पटना: बिहार में 7 जनवरी से जाति आधारित जनगणना शुरू (Caste census in Bihar from January 7) होने जा रही है. 7 जनवरी से 21 जनवरी तक सबसे पहले आवास की गणना की जाएगी और हर मकान को एक यूनिक नंबर दिया जाएगा. इसके लिए कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. आवास की गणना पूरी होने के बाद जाति आधारित गणना होगी, जो 31 मई 2023 तक पूरी कर ली जाएगी.
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7 जनवरी से शुरू होगी जातिगत जनगणना: जाति आधारित गणना को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग आज और कल 2 दिनों तक समीक्षा करेगा. सभी जिलों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से यह समीक्षा होगी. सामान्य प्रशासन विभाग के सचिव सभी जिलों के अधिकारियों के साथ बैठक कर तैयारियों की समीक्षा करेंगे. मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने 2 दिन पहले सभी डीएम के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बैठक की थी और जातीय गणना में किसी तरह की त्रुटि न हो इसका खास तौर से ध्यान रखने का निर्देश दिया था.
मुख्य सचिव ने अधिकारियों को दिया निर्देश: मुख्य सचिव ने पूरे राज्य में एक साथ गणना शुरू करने का निर्देश भी दिया था. मुख्य सचिव ने सभी कर्मचारी जो जाति गणना में शामिल होंगे उनके समुचित ट्रेनिंग और उनके कार्यों की सही ढंग से मॉनिटरिंग करने का भी निर्देश दिया था. अब उसी के बाद सामान्य प्रशासन विभाग 2 दिनों तक तैयारियों की समीक्षा करेगा. सभी डीएम, प्रधान गणना पदाधिकारी सह नोडल पदाधिकारी बनाये गए हैं.
500 करोड़ की राशि होगी खर्च: केंद्र सरकार के मना करने के बाद बिहार सरकार ने जातीय गणना कराने का फैसला लिया है और इस पर 500 करोड़ की राशि कैबिनेट से स्वीकृत की गई है. पहले फरवरी 2023 तक ही गणना पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया था, लेकिन निकाय चुनाव और जातीय गणना की तैयारी में हुए विलंब के कारण अब मई 2023 तक गणना का कार्य पूरा करने का लक्ष्य तय किया गया है. बिहार सरकार की ओर से 204 जातियों को चिन्हित किया गया है. जिसमें अति पिछड़ा 113, पिछड़ा 30, एससी 32, एसटी 32 और सामान्य वर्ग की 7 जातियां शामिल हैं.