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मसौढ़ी में गौपालकों ने धूमधाम से मनाया गोवर्धन त्योहार - etv bharat bihar

पटना जिले के मसौढ़ी में गौपालकों ने धूमधाम से गोवर्धन त्योहार मनाया. आज के ही दिन भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र देव के अहंकार को दूर किया था.

गोवर्धन पूजा
गोवर्धन पूजा
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Published : Nov 5, 2021, 2:57 PM IST

पटना: पटना जिले के मसौढ़ी में गौपालकों ने धूमधाम से गोवर्धन त्योहार (Govardhan Puja) मनाया. पुराणों में कहा गया है कि भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र देव के अहंकार को दूर करने के लिए और ब्रज वासियों को इंद्र के कोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठा लिया था. उसी दिन से गोवर्धन त्योहार मनाया जाता है. दीपावली के 1 दिन बाद पूरे देश में गोवर्धन पूजा की जाती है. इस दिन गायों की पूजा की जाती है.

यह भी पढ़ें- सिंगापुर में भी गूंज रहे छठी मईया के गीत, सात समंदर पार आकर भी नहीं भूले अपनी संस्कृति

कहा जाता है कि गाय में माता लक्ष्मी का वास होता है. गाय मां गंगा की तरह पवित्र मानी जाती है और उसमें सभी देवी-देवताओं का वास होता है. जब भगवान इंद्र को अहंकार हो गया था कि पूरे पृथ्वी पर मेरे दिए हुए जल से अन्न उपजता है. लोग उसी से जिंदा रहते हैं तो हमारी पूजा पहले होनी चाहिए. इसी अहंकार के कारण इंद्र ने सभी पृथ्वी वासियों को लगातार मूसलाधार बारिश कर कोप देना चाहा.

देखें वीडियो

ऐसे में भगवान श्री कृष्ण ने सभी ब्रज वासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया. उसी समय से गोवर्धन पूजा की परंपरा चली आ रही है. गोवर्धन पूजा के दिन पूरे देश में कई तरह के आयोजन किए जाते हैं. गौपालक अपने गायों को स्नान करवाकर उनकी पूजा करते हैं. आज के ही दिन अन्नकूट दिवस भी मनाया जाता है.

यह भी पढ़ें- ऐतिहासिक सुंदरी मठ में केदारनाथ से पीएम मोदी ने की पूजा अर्चना, गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा का किया अनावरण

पटना: पटना जिले के मसौढ़ी में गौपालकों ने धूमधाम से गोवर्धन त्योहार (Govardhan Puja) मनाया. पुराणों में कहा गया है कि भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र देव के अहंकार को दूर करने के लिए और ब्रज वासियों को इंद्र के कोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी कनिष्ठा उंगली पर उठा लिया था. उसी दिन से गोवर्धन त्योहार मनाया जाता है. दीपावली के 1 दिन बाद पूरे देश में गोवर्धन पूजा की जाती है. इस दिन गायों की पूजा की जाती है.

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कहा जाता है कि गाय में माता लक्ष्मी का वास होता है. गाय मां गंगा की तरह पवित्र मानी जाती है और उसमें सभी देवी-देवताओं का वास होता है. जब भगवान इंद्र को अहंकार हो गया था कि पूरे पृथ्वी पर मेरे दिए हुए जल से अन्न उपजता है. लोग उसी से जिंदा रहते हैं तो हमारी पूजा पहले होनी चाहिए. इसी अहंकार के कारण इंद्र ने सभी पृथ्वी वासियों को लगातार मूसलाधार बारिश कर कोप देना चाहा.

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ऐसे में भगवान श्री कृष्ण ने सभी ब्रज वासियों को बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया. उसी समय से गोवर्धन पूजा की परंपरा चली आ रही है. गोवर्धन पूजा के दिन पूरे देश में कई तरह के आयोजन किए जाते हैं. गौपालक अपने गायों को स्नान करवाकर उनकी पूजा करते हैं. आज के ही दिन अन्नकूट दिवस भी मनाया जाता है.

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