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लॉकडाउन में गंगा का जल हुआ साफ, फिर भी केवल नहाने योग्य

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष अशोक कुमार घोष ने बताया कि लॉक डाउन की स्थिति में अप्रैल महीने में पटना के कुछ जगहों पर गंगाजल की गुणवत्ता की जांच की गई थी. जांच में यह खुलासा हुआ है गंगा नदी का जल पहले की अपेक्षा अधिक शुद्ध हो गया है. अभी गंगा नदी का जल कुछ हद तक केवल नहाने के योग्य हुआ है.

गंगा जल निर्मल
गंगा जल निर्मल
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Published : Apr 29, 2020, 8:38 PM IST

Updated : Apr 29, 2020, 8:48 PM IST

पटना: कोरोना वायरस संक्रमण के कारण पूरे भारत में लॉकडाउन के लागू है. लॉक डाउन की वजह से इंसान अपने घरों में कैद है. इस वजह से गंगा नदी का जल निर्मल होने लगा है. इसको लेकर बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष डॉक्टर अशोक कुमार घोष ने बताया कि मानवीय क्रियाकलापों के साथ-साथ लगभग सभी कल-कारखाने बंद है. जिस वजह से गंगा में मिलने वाला दूषित जल नदारद है. जिससे गंगाजल स्वच्छ दिख रही है.

'अभी केवल नहाने योग्य हुई है गंगा'

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष अशोक कुमार घोष ने बताया कि लॉक डाउन की स्थिति में अप्रैल महीने में पटना के कुछ जगहों पर गंगाजल की गुणवत्ता की जांच की गई थी. जांच में यह खुलासा हुआ है गंगा नदी का जल पहले की अपेक्षा अधिक शुद्ध हो गया है. दियों के पानी की गुणवत्ता पीएच वैल्यू , घुलनशील ऑक्सीजन और बीओडी (बायोलाजिकल आक्सीजन डिमांड) के पैमाने पर होती है. उन्होंने कहा कि अभी गांगा नदी का जल केवल नहाने के योग्य हुआ है. नहाने योग्य पानी के लिए निर्धारित मानकों के अनुसार घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा 5 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक होना जरुरी है. जबकि बीओडी की मात्रा 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए. लॉक डाउन के पहले पिछले 3 सालों के आंकड़े पर नजर डालें तो अप्रैल महीने में बीओडी की औसत मात्रा 1.8 से 2.5 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पाई गई है। वहीं लॉक डाउन के दौरान अप्रैल 2020 में बीओडी की मात्रा 1.6 से 2 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई है. ये आंकड़ा नदी जल में जैविक पदार्थों की उपस्थिति कम होना दर्शाता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

इसी प्रकार लॉक डाउन के दौरान फोकल कोलीफॉर्म की मात्रा पिछले 3 सालों के अप्रैल महीनों की मात्रा 2667 से 7867 के बीच रही है. जो इस साल घटकर 1100 - 6050 पाई गई है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अध्यक्ष ने बताया कि स्नान के लिए पानी का वांछित मानक यानी एमपी M500 प्रति 100 मिलीमीटर है. इसका मूल कारण है कि लॉक डाउन के दौरान नदी में उद्योग का कचरा नहीं गिराया गया. इसके साथ ही अन्य मानवीय क्रियाकलाप में कमी होने के कारण नदी जल प्रदूषण में कमी आई है.

गंगा नदी में मिलने वाले सीवरेज
गंगा नदी में मिलने वाले सीवरेज वाटर

'सीवरेज के कारण प्रभावित हो रही गंगा'
डॉ अशोक कुमार घोष ने बताया कि अभी भी गंगा का पानी इस योग्य नहीं की उससे स्नान किया जा सके, पीना तो दूर की बात है. इसकी मुख्य वजह सीवरेज का पानी है. जो अब भी गंगा में प्रभावित हो रहा है. उन्होंने कहा कि पटना में नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत कई सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाए जाने हैं. लेकिन लॉक डाउन की वजह से निर्माण कार्य भी पूरा नहीं हो पाया है. एसटीपी शुरू होने के बाद गंगा में गंदे पानी का प्रवाह रुक जाएगा. जिससे गंगा का पानी ज्यादा शुद्ध रह पाएगा.

डॉ अशोक कुमार घोष अध्यक्ष, बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
डॉ अशोक कुमार घोष अध्यक्ष, बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

पटना: कोरोना वायरस संक्रमण के कारण पूरे भारत में लॉकडाउन के लागू है. लॉक डाउन की वजह से इंसान अपने घरों में कैद है. इस वजह से गंगा नदी का जल निर्मल होने लगा है. इसको लेकर बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष डॉक्टर अशोक कुमार घोष ने बताया कि मानवीय क्रियाकलापों के साथ-साथ लगभग सभी कल-कारखाने बंद है. जिस वजह से गंगा में मिलने वाला दूषित जल नदारद है. जिससे गंगाजल स्वच्छ दिख रही है.

'अभी केवल नहाने योग्य हुई है गंगा'

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष अशोक कुमार घोष ने बताया कि लॉक डाउन की स्थिति में अप्रैल महीने में पटना के कुछ जगहों पर गंगाजल की गुणवत्ता की जांच की गई थी. जांच में यह खुलासा हुआ है गंगा नदी का जल पहले की अपेक्षा अधिक शुद्ध हो गया है. दियों के पानी की गुणवत्ता पीएच वैल्यू , घुलनशील ऑक्सीजन और बीओडी (बायोलाजिकल आक्सीजन डिमांड) के पैमाने पर होती है. उन्होंने कहा कि अभी गांगा नदी का जल केवल नहाने के योग्य हुआ है. नहाने योग्य पानी के लिए निर्धारित मानकों के अनुसार घुलनशील ऑक्सीजन की मात्रा 5 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक होना जरुरी है. जबकि बीओडी की मात्रा 3 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए. लॉक डाउन के पहले पिछले 3 सालों के आंकड़े पर नजर डालें तो अप्रैल महीने में बीओडी की औसत मात्रा 1.8 से 2.5 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पाई गई है। वहीं लॉक डाउन के दौरान अप्रैल 2020 में बीओडी की मात्रा 1.6 से 2 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई है. ये आंकड़ा नदी जल में जैविक पदार्थों की उपस्थिति कम होना दर्शाता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

इसी प्रकार लॉक डाउन के दौरान फोकल कोलीफॉर्म की मात्रा पिछले 3 सालों के अप्रैल महीनों की मात्रा 2667 से 7867 के बीच रही है. जो इस साल घटकर 1100 - 6050 पाई गई है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अध्यक्ष ने बताया कि स्नान के लिए पानी का वांछित मानक यानी एमपी M500 प्रति 100 मिलीमीटर है. इसका मूल कारण है कि लॉक डाउन के दौरान नदी में उद्योग का कचरा नहीं गिराया गया. इसके साथ ही अन्य मानवीय क्रियाकलाप में कमी होने के कारण नदी जल प्रदूषण में कमी आई है.

गंगा नदी में मिलने वाले सीवरेज
गंगा नदी में मिलने वाले सीवरेज वाटर

'सीवरेज के कारण प्रभावित हो रही गंगा'
डॉ अशोक कुमार घोष ने बताया कि अभी भी गंगा का पानी इस योग्य नहीं की उससे स्नान किया जा सके, पीना तो दूर की बात है. इसकी मुख्य वजह सीवरेज का पानी है. जो अब भी गंगा में प्रभावित हो रहा है. उन्होंने कहा कि पटना में नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत कई सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) बनाए जाने हैं. लेकिन लॉक डाउन की वजह से निर्माण कार्य भी पूरा नहीं हो पाया है. एसटीपी शुरू होने के बाद गंगा में गंदे पानी का प्रवाह रुक जाएगा. जिससे गंगा का पानी ज्यादा शुद्ध रह पाएगा.

डॉ अशोक कुमार घोष अध्यक्ष, बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
डॉ अशोक कुमार घोष अध्यक्ष, बिहार प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
Last Updated : Apr 29, 2020, 8:48 PM IST
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