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बिहार के 9 शहरों की GIS से होनी है मैपिंग.. क्या है ये तकनीक? विशेषज्ञ से जानें

यूरोपीय देश और अमेरिका की तर्ज पर बिहार में भी शहरों की मैपिंग के लिए जीआईएस यानी Geographic Information System तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा. एक्सपर्ट बताते हैं कि इसके इस्तेमाल से घर बैठे किसी खास इलाके या क्षेत्र की यथास्थिति का पता चल जाएगा, जिससे बेहतर योजनाएं बनाई जा सकेंगी. पढ़ें रिपोर्ट..

क्या है GIS तकनीक
क्या है GIS तकनीक
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Published : Jan 7, 2022, 8:13 PM IST

पटनाः बिहार के 9 शहरों की मैपिंग जीआईएस तकनीक से करने की तैयारी (GIS technology Will Implemented In Bihar) हो रही है. जीआईएस मैपिंग से इन शहरों का मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा. इसके बाद बिहार के अन्य जिलों में भी इस तकनीक के जरिए नगर विकास विभाग लोगों की जिंदगी आसान बनाने का मास्टर प्लान तैयार करेगा.

इसे भी पढ़ें- IIT रुड़की की पहल, ऑनलाइन जमीनों की रजिस्ट्री करने वाला बिहार बनेगा पहला राज्य

यूरोप और अमेरिका में जिस तकनीक का लंबे समय से इस्तेमाल हो रहा है अब उस तकनीक के जरिए बिहार में भी नगर विकास विभाग काम शुरू करने जा रहा है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर क्या है GIS तकनीक, यानी ज्योग्राफिक एनफॉरमेशन सिस्टम. सामाजिक भूगोल विशेषज्ञ डॉ राकेश तिवारी ने ईटीवी भारत को बताया कि जीआईएस ऐसी तकनीक है जिसकी मदद से किसी खास एरिया की मैपिंग की जाती है.

एग्रीकल्चर, डिफेंस, आर्किटेक्चर और टाउन प्लैनिंग में विशेष रूप से जीआईएस तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है. सीधे-सीधे शब्दों में समझें तो अगर आपको जमीन खरीदनी है, तो अब आपको उस जगह पर जाकर जमीन देखने की बजाय घर बैठे उस जमीन के बारे में और उस जमीन के आसपास के इलाके की पूरी जानकारी मिल जाएगी.

रिपोर्ट में समझें क्या है जीआईएस तकनीक

इसे भी पढ़ें- BJP ने कर दिया साफ.. JDU का एजेंडा है जातीय जनगणना.. हम नहीं हैं साथ

वह भूमि किस जगह पर है. घर बनाने के लिए सही है या नहीं. उस जमीन के आसपास क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं. ये सब घर बैठे एक क्लिक पर जाना जा सकता है. जाहिर तौर पर इस तकनीक के इस्तेमाल से कई समस्याओं से लोगों को निजात मिल सकेगी.

राकेश तिवारी ने बताया की जीआईएस की मदद से हम कई काम आसान कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि विदेशों में तो यह तकनीक पहले से काम कर रही है. इसके मदद से हम किसी खास इलाके में मौजूद सारी सुविधाओं को ट्रैक कर पाएंगे. इस सुविधा से सबसे ज्यादा फायदा सर्विस इंडस्ट्री को होगा. विशेष रूप से एजुकेशन और हेल्थ सेक्टर के डेवलपमेंट में जीआईएस तकनीक कारगर साबित होगी.

इसे भी पढ़ें- जाति.. साथी और राजनीति, बिहार में शुरू हुई 'ऑफर' POLITICS.. 'चक्रव्यूह' में BJP

इसका इस्तेमाल कर हम यह देख पाएंगे कि किसी खास क्षेत्र में कितने प्राइमरी स्कूल, कितने सेकेंडरी स्कूल उपलब्ध हैं. उस स्कूल से कितने क्षेत्रफल के लोग फायदा उठा रहे हैं या किस क्षेत्र में कितने अस्पताल है और कहां अस्पताल या स्कूल खोलने की जरूरत है. यह तमाम जानकारी हमें घर बैठे मिल जाएगी और हम संबंधित कार्य क्षेत्र की योजना बना पाएंगे.

बिहार नगर विकास विभाग ने अररिया, फारबिसगंज, खगड़िया, लखीसराय, जमुई, भभुआ, शिवहर, सीतामढ़ी और मधुबनी के लिए एजेंसियों से प्रस्ताव मांगे हैं. वहीं, बक्सर, किशनगंज, कटिहार, सासाराम, डेहरी, मोतिहारी, बगहा, बेतिया, हाजीपुर, सिवान औरंगाबाद में पहले से मास्टर प्लान की प्रक्रिया चल रही है.

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पटनाः बिहार के 9 शहरों की मैपिंग जीआईएस तकनीक से करने की तैयारी (GIS technology Will Implemented In Bihar) हो रही है. जीआईएस मैपिंग से इन शहरों का मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा. इसके बाद बिहार के अन्य जिलों में भी इस तकनीक के जरिए नगर विकास विभाग लोगों की जिंदगी आसान बनाने का मास्टर प्लान तैयार करेगा.

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यूरोप और अमेरिका में जिस तकनीक का लंबे समय से इस्तेमाल हो रहा है अब उस तकनीक के जरिए बिहार में भी नगर विकास विभाग काम शुरू करने जा रहा है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर क्या है GIS तकनीक, यानी ज्योग्राफिक एनफॉरमेशन सिस्टम. सामाजिक भूगोल विशेषज्ञ डॉ राकेश तिवारी ने ईटीवी भारत को बताया कि जीआईएस ऐसी तकनीक है जिसकी मदद से किसी खास एरिया की मैपिंग की जाती है.

एग्रीकल्चर, डिफेंस, आर्किटेक्चर और टाउन प्लैनिंग में विशेष रूप से जीआईएस तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है. सीधे-सीधे शब्दों में समझें तो अगर आपको जमीन खरीदनी है, तो अब आपको उस जगह पर जाकर जमीन देखने की बजाय घर बैठे उस जमीन के बारे में और उस जमीन के आसपास के इलाके की पूरी जानकारी मिल जाएगी.

रिपोर्ट में समझें क्या है जीआईएस तकनीक

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वह भूमि किस जगह पर है. घर बनाने के लिए सही है या नहीं. उस जमीन के आसपास क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं. ये सब घर बैठे एक क्लिक पर जाना जा सकता है. जाहिर तौर पर इस तकनीक के इस्तेमाल से कई समस्याओं से लोगों को निजात मिल सकेगी.

राकेश तिवारी ने बताया की जीआईएस की मदद से हम कई काम आसान कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि विदेशों में तो यह तकनीक पहले से काम कर रही है. इसके मदद से हम किसी खास इलाके में मौजूद सारी सुविधाओं को ट्रैक कर पाएंगे. इस सुविधा से सबसे ज्यादा फायदा सर्विस इंडस्ट्री को होगा. विशेष रूप से एजुकेशन और हेल्थ सेक्टर के डेवलपमेंट में जीआईएस तकनीक कारगर साबित होगी.

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इसका इस्तेमाल कर हम यह देख पाएंगे कि किसी खास क्षेत्र में कितने प्राइमरी स्कूल, कितने सेकेंडरी स्कूल उपलब्ध हैं. उस स्कूल से कितने क्षेत्रफल के लोग फायदा उठा रहे हैं या किस क्षेत्र में कितने अस्पताल है और कहां अस्पताल या स्कूल खोलने की जरूरत है. यह तमाम जानकारी हमें घर बैठे मिल जाएगी और हम संबंधित कार्य क्षेत्र की योजना बना पाएंगे.

बिहार नगर विकास विभाग ने अररिया, फारबिसगंज, खगड़िया, लखीसराय, जमुई, भभुआ, शिवहर, सीतामढ़ी और मधुबनी के लिए एजेंसियों से प्रस्ताव मांगे हैं. वहीं, बक्सर, किशनगंज, कटिहार, सासाराम, डेहरी, मोतिहारी, बगहा, बेतिया, हाजीपुर, सिवान औरंगाबाद में पहले से मास्टर प्लान की प्रक्रिया चल रही है.

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