ने किया CM का विरोध
  • केन्द्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने भी मुजफ्फरपुर का किया दौरा
  • स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने भी किया अस्पताल का निरीक्षण

पटना: चमकी बुखार ने पूरे भारत को सदमे में डाल दिया है. मुजफ्फरपुर के बाद ये बीमारी ने अन्य जिलों में भी पैर पसारने शुरू कर दिए हैं. इस बीमारी ने लोगों के दिल को झकझोर कर रख दिया है. ऐसे में सरकार कितना सचेत है. इस बात की जानकारी कुछ विशेषज्ञों ने दी है.

इस मौत भरी मंजर को देखने के बाद लोगों की रुह कांप रही है. मुजफ्फरपुर से हर दिन चमकी से बच्चों की मौत की खबरें सामने आ रही है. इस बीमारी ने अब तक 168 बच्चों की जिन्दगी छीन ली. लेकिन, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार अब भी होश में नहीं आई है.

patna
सीएम अस्पताल का निरीक्षण करते हुए

स्वास्थ्य सुविधा नदारद
इस दुखभरी घटना का हाल सीएम से लेकर डीएम तक ने लिया. बिहार सरकार से लेकर केन्द्र के कई मंत्रियों ने भी मौके पर पहुंच कर पीड़ितों का हाल जाना. लेकिन, इस घटना के बाद से सभी मंत्रियों की बोलती बंद हो गई है. वहीं, कई नेता ने तो इस मुद्दे पर जवाब देने से इंकार कर दिया है. अगर अस्पतालों की बात की जाए तो आईसीयू में भी कोई खास सुविधा नहीं दिख रही है. सरकार के स्वास्थय को लेकर किए गए सारे वादे विफल साबित हो रहे हैं.

आर्थिक सलाहकार की राय
इस मामले में कुछ विशेषज्ञों ने अपनी राय रखी है. सामाजिक और आर्थिक मामलों के सलाहकार डीएम दिवाकर ने कहा कि मुजफ्फरपुर में इतने बच्चों की मौत हुई है. इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा? उन्होंने कहा कि सरकार अगर पहले से व्यवस्था करती तो ये दिन शायद देखने को नहीं मिलती. सरकार ने चमकी बुखार से निबटने के लिए एक भी विशेष टीम अब तक नहीं भेजी. इस बीमारी को दूर करन के लिए सरकार की ओर से कोई जागरुकता अभियान भी नहीं चलाया जा रहा है.

पटना से अमित वर्मा की रिपोर्ट

डॉक्टर ने कही सरकार की लापरवाही
वहीं, डॉ दिवाकर तेजस्वी का मानना है कि सरकार ने ना सिर्फ प्रशासनिक स्तर पर बल्कि स्वास्थ्य सुविधाओं के हिसाब से भी बड़ी लापरवाही दिखाई है. गांव में जितने भी अस्पताल हैं, उनमें बेसिक सुविधाएं नहीं हैं. जहां बच्चों को भर्ती करके तुरंत इलाज करके उनकी जान बचाई जा सके. उन्होंने कहा कि अस्पताल में पैरासिटामोल और ओआरएस हमेशा मौजूद होनी चााहिए. अगर ये सब दवा उपलब्ध हो तो कई जान बच सकती थी.

अब तक हुई घटना में...

  • 'चमकी ' से 168 बच्चों की हुई मौत
  • CM नीतीश कुमार ने लिया जायजा
  • परिजनों ने किया CM का विरोध
  • केन्द्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने भी मुजफ्फरपुर का किया दौरा
  • स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने भी किया अस्पताल का निरीक्षण
Intro:मुजफ्फरपुर में पिछले करीब 10 साल से बच्चों की मौत हो रही है। लेकिन कभी भी मुख्यमंत्री रहते नीतीश कुमार वहां नहीं गए। इस बार आंकड़ा ज्यादा हो गया, सरकार ने कुछ किया नहीं था, लापरवाही बिल्कुल सामने दिख रही थी तो सरकार की बोलती बंद है। पेश है खास रिपोर्ट


Body:बच्चों की मौत बिहार के लिए कोई नई बात नहीं है। एक बड़ा मामला छपरा के मशरख में भी हुआ था जब जहरीला भोजन खाने से 23 बच्चों की मौत हो गई थी। मुजफ्फरपुर में पिछले करीब 10 साल में एक हजार से ज्यादा बच्चे काल के गाल में समा चुके हैं। इस बार मुजफ्फरपुर के साथ बिहार के करीब 18 जिलों से चमकी बुखार या इंसेफेलाइटिस से बच्चों की मौत की खबर आ रही है। सरकार के पास यह बहाना भी नहीं कि वह किसी और पूर्व मुख्यमंत्री पर आरोप लगा सके। इसलिए ना सिर्फ मुख्यमंत्री बल्कि उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री की भी बोलती बंद है।
यह बड़ा सवाल यह है कि जिन बच्चों की मौत हुई है उनकी जान बचाई जा सकती थी सरकार ने अगर पहले ही प्रीवेंटिव और करेक्टिव एक्शन लिया रहता तो यह मामला सामने नहीं आता कई बार मुजफ्फरपुर में रिसर्च सेंटर और 100 बेड का आईसीयू खोलने की बात कही गई लेकिन उस पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। उत्तर बिहार में एक एम्स खोलने की बात भी हुई थी लेकिन इस पर भी आज तक सरकार अपने लेवल से कुछ कर नहीं पाई। ले देकर एक श्री कृष्ण मेमोरियल अस्पताल है जहां बच्चों का इलाज हो रहा है।
लेकिन इनके अलावा भी कई लापरवाही बरती गई है जिन पर ध्यान देने की जरूरत है इस बारे में सामाजिक और आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ डीएम दिवाकर ने कहा कि आखिर इतने बच्चों की मौत हो रही है लेकिन सरकार अब भी उन जगहों पर अपनी कोई विशेष टीम नहीं भेज रही जहां से सबसे ज्यादा बच्चे चमकी बुखार से प्रभावित हो रहे हैं ना ही कोई जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है जिससे प्रभावित बच्चों की संख्या और ना पड़े इस बारे में डॉ दिवाकर तेजस्वी ने कहा कि सरकार ने ना सिर्फ प्रशासनिक स्तर पर बल्कि स्वास्थ्य सुविधाओं के हिसाब से भी बड़ी लापरवाही दिखाई है गांव में जितने भी अस्पताल हैं उनमें बेसिक सुविधाएं नहीं है जहां बच्चों को भर्ती करके तुरंत इलाज करके उनकी जान बचाई जा सके।
कहीं ना कहीं यह साफ नजर आ रहा है कि सरकार को बारिश का इंतजार है कि कैसे जल्द से जल्द मानसून आए बारिश शुरू हो और मामला खत्म हो और फिर वही ढाक के तीन पात।


Conclusion:बाइट
प्रो. डीएम दिवाकर सामाजिक एवं आर्थिक विशेषज्ञ

डॉ दिवाकर तेजस्वी जनरल फिजिशियन
Last Updated : Jun 20, 2019, 6:45 PM IST
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