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पटना: गार्डिनर हॉस्पिटल के अधीक्षक ने कोरोना को लेकर कही यह चौंकाने वाली बात, पढ़ें पूरी खबर

डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि एंटीबॉडी टेस्ट जांच रिपोर्ट के अनुसार ऐसा लग रहा है कि कई लोगों में एंटीबॉडी डेवलप कर चुका है और वह लोग लगभग 1 महीने पहले कोरोना के हल्के संक्रमण से संक्रमित होकर स्वस्थ भी हो चुके हैं.

पटना
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Published : Aug 7, 2020, 8:45 PM IST

पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. हालांकि, सरकार ने जांच की क्षमता बढ़ाई है और प्रदेश के विभिन्न इलाके में प्रतिदिन जांच किये जा रहे हैं. पटना के इनकम टैक्स चौराहा स्थित न्यू गार्डिनर रोड हॉस्पिटल में भी तीन प्रकार की कोरोना जांच की जा रही है. जहां पहला रैपिड एंटीजन टेस्ट, दूसरा ट्रूनेच टेस्ट और तीसरा आरटी पीसीआर टेस्ट किये जा रहे हैं. इसके अलावा अस्पताल में एंटीबॉडी माध्यम से भी जांच की जा रही है.

प्रतिदिन 200 से अधिक मरीजों को हो रही जांच
इसको लेकर न्यू गार्डिनर रोड हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ मनोज कुमार ने बताया कि अस्पताल में विभिन्न माध्यमों से प्रतिदिन लगभग 200 से ज्यादा की संख्या में कोविड-19 के सैंपल की जांच की जा रही है. जिनमें अधिकांश जांच रैपिड एंटीजन किट से किया जा रहा है. इसके बावजूद अगर किसी मरीज में संक्रमण के लक्षण हैं और उसकी जांच रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है, तो उसका आरटी पीसीआर टेस्ट कराया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि अस्पताल में ट्रूनॉट मेथड से भी कोविड-19 की जांच की जा रही है. यह मेथड आरटी-पीसीआर जैसा ही होता है. लेकिन इसकी अथेंटिसिटी आरटी पीसीआर से थोड़ी कम मानी जाती है. उन्होंने बताया कि इस माध्यम से जांच करने में रिपोर्ट आने में कम से कम 8 घंटे का समय लगता है. जबकि एंटीजन किट माध्यम में महज 10 मिनट में संक्रमण का पता चल जाता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'रैपिड एंटीजन किट से भी की जा रही जांच'
डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि अस्पताल में प्रतिदिन रैपिड एंटीजन किट से लगभग 180 जांच होते हैं. वहीं, आरटी पीसीआर और ट्रूनेट के माध्यम से प्रतिदिन लगभग 20-20 सैंपल के जांच किए जाते हैं. उन्होंने बताया कि इसके साथ ही यहां एक्सपेरिमेंटल बेसिस पर एंटीबॉडी टेस्ट भी हो रहा है. इसके लिए जिला स्वास्थ्य समिति सैंपल कलेक्ट करती है. जिसके बाद अस्पातल में उसकी जांच की जाती है.

उन्होंने बताया कि बीते 2 दिनों से एंटीबॉडी टेस्ट किया जा रहा है. दो दिनों में लगभग 15 से 18 सैंपल की जांच की जा चुकी है. शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार ऐसा लग रहा है कि कई लोगों में एंटीबॉडी डेवलप कर चुका है और वह लोग लगभग 1 महीने पहले कोरोना के हल्के संक्रमण से संक्रमित होकर स्वस्थ भी हो चुके हैं.

पटना: बिहार में कोरोना संक्रमण के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. हालांकि, सरकार ने जांच की क्षमता बढ़ाई है और प्रदेश के विभिन्न इलाके में प्रतिदिन जांच किये जा रहे हैं. पटना के इनकम टैक्स चौराहा स्थित न्यू गार्डिनर रोड हॉस्पिटल में भी तीन प्रकार की कोरोना जांच की जा रही है. जहां पहला रैपिड एंटीजन टेस्ट, दूसरा ट्रूनेच टेस्ट और तीसरा आरटी पीसीआर टेस्ट किये जा रहे हैं. इसके अलावा अस्पताल में एंटीबॉडी माध्यम से भी जांच की जा रही है.

प्रतिदिन 200 से अधिक मरीजों को हो रही जांच
इसको लेकर न्यू गार्डिनर रोड हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ मनोज कुमार ने बताया कि अस्पताल में विभिन्न माध्यमों से प्रतिदिन लगभग 200 से ज्यादा की संख्या में कोविड-19 के सैंपल की जांच की जा रही है. जिनमें अधिकांश जांच रैपिड एंटीजन किट से किया जा रहा है. इसके बावजूद अगर किसी मरीज में संक्रमण के लक्षण हैं और उसकी जांच रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है, तो उसका आरटी पीसीआर टेस्ट कराया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि अस्पताल में ट्रूनॉट मेथड से भी कोविड-19 की जांच की जा रही है. यह मेथड आरटी-पीसीआर जैसा ही होता है. लेकिन इसकी अथेंटिसिटी आरटी पीसीआर से थोड़ी कम मानी जाती है. उन्होंने बताया कि इस माध्यम से जांच करने में रिपोर्ट आने में कम से कम 8 घंटे का समय लगता है. जबकि एंटीजन किट माध्यम में महज 10 मिनट में संक्रमण का पता चल जाता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

'रैपिड एंटीजन किट से भी की जा रही जांच'
डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि अस्पताल में प्रतिदिन रैपिड एंटीजन किट से लगभग 180 जांच होते हैं. वहीं, आरटी पीसीआर और ट्रूनेट के माध्यम से प्रतिदिन लगभग 20-20 सैंपल के जांच किए जाते हैं. उन्होंने बताया कि इसके साथ ही यहां एक्सपेरिमेंटल बेसिस पर एंटीबॉडी टेस्ट भी हो रहा है. इसके लिए जिला स्वास्थ्य समिति सैंपल कलेक्ट करती है. जिसके बाद अस्पातल में उसकी जांच की जाती है.

उन्होंने बताया कि बीते 2 दिनों से एंटीबॉडी टेस्ट किया जा रहा है. दो दिनों में लगभग 15 से 18 सैंपल की जांच की जा चुकी है. शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार ऐसा लग रहा है कि कई लोगों में एंटीबॉडी डेवलप कर चुका है और वह लोग लगभग 1 महीने पहले कोरोना के हल्के संक्रमण से संक्रमित होकर स्वस्थ भी हो चुके हैं.

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