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भोजपुर के पंडुरा गांव में बन रहा रामलला के लिए तुलसीजी की माला, श्रीराम और माता सीता की पत्तियों से बनाई जा रही माला - Garland of Tulsiji

भोजपुर के पंडुरा में रामलला के लिए तुलसी की माला बनाई जा रही है. यहां से हर दिन तुलसी माला बनाकर अयोध्या भेजी जा रही है. इसमें मरुन पत्ती को राम जी और हरी पत्ती को माता सीता माना जाता है. पढ़ें पूरी खबर..

तुलसी की माला
तुलसी की माला
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jan 16, 2024, 7:04 PM IST

Updated : Jan 16, 2024, 7:40 PM IST

देखें रिपोर्ट

पटना : अयोध्या में 22 जनवरी को श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में भोजपुर भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर देगा. रामलला के लिए भोजपुर जिले से तुलसी जी की माला भेजी जा रही है. इसके लिए जिले के संदेश प्रखंड के पंडुरा में तुलसीजी की 9 माला को तैयार कर भेजा जा चुका है. 16 जनवरी से मंदिर में शुरू हो रहे अनुष्ठान के लिए यहां से तुलसीजी की ताजा पत्तियों की माला भेजी गई है. हर माला का वजन लगभग एक किलो होगा. इसके साथ ही माला के साथ अनुष्ठान में बनने वाले महाप्रसाद के लिए तुलसी पत्ता भी भोजपुर से ही जाएगा.

पंडुरा में हो रही तुलसी की खेती : पंडुरा गांव के निवासी और शिक्षक अभिजीत कुमार बताते है कि रामलला की माला के लिए पंडुरा में खासतौर पर एक बीघे में तुलसी जी की खेती की गई है. पौधे की कलगी और पत्तियों से माला बनाने के लिए बेंगलुरु से तीन कारीगर को बुलाया गया है, जो दिन रात काम कर में जुटे हुए है. उन्होंने बताया कि वे एक ट्रेडिंग समूह से जुड़े हुए थे. उसी ग्रुप से जुड़े रघु ने पिछले साल जुलाई में उनसे श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा के लिए तुलसी जी की माला की आवश्यकता बताई थी. इसके बाद उन्होंने अपने घर पर बात की थी.

एक बीघा में रही तुलसी की खेती : अभिजीत कुमार ने बताया कि रघु ने हमारी बात अयोध्या मंदिर के महंत गोपाल दास से कराई. उनकी यह इच्छा है कि भोजपुर से श्रीरामलला के लिए तुलसी जी की माला भेजी जाए. उसके बाद प्रभु श्रीराम की सेवा का इससे अच्छा मौका मिल गया. अभिजीत ने तुलसी जी का बीज लाकर पहले अपनी नर्सरी तैयार की और एक बीघा खेत में उसे रोप दिया. इसमें लगभग 30 से 35 हजार रुपये का खर्च आया.

तुलसी के पौधे
तुलसी के पौधे

मैरून रंग की पत्ती राम और हरी पत्ती सीता मां : एक सप्ताह पूर्व अयोध्या मंदिर ट्रस्ट की ओर से बंगलुरु से नारायण स्वामी, गिरीश और मोरप्पा नाम के तीन कारीगरों को यहां पौधे की कटाई और माला बनाने के लिए भेजा गया. कारीगर नारायण स्वामी ने बताया कि वे लोग बंगलुरु में राम मंदिर के लिए तुलसी की माला तैयार करते हैं. उन्होंने बताया कि तुलसी जी के पौधे की कलगी और पत्तियों को 12 रेशम के धागे में पिरोकर माला को तैयार किया जाता है. इसमें मैरून रंग की पत्तियों को श्रीराम माना जाता है और हरी पत्तियों को माता सीता माना जाता है.

रोज अयोध्या भेजी जा रही है तुलसी माला : उसके बाद एक मैरून रंग की पत्ती और एक हरी रंग की पत्ती को जोड़कर माला बनाया जाता है. अभिषेक ने बताया कि 16 जनवरी से शुरू हो रहे अनुष्ठान के लिए एक दिन पहले से रोज तुलसी जी की माला आरा से रोड के माध्यम से अयोध्या भेजा जाएगा. साथ ही मुख्य समारोह में महाप्रसाद के लिए तुलसी जी का पत्ता अलग से गाड़ी से भेजा जाएगा. माला को भोजपुर से अयोध्या भेजने की जिम्मेदारी विश्व हिंदू परिषद के सदस्यों को दी गई है.

"आयोजन समिति के कामेश्वर चौपाल का दिसंबर में उन्हें फोन आया और उन्होंने पंडुरा में हो रही तुलसी जी की खेती की जानकारी देते हुए वहीं से श्रीरामलला के लिए माला आने की जानकारी दी."- अभिषेक

ये भी पढ़ें : मुजफ्फरपुर की लहठी सेट की अयोध्या में डिमांड, भक्त दे रहे ऑर्डर

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पटना : अयोध्या में 22 जनवरी को श्रीराम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में भोजपुर भी अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर देगा. रामलला के लिए भोजपुर जिले से तुलसी जी की माला भेजी जा रही है. इसके लिए जिले के संदेश प्रखंड के पंडुरा में तुलसीजी की 9 माला को तैयार कर भेजा जा चुका है. 16 जनवरी से मंदिर में शुरू हो रहे अनुष्ठान के लिए यहां से तुलसीजी की ताजा पत्तियों की माला भेजी गई है. हर माला का वजन लगभग एक किलो होगा. इसके साथ ही माला के साथ अनुष्ठान में बनने वाले महाप्रसाद के लिए तुलसी पत्ता भी भोजपुर से ही जाएगा.

पंडुरा में हो रही तुलसी की खेती : पंडुरा गांव के निवासी और शिक्षक अभिजीत कुमार बताते है कि रामलला की माला के लिए पंडुरा में खासतौर पर एक बीघे में तुलसी जी की खेती की गई है. पौधे की कलगी और पत्तियों से माला बनाने के लिए बेंगलुरु से तीन कारीगर को बुलाया गया है, जो दिन रात काम कर में जुटे हुए है. उन्होंने बताया कि वे एक ट्रेडिंग समूह से जुड़े हुए थे. उसी ग्रुप से जुड़े रघु ने पिछले साल जुलाई में उनसे श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा के लिए तुलसी जी की माला की आवश्यकता बताई थी. इसके बाद उन्होंने अपने घर पर बात की थी.

एक बीघा में रही तुलसी की खेती : अभिजीत कुमार ने बताया कि रघु ने हमारी बात अयोध्या मंदिर के महंत गोपाल दास से कराई. उनकी यह इच्छा है कि भोजपुर से श्रीरामलला के लिए तुलसी जी की माला भेजी जाए. उसके बाद प्रभु श्रीराम की सेवा का इससे अच्छा मौका मिल गया. अभिजीत ने तुलसी जी का बीज लाकर पहले अपनी नर्सरी तैयार की और एक बीघा खेत में उसे रोप दिया. इसमें लगभग 30 से 35 हजार रुपये का खर्च आया.

तुलसी के पौधे
तुलसी के पौधे

मैरून रंग की पत्ती राम और हरी पत्ती सीता मां : एक सप्ताह पूर्व अयोध्या मंदिर ट्रस्ट की ओर से बंगलुरु से नारायण स्वामी, गिरीश और मोरप्पा नाम के तीन कारीगरों को यहां पौधे की कटाई और माला बनाने के लिए भेजा गया. कारीगर नारायण स्वामी ने बताया कि वे लोग बंगलुरु में राम मंदिर के लिए तुलसी की माला तैयार करते हैं. उन्होंने बताया कि तुलसी जी के पौधे की कलगी और पत्तियों को 12 रेशम के धागे में पिरोकर माला को तैयार किया जाता है. इसमें मैरून रंग की पत्तियों को श्रीराम माना जाता है और हरी पत्तियों को माता सीता माना जाता है.

रोज अयोध्या भेजी जा रही है तुलसी माला : उसके बाद एक मैरून रंग की पत्ती और एक हरी रंग की पत्ती को जोड़कर माला बनाया जाता है. अभिषेक ने बताया कि 16 जनवरी से शुरू हो रहे अनुष्ठान के लिए एक दिन पहले से रोज तुलसी जी की माला आरा से रोड के माध्यम से अयोध्या भेजा जाएगा. साथ ही मुख्य समारोह में महाप्रसाद के लिए तुलसी जी का पत्ता अलग से गाड़ी से भेजा जाएगा. माला को भोजपुर से अयोध्या भेजने की जिम्मेदारी विश्व हिंदू परिषद के सदस्यों को दी गई है.

"आयोजन समिति के कामेश्वर चौपाल का दिसंबर में उन्हें फोन आया और उन्होंने पंडुरा में हो रही तुलसी जी की खेती की जानकारी देते हुए वहीं से श्रीरामलला के लिए माला आने की जानकारी दी."- अभिषेक

ये भी पढ़ें : मुजफ्फरपुर की लहठी सेट की अयोध्या में डिमांड, भक्त दे रहे ऑर्डर

Last Updated : Jan 16, 2024, 7:40 PM IST
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