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पटना : आयुर्वेद कॉलेज में बच्चों को दी गई स्वर्ण प्राशन की खुराक

कोरोना की दूसरी लहर के मद्देनजर राजकीय आयुर्वेद कॉलेज में पुष्य नक्षत्र के मौके पर 155 बच्चों को स्वर्ण प्राशन की खुराक दी गई. डॉ. अरविंद चौरसिया ने बताया कि अस्पताल में प्रत्येक पुष्य नक्षत्र के दिन स्वर्ण प्राशन संस्कार चलता है.

आयुर्वेद कॉलेज में बच्चों को स्वर्ण प्राशन की खुराक
आयुर्वेद कॉलेज में बच्चों को स्वर्ण प्राशन की खुराक
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Published : May 19, 2021, 9:39 AM IST

पटना : राजधानी पटना के कदमकुआं स्थित राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में मंगलवार के दिन पुष्य नक्षत्र के मौके पर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए स्वर्ण प्राशन संस्कार संपन्न किया गया. इस मौके पर 155 बच्चों को स्वर्ण प्राशन की खुराक दी गई. वहीं, अभिभावकों से फीडबैक भी लिया गया जिन्हें पूर्व से स्वर्ण प्राशन की खुराक दी जा रही है.

ये भी पढ़ें : पटना: पीएमसीएच में 24 घंटे में 6 कोरोना मरीजों की गई जान

155 बच्चों को दी गई खुराक
अभिभावकों ने चिकित्सकों को बताया कि बच्चे अब पहले से ज्यादा स्वस्थ रह रहे हैं. अगर उन्हें सर्दी-खांसी-बुखार हो भी रहा है तो एक से दो दिन के अंदर ठीक भी हो जा रहे हैं. आयुर्वेद कॉलेज एवं अस्पताल के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद चौरसिया ने बताया कि स्वर्ण प्राशन की खुराक 12 साल के बच्चों को दिया जा रहा है. इसका छोटे बच्चों में अप्रत्याशित लाभ देखने को मिला है. यह औषधि बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी लाभदायक सिद्ध हो रही है.

'स्वर्ण भस्म, व्राह्मीधृत और मधु मिलाकर 6 घंटा मर्दन कर बनाया जाता है. इससे बच्चों की पाचन शक्ति बढ़ती है. शारीरिक व मानसिक बल में विकास होता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.':- डॉ. अरविंद चौरसिया, शिशु रोग विभागाध्यक्ष

इसे भी पढ़ें : पटना: शवदाह गृह में पैसे मांगने के मामले में प्राथिमकी दर्ज, प्रशासन ने दिये कार्रवाई के आदेश

बच्चों को 6 खुराक लेना जरूरी
डॉ. अरविंद चौरसिया ने ये भी बताया कि अस्पताल में प्रत्येक पुष्य नक्षत्र के दिन स्वर्ण प्राशन संस्कार चलता है. 6 महीने से 12 वर्ष के बच्चों को साल में कम से कम 6 बार इस औषधि की खुराक जरूर देनी चाहिए.

अगर इसका खुराक 6 बार से ज्यादा भी लेते हैं तो कोई हानि नहीं है. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के तीसरे लहर के आने की आशंका बन रही है. इस लहर में बच्चों के सबसे अधिक संक्रमित होने की संभावना भी बन रही है.

'आयुर्वेद कॉलेज का प्रयास है कि अधिक से अधिक बच्चों को स्वर्ण प्राशन औषधि का लाभ दिया जाए ताकि कोरोना के तीसरे लहर से वह मजबूती से लड़ सकें. बच्चे संक्रमण से बच सकें. अगर संक्रमित हो भी जाए तो अपने मजबूत इम्यूनिटी से कोरोना को मात देकर जल्द स्वस्थ हो सकें.' :- डॉ अरविंद चौरसिया, शिशु रोग विभागाध्यक्ष

पटना : राजधानी पटना के कदमकुआं स्थित राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में मंगलवार के दिन पुष्य नक्षत्र के मौके पर कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए स्वर्ण प्राशन संस्कार संपन्न किया गया. इस मौके पर 155 बच्चों को स्वर्ण प्राशन की खुराक दी गई. वहीं, अभिभावकों से फीडबैक भी लिया गया जिन्हें पूर्व से स्वर्ण प्राशन की खुराक दी जा रही है.

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155 बच्चों को दी गई खुराक
अभिभावकों ने चिकित्सकों को बताया कि बच्चे अब पहले से ज्यादा स्वस्थ रह रहे हैं. अगर उन्हें सर्दी-खांसी-बुखार हो भी रहा है तो एक से दो दिन के अंदर ठीक भी हो जा रहे हैं. आयुर्वेद कॉलेज एवं अस्पताल के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद चौरसिया ने बताया कि स्वर्ण प्राशन की खुराक 12 साल के बच्चों को दिया जा रहा है. इसका छोटे बच्चों में अप्रत्याशित लाभ देखने को मिला है. यह औषधि बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में काफी लाभदायक सिद्ध हो रही है.

'स्वर्ण भस्म, व्राह्मीधृत और मधु मिलाकर 6 घंटा मर्दन कर बनाया जाता है. इससे बच्चों की पाचन शक्ति बढ़ती है. शारीरिक व मानसिक बल में विकास होता है. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है.':- डॉ. अरविंद चौरसिया, शिशु रोग विभागाध्यक्ष

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बच्चों को 6 खुराक लेना जरूरी
डॉ. अरविंद चौरसिया ने ये भी बताया कि अस्पताल में प्रत्येक पुष्य नक्षत्र के दिन स्वर्ण प्राशन संस्कार चलता है. 6 महीने से 12 वर्ष के बच्चों को साल में कम से कम 6 बार इस औषधि की खुराक जरूर देनी चाहिए.

अगर इसका खुराक 6 बार से ज्यादा भी लेते हैं तो कोई हानि नहीं है. उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण के तीसरे लहर के आने की आशंका बन रही है. इस लहर में बच्चों के सबसे अधिक संक्रमित होने की संभावना भी बन रही है.

'आयुर्वेद कॉलेज का प्रयास है कि अधिक से अधिक बच्चों को स्वर्ण प्राशन औषधि का लाभ दिया जाए ताकि कोरोना के तीसरे लहर से वह मजबूती से लड़ सकें. बच्चे संक्रमण से बच सकें. अगर संक्रमित हो भी जाए तो अपने मजबूत इम्यूनिटी से कोरोना को मात देकर जल्द स्वस्थ हो सकें.' :- डॉ अरविंद चौरसिया, शिशु रोग विभागाध्यक्ष

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