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NIDJAM 2023: रूढ़िवादी समाज और गरीबी को पछाड़ कर बिहार की बेटियां खेल की दुनिया में बना रहीं पहचान

बिहार की लड़कियां इन दिनों खेल के प्रति काफी रुचि दिखा रही हैं. इसी का परिणाम है कि लड़कियां खेल में अपना नाम पहचान बनाकर देश का नाम रोशन करने की तैयारी कर रही हैं. लेकिन इन लड़कियों को तैयारी करने में क्या परेशानी आ रही है. उनकी आर्थिक स्थिति तो कहीं बाधा नहीं बन रही है. समाज का नजरिया इन लड़कियों को लेकर क्या है, इस पर Etv bharat ने पटना में आयोजित खेल प्रतियोगिता (patna Sports News) में भाग ले रहीं कुछ महिला खिलाड़ियों से बात की.

बिहार की लड़कियां
बिहार की लड़कियां
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Published : Feb 11, 2023, 5:52 PM IST

खेल से बना रहीं पहचान.

पटना: लड़कियां भी खेलों में आगे आ रही हैं. लड़कों से बेहतर कर रही हैं. ओलिंपिक और इंटरनेशनल स्तर पर देश के लिए मेडल जीतकर लाएं, इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गयी है. पाटलिपुत्र खेल परिसर में एथलेटिक खोज प्रतियोगिता (NIDJAM 2023) का आयोजन किया जा रहा है. देश के करीब 600 जिलों से 6000 खिलाड़ी इसमें भाग ले रहे हैं. प्रतियोगिता में लड़कियों भी बड़ी संख्या में भाग लेने पहुंची हैं.

इसे भी पढ़ेंः NIDJAM 2023 : देशभर के एथलीट का बिहार में लगा जमावड़ा, खेलो इंडिया के तहत गरीब बच्चों को भी मिला मौका

"पहले के जमाने में भले ही लड़कियों को सपोर्ट नहीं मिलता हो, लेकिन अब तो घर परिवार के साथ साथ सरकार का काफी सहयोग मिलता है. बिहार सरकार तो कई बार राष्ट्रीय स्तर पर ट्रेनिंग दिलवायी है. भले ही मेरे पापा मजदूर हैं, पैसे की थोड़ी सी दिक्कत होती है लेकिन मैनेज करके पढ़ाई लिखाई के साथ खेलकूद भी जारी है. मेरा बस एक ही सपना है कि 2028 के होने वाले ओलंपिक में बिहार का नाम रोशन कर सकूं"- निशी, खिलाड़ी

शहीद हो गये हैं पिताः छपरा की रहने वाली सोनी कुमारी ने ईटीवी भारत की टीम से बताया कि उनके पिता शहीद हो गए हैं. पुलिस जवान थे. नक्सलियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे. सोनी ने कहा कि वह तीन बहनें हैं. तीनों बहन खेल के माध्यम से अपने घर परिवार के साथ राज्य का नाम रोशन करना चाहती हैं. उसने बताया कि उसकी मां हाउसवाइफ है. मध्यम वर्गीय परिवार से आती हैं, इसके बावजूद मां और मामा का काफी सपोर्ट मिलता है.

इसे भी पढ़ेंः NIDJAM 2023 In Patna : 'खेलों में तेजी आगे बढ़ रहा है बिहार, NIDJAM से कई प्रतिभा आएंगी सामने'- अंजू बॉबी जॉर्ज

आज भी रूढ़िवादी सोचः सोनी ने बताया कि समाज आज भी थोड़ा रूढ़िवादी सोच रखता है. लड़की होने के नाते ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग ताने मारते हैं कि लड़की होकर क्या करेगी. उसने बताया कि उसने जिला स्तर से लेकर नेशनल तक खेल चुकी है. उसने कहा कि लड़कियों को लोग अलग नजरिए से देखते हैं. लेकिन सरकार जिस हिसाब से अब खेल में लड़कियों को सपोर्ट कर रही है इसी का नतीजा है कि बिहार की लड़कियां भी खेल में रोशन कर रही है. उन्होंने कहा कि मेरा बस एक ही सपना है कि 2028 में होने वाले ओलंपिक में बिहार का नाम रोशन करूं.

प्रशिक्षण से खेल में निखार आयाः सोनी ने बताया कि उसने जिला स्तर से लेकर नेशनल तक खेल चुकी हूं. भोपाल में खेलो इंडिया यूथ गेम्स और गुवाहाटी में खेलो इंडिया यूथ गेम जूनियर में खेलने का मौका मिला था. सोनी ने कहा कि खेल प्राधिकरण के डीजी रविंद्र शंकरण के प्रयासों से उनका चयन भोपाल खेलो इंडिया प्रशिक्षण शिविर के लिए हुआ था. वहां मिले बेहतर प्रशिक्षण से खेल में निखार आया और गुवाहाटी में जूनियर नेशनल एथलेटिक्स 41.2मीटर चक्का फेंक में कांस्य पदक लिया.

इसे भी पढ़ेंः NIDJAM 2023 In Patna: राष्ट्रीय अंतर जिला जूनियर एथलेटिक्स मीट में लड़कियों का दबदबा, बिहार की दो बेटियों ने हाई जंप में किया क्वालिफाई

मजदूर की बेटी का संघर्ष: रोहतास की निशी कुमारी ने कहा कि वह भाला फेंक प्रतियोगिता में भाग ले रही है. उसके पिता मजदूर हैं. इसके बाद भी खेल के माध्यम से आगे बढ़ाना चाहती है. निशी ने बताया कि छठी क्लास से प्रैक्टिस कर रही है. रोज स्कूल भी जाते थी. पढ़ाई लिखाई भी करती थी. उसने बताया कि उसका एक छोटा भाई है. मां हाउसवाइफ है. पढ़ाई में पैसा अधिक खर्च होता है लेकिन पिताजी का काफी सपोर्ट मिलता है. वह पढ़ाई के साथ साथ खेल में भी अपना नाम और पहचान बनाकर देश का नाम रोशन करना चाहती है.

सरकार का भी मिल रहा सहयोगः निशी ने कहा कि पहले के जमाने में भले हैं लड़कियों को सपोर्ट नहीं मिलता हो, लेकिन अब तो घर परिवार के साथ साथ सरकार का काफी सहयोग मिलता है. बिहार सरकार तो कई बार राष्ट्रीय स्तर पर ट्रेनिंग दिलवायी है. उसने कहा कि भले ही पापा मेरे मजदूर हैं पैसे की थोड़ी सी दिक्कत होती है लेकिन मैनेज करके पढ़ाई लिखाई के साथ खेलकूद भी जारी है. निशी का कहना है कि उसका बस एक ही सपना है कि 2028 के होने वाले ओलंपिक में बिहार का नाम रोशन कर सके.

खेल से बना रहीं पहचान.

पटना: लड़कियां भी खेलों में आगे आ रही हैं. लड़कों से बेहतर कर रही हैं. ओलिंपिक और इंटरनेशनल स्तर पर देश के लिए मेडल जीतकर लाएं, इसके लिए तैयारी शुरू कर दी गयी है. पाटलिपुत्र खेल परिसर में एथलेटिक खोज प्रतियोगिता (NIDJAM 2023) का आयोजन किया जा रहा है. देश के करीब 600 जिलों से 6000 खिलाड़ी इसमें भाग ले रहे हैं. प्रतियोगिता में लड़कियों भी बड़ी संख्या में भाग लेने पहुंची हैं.

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"पहले के जमाने में भले ही लड़कियों को सपोर्ट नहीं मिलता हो, लेकिन अब तो घर परिवार के साथ साथ सरकार का काफी सहयोग मिलता है. बिहार सरकार तो कई बार राष्ट्रीय स्तर पर ट्रेनिंग दिलवायी है. भले ही मेरे पापा मजदूर हैं, पैसे की थोड़ी सी दिक्कत होती है लेकिन मैनेज करके पढ़ाई लिखाई के साथ खेलकूद भी जारी है. मेरा बस एक ही सपना है कि 2028 के होने वाले ओलंपिक में बिहार का नाम रोशन कर सकूं"- निशी, खिलाड़ी

शहीद हो गये हैं पिताः छपरा की रहने वाली सोनी कुमारी ने ईटीवी भारत की टीम से बताया कि उनके पिता शहीद हो गए हैं. पुलिस जवान थे. नक्सलियों से मुठभेड़ के दौरान शहीद हो गए थे. सोनी ने कहा कि वह तीन बहनें हैं. तीनों बहन खेल के माध्यम से अपने घर परिवार के साथ राज्य का नाम रोशन करना चाहती हैं. उसने बताया कि उसकी मां हाउसवाइफ है. मध्यम वर्गीय परिवार से आती हैं, इसके बावजूद मां और मामा का काफी सपोर्ट मिलता है.

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आज भी रूढ़िवादी सोचः सोनी ने बताया कि समाज आज भी थोड़ा रूढ़िवादी सोच रखता है. लड़की होने के नाते ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग ताने मारते हैं कि लड़की होकर क्या करेगी. उसने बताया कि उसने जिला स्तर से लेकर नेशनल तक खेल चुकी है. उसने कहा कि लड़कियों को लोग अलग नजरिए से देखते हैं. लेकिन सरकार जिस हिसाब से अब खेल में लड़कियों को सपोर्ट कर रही है इसी का नतीजा है कि बिहार की लड़कियां भी खेल में रोशन कर रही है. उन्होंने कहा कि मेरा बस एक ही सपना है कि 2028 में होने वाले ओलंपिक में बिहार का नाम रोशन करूं.

प्रशिक्षण से खेल में निखार आयाः सोनी ने बताया कि उसने जिला स्तर से लेकर नेशनल तक खेल चुकी हूं. भोपाल में खेलो इंडिया यूथ गेम्स और गुवाहाटी में खेलो इंडिया यूथ गेम जूनियर में खेलने का मौका मिला था. सोनी ने कहा कि खेल प्राधिकरण के डीजी रविंद्र शंकरण के प्रयासों से उनका चयन भोपाल खेलो इंडिया प्रशिक्षण शिविर के लिए हुआ था. वहां मिले बेहतर प्रशिक्षण से खेल में निखार आया और गुवाहाटी में जूनियर नेशनल एथलेटिक्स 41.2मीटर चक्का फेंक में कांस्य पदक लिया.

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मजदूर की बेटी का संघर्ष: रोहतास की निशी कुमारी ने कहा कि वह भाला फेंक प्रतियोगिता में भाग ले रही है. उसके पिता मजदूर हैं. इसके बाद भी खेल के माध्यम से आगे बढ़ाना चाहती है. निशी ने बताया कि छठी क्लास से प्रैक्टिस कर रही है. रोज स्कूल भी जाते थी. पढ़ाई लिखाई भी करती थी. उसने बताया कि उसका एक छोटा भाई है. मां हाउसवाइफ है. पढ़ाई में पैसा अधिक खर्च होता है लेकिन पिताजी का काफी सपोर्ट मिलता है. वह पढ़ाई के साथ साथ खेल में भी अपना नाम और पहचान बनाकर देश का नाम रोशन करना चाहती है.

सरकार का भी मिल रहा सहयोगः निशी ने कहा कि पहले के जमाने में भले हैं लड़कियों को सपोर्ट नहीं मिलता हो, लेकिन अब तो घर परिवार के साथ साथ सरकार का काफी सहयोग मिलता है. बिहार सरकार तो कई बार राष्ट्रीय स्तर पर ट्रेनिंग दिलवायी है. उसने कहा कि भले ही पापा मेरे मजदूर हैं पैसे की थोड़ी सी दिक्कत होती है लेकिन मैनेज करके पढ़ाई लिखाई के साथ खेलकूद भी जारी है. निशी का कहना है कि उसका बस एक ही सपना है कि 2028 के होने वाले ओलंपिक में बिहार का नाम रोशन कर सके.

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