पटना: पूरी दुनिया में आने वाले समय में प्रयोग करने लायक पानी की उपलब्धता को लेकर बहस चल रही है. ऐसे में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की उपयोगिता दिनों-दिन बढ़ती जा रही है. इसी के तहत पटना नगर निगम क्षेत्र में 6 जगह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण करवाया जा रहा है. पिछले साल 15 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी ने दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट करमलीचक और बेउर का उद्घाटन किया था. इसके बाद से इलाके के लगभग 10 प्रतिशत घरों के पानी को ट्रीटमेंट किया जा रहा है. पानी को ट्रीटमेंट के बाद गंगा में प्रवाहित किया जा रहा है.
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पटना में बने हैं छह ट्रीटमेंट प्लांट
नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत दो कंपनी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य कर रही है .वोल्टास कंपनी द्वारा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण करवाया जा रहा है. तो वहीं लोगों को घरों तक पाइप कनेक्शन का कार्य एलएनटी कंपनी कर रही है. पटना में करमलीचक सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट,बेउर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, सैदपुर सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट,पहाड़ी ट्रीटमेंट प्लांट,कंकड़बाग ट्रीटमेंट प्लांट और दीघा सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया है.
3 ट्रीटमेंट प्लांट का काम पूरा
निगम प्रशासन का दावा है कि इस साल के आखिरी माह में सभी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट चालू हो जाएंगे. जिससे शहर में ना तो जलजमाव की स्थिति उत्पन्न होगी और ना ही गंदा पानी सड़क पर दिखेगा. फिलहाल करमलीचक, बेउर और सैदपुर प्लांट का काम पूरा हो चुका है.
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नागपुर मॉडल को पटना में उतारने की कोशिश
नागपुर शहर के मॉडल को राजधानी पटना में उतारा जाए इसके लिए केंद्र सरकार नगर निगम क्षेत्र में नमामि गंगे परियोजना के तहत छह सीवेज ट्रीटमेंट प्लाट का निर्माण करवा रही है. जिससे राजधानी पटना के घरों से निकलने वाले गंदे पानी को ट्रीटमेंट कर उसे गंगा नदी में प्रवाहित करवाया जा सके. और गंगा नदी मैली ना हो. इसपर काम चल रहा है. हालांकि तीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनकर तैयार हैं.
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सैदपुर एसटीपी का पीएम करेंगे उद्घाटन
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट करमलीचक और बेउर प्लांट का पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्चुअली उद्धाटन किया था. सैदपुर इलाके में बना सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बन कर तैयार हैं. अप्रैल माह में पीएम मोदी इसका उद्घाटन करेंगे. शेष तीन प्लांटों के कार्य भी जोरशोर से जारी है. सभी प्लांट के शुरू होने से बिहार की राजधानी पटना में गंगा मैली नहीं होगी.
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'करमलीचक,बेउर के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर गंदे पानी को साफ करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है. अभी मात्र इस इलाके के 10% घरों से निकलने वाले गंदे पानी का ट्रीटमेंट किया जा रहा है. अभी पाइप लाइन का काम चल रहा है. बरसात से पहले सभी घरों से पाइप का कनेक्शन हो जाएगा. तो इन सभी इलाके के गंदे पानी को हम लोग ट्रीटमेंट कर उसे पुनपुन नदी में प्रवाहित कर देंगे.'- भूपति राजू, मैनेजर, वोल्टास
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'केंद्रीय परियोजना नमामि गंगे योजना के तहत राजधानी पटना में छह सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट प्लांट का निर्माण करवाया जा रहा है. जिसमें तीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. सिर्फ पाइप लाइन का काम बाकी है. वह भी बरसात से पहले पूरा कर लिया जाएगा और जो बचे तीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण कार्य है वह तेजी से जारी है. इस साल के आखिरी माह तक निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा. इसके बाद राजधानी पटना के घरों से निकलने वाले गंदे पानी को ट्रीटमेंट कर हम लोग गंगा नदी में प्रवाहित कर देंगे.'- आशीष सिन्हा ,स्टैंडिंग सदस्य ,पीएमसी
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साफ पानी गंगा में प्रवाहित
आपको बता दें कि जो 3 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण पूरा हो चुका है, इस प्लांट से गंदे पानी को ट्रीटमेंट करने की कुल क्षमता लगभग 140 एमएलडी है. 2 लाख 30 हजार घरों को इससे फायदा होगा. इन घरों के पानी को ट्रीटमेंट कर गंगा नदी में प्रवाहित करवाया जाएगा.
क्या है एसटीपी
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में गंदे पानी और घर में प्रयोग किये गये जल के दूषित अवयवों को विशेष विधि से साफ किया जाता है. इसको साफ करने के लिए भौतिक, रासायनिक और जैविक विधि का प्रयोग किया जाता है. इसके माध्यम से दूषित पानी को दोबारा प्रयोग में लाने लायक बनाया जाता है. और इससे निकलने वाली गंदगी का इस प्रकार शोधन किया जाता है कि उसका उपयोग वातावरण के सहायक के रूप में किया जा सके.
एसटीपी कैसे करता है काम
एसटीपी को ऐसी जगह बनाया जाता है जहां विभिन्न स्थानों से दूषित जल वहां लाया जा सके. घरों और फैक्ट्रियों के दूषित जल को साफ करने की प्रक्रिया तीन चरणों में संपन्न होती है. जिसके तहत पहले, ठोस पदार्थ को उससे अलग किया जता है, फिर जैविक पदार्थ को एक ठोस समूह और वातावरण के अनुकूल बनाकर इसका प्रयोग खाद एवं लाभदायक उर्वरक के रूप में किया जाता है. इसके बाद उसे प्रयोग में लाने के लिए नदी, तालाबों आदि में छोड़ दिया जाता है.