हल्द्वानी/पटना : सूर्यदेव और छठी मैया की उपासना का महापर्व छठ (Chhath Puja 2022) शुक्रवार से शुरू हाे रहा है. चार दिन चलने वाले पर्व की शुरुआत नहाय खाय से होगी. पूर्वांचल के छठ महापर्व की तैयारी उत्तराखंड में भी देखने को मिल रही है. हल्द्वानी में छठ पर्व को लेकर पूर्वांचल के लोगों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. इसके तहत छठ घाट का रंग-रोगन के साथ ही पानी और बिजली की व्यवस्था की जा रही है.
ये भी पढ़ें - भारत-नेपाल सीमा के झीम नदी घाट पर छठ का अद्भुत नजारा, हजारों श्रद्धालु देते हैं भगवान भास्कर को अर्घ्य
हल्द्वानी में छठ की धूम : कुमाऊं के प्रवेश द्वार हल्द्वानी में भी छठ पूजा (Chhath Puja in Haldwani) धूमधाम से मनाई जाती है. क्योंकि, हल्द्वानी में भी पूर्वांचल के काफी लोग निवास करते हैं. इसलिए अपने पारंपरिक त्यौहारों को बड़े धूमधाम से मनाते हैं. हल्द्वानी में छठ पूजा सेवा समिति के पदाधिकारी शंकर भगत ने बताया कि सूर्य उपासना का महापर्व छठ 28 अक्टूबर से शुरू होगा. इस दिन शुद्धिकरण के बाद नहाय-खाय होगा. जबकि, 29 को खरना में मीठी खीर का भोग लगाया जाएगा.
30 को संध्या अर्घ्य : मुख्य पर्व 30 अक्टूबर को होगा. उस दिन शाम के समय महिलाएं पानी में उतरकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी. जबकि, 31 अक्टूबर की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद छठ का समापन होगा. छठ समिति के लोग हल्द्वानी स्थित सुशीला तिवारी अस्पताल के सामने छठ घाट की साफ-सफाई और रंग रोगन कर रहे हैं. समिति के लोगों का कहना है कि छठ महापर्व के मौके पर हजारों की संख्या में यहां श्रद्धालुओं की पहुंचने की उम्मीद है. ऐसे में सभी व्यवस्थाएं मुकम्मल की जा रही हैं. जिला और पुलिस प्रशासन का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है.
क्या है छठ पर्व: छठ पर्व, छइठ या षष्ठी पूजा कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाने वाला एक हिन्दू पर्व है. सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है. यह पर्व मैथिल, मगध और भोजपुरी लोगों का सबसे बड़ा पर्व है. ये उनकी संस्कृति है. छठ पर्व बिहार में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. ये एकमात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है जो वैदिक काल से चला आ रहा है और ये बिहार कि संस्कृति बन चुका है. यह पर्व बिहार कि वैदिक आर्य संस्कृति की एक छोटी सी झलक दिखाता है. ये पर्व मुख्यः रूप से ॠषियों द्वारा लिखे गए ऋग्वेद में सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार बिहार में मनाया जाता है.