पटना: राजधानी में पटना म्यूजियम की अलग-अलग दीर्घाओं में गौतम बुद्ध से जुड़ी कई मूर्तियां और पेंटिंग देखी जा सकती है. वहीं पटना जंक्शन के पास स्थित बुद्ध स्मृति पार्क में भी गौतम बुद्ध से जुड़े कई अमूल्य धरोहर रखे गए हैं. दुनिया भर के बुद्ध अनुयायी खास तौर पर यहां दर्शन के लिए आते हैं. पूरी दुनिया में एकमात्र यही स्थल है, जहां गौतम बुद्ध के अस्थि कलश के दर्शन किए जा सकते हैं. यहां एक विशेष गैलरी है, जहां पर गौतम बुद्ध के अस्थि कलश के दर्शन किए जा सकते हैं.
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वैशाली से प्राप्त किया गया है ये अस्थि कलश
अस्थि कलश को एक छोटे से डिब्बानुमा आकृति में संजोकर रखा गया है. ये पूर्णतया वातानुकूलित कक्ष है. बुद्ध का अस्थि कलश बिहार के वैशाली से प्राप्त किया गया है.
कैसे लाई गईं बुद्ध की अस्थियां?
भगवान बुद्ध की अस्थियां श्रीलंका के जाफना प्रायद्वीप में सदगिरी स्तूप में खुदाई के दौरान मिलीं थीं. सारनाथ के स्तूप से पत्थर के बक्से में एक हरे रंग की संगमरमर की मंजूषा से मिली इस अस्थियों के बारे में माना जाता है कि अस्थियों को गंगा में विसर्जित कर दिया गया था और मंजूषा को कोलकाता के इंडियन म्यूजियम को सौंप दिया गया था.
वैशाली से मिला था अस्थि कलश
पटना स्थित केपी जायसवाल इंस्टीट्यूट ने बिहार के वैशाली जिले में वैशालीगढ़ स्थित रेलिका स्तूप साइट से इस अस्थि कलश को 1958 में खुदाई के दौरान प्राप्त किया गया था. ये अति दुर्लभ बुद्ध के अस्थि अवशेष वास्तव में वही अस्थि अवशेष हैं, जिन्हें बुद्ध के अंतिम संस्कार के बाद 8 जनपदों के बीच बांटा गया था. इनमें से वैशाली भी एक था. इनमें से कुछ ही जगहों पर ये अस्थि अवशेष सुरक्षित मिले हैं. ऐसे में इन अवशेष स्थलों का महत्व बढ़ जाता है.
खुदाई में मिली अहम जानकारियां
एएसआई के दक्षिणी सर्किल के तत्कालीन अधीक्षक एएच लांगहर्स्ट ने 1926 से 1931 के बीच वहां खुदाई कराई थी. जिसके बाद भगवान बुद्ध से जुड़े महाचैत्य की बात सामने आई थी. लांगहर्स्ट ने अपनी रिपोर्ट द बुद्धिस्ट एंटीक्विटीज ऑफ नागार्जुनकुंडा, मद्रास प्रेसिडेंसी में बताया कि अवशेष महास्तूप के मध्य की बजाय पश्चिमोत्तर हिस्से में रखे गए थे, जिसके कारण वे खजाना तलाशने वालों की नजरों से बच गए.
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छोटे घड़े में मिले थे अवशेष
अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान नागार्जुनकुंडा में बौद्ध महाचैत्य के पश्चिमोत्तर हिस्से से एक कुली को छोटा सा टूटा हुआ घड़ा मिला था. इसकी सतह पर माला के कुछ मनके और एक छोटा सोने का बक्सा था, बक्से में रखी एक चांदी की मंजूषा में हड्डी का एक छोटा टुकड़ा रखा हुआ था. मंजूषा ढाई इंच ऊंची थी और इसमें सोने के कुछ फूल, मोती और आभूषण भी रखे थे. जिसमें रखे अवशेषों की सावधानीपूर्वक पड़ताल की गई. जिसके बाद इनकी पुष्टि महात्मा बुद्ध के अवशेष के रूप में हुई थी.
खुदाई में मिलीं 500 मूर्तियां
लांगहर्स्ट को यहां खुदाई के दौरान 500 मूर्तियां मिली थीं, जिसमें महात्मा बुद्ध के जीवन, जातकों और लोककथाओं से जुड़े घटनाक्रम को दृश्यों के माध्यम से दर्शाया गया था. साल 1927-31 के दौरान लांगहर्स्ट ने नागार्जुनकुंडा घाटी में कई स्थलों की खुदाई कराई और यहां से प्राप्त मंजूषाओं के माध्यम से कई जानकारियां सामने आईं.
संग्रहालय में विलक्षण बुद्ध मूर्तियां
पटना संग्रहालय में भी आधार तल की मूर्ति गैलरी को घूमते हुए आपको विलक्षण बुद्ध मूर्तियां नजर आती हैं. संग्रहालय में अफगानिस्तान के बहलोल से प्राप्त बुद्ध की कई मूर्तियां हैं. इनमें से पहली मूर्ति जो दिखाई देती है. वह पहली शताब्दी की है. बैठी हुई मुद्रा में शिष्ट पत्थर से निर्मित इस मूर्ति में बुद्ध को साधनारत दिखाया गया है. जिसमें वो किसी राजा के समान लग रहे हैं.
गौतम बुद्ध की बेशकीमती प्रतिमाएं
आगे 11वीं सदी में ओडिशा से प्राप्त किरिटधारी बुद्ध की प्रतिमा को देखा जा सकता है. रत्नगिरी से मिली इस प्रतिमा का एक हाथ भंग हो गया है. इसमें भी बुद्ध बैठे हुए साधना की मुद्रा में हैं. आगे बहलोल से ही प्राप्त बोधिसत्व की एक प्रतिमा है. काले पत्थरों से बनी इस प्रतिमा का एक हाथ क्षतिग्रस्त हो गया है. इसमें वे एक गृहस्ठ की भूमिका में नजर आ रहे हैं. उन्होंने धोती पहन रखी है, गले में माला भी नजर आ रही है. उनकी लंबी केशराशि है और आंखों में एक खास किस्म का संतोष का भाव नजर आ रहा है. आगे कुछ मूर्तियां ऐसी दिखाई देती हैं, जिनमें सिर्फ बुद्ध का सिर नजर आता है.
भगवान बुद्ध के अवशेष
पटना संग्रहालय में रखे भगवान बुद्ध के अवशेष इस संग्रहालय के सबसे बेशकीमती संपत्तियों में से एक है. जानकार बताते हैं कि ये अवशेष 1972 तक वैशाली में ही थे, मगर बाद में सुरक्षा कारणों से इसे पटना संग्रहालय में लाकर रखा गया. संग्रहालय के प्रथम तल पर गौतम बुद्ध से जुड़ी कुछ विशिष्ट पेंटिंग भी देखी जा सकते हैं. संग्रहालय के स्टाफ बताते हैं कि यहां खास तौर पर सर्दी के दिनों में बौद्ध देशों के विदेशी सैलानी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.
वैशाली में संग्रहालय निर्माण के आदेश
काफी इतिहास प्रेमी चाहते हैं कि इसे इसकी मूल भूमि वैशाली में ही रखा जाए. 2010 में पटना हाइकोर्ट ने बिहार सरकार को आदेश दिया था कि वो एक साल के अंदर वैशाली में एक संग्रहालय का निर्माण करवाकर, वहां बुद्ध की उन अस्थि अवशेषों को वापस वैशाली में ही रखे, पर ऐसा आज तक हो नहीं पाया है.
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वैशाली ले जाया जाएगा बुद्ध अस्थि कलश
बिहार दिवस के मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार म्यूजियम विनाले-2021 की शुरुआत करते हुए कहा था कि पटना से भगवान बुद्ध के अस्थि कलश को वैशाली के बुद्ध सम्यक दर्शन ले जाया जायेगा. पटना संग्रहालय में डॉ.राजेंद्र प्रसाद दीर्घा, पंडित राहुल सांकृत्यायन दीर्घा, आर्ट गैलरी और पेंटिंग गैलरी भी बनायी जायेगी.