पटना: पूरा देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है. ऐसे में आजादी के उन दिवानों को जिन्होंने अपने देश के लिए सब कुछ न्यौछावर कर शहीद हो गए. आज हम उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को याद कर रहे है. ऐसे मे महिला क्रांतिकारियों का भी अमूल्य योगदान रहा है. महिलाएं भी आजादी की लड़ाई मे हर जगहों पर कंधे से कंधा मिलाकर आजादी के जंग में शामिल रही हैं. हम मसौढ़ी की महेश्वरी देवी की बात कर रहे हैं, जो तरपुरा गांव की निवासी हैं.
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महेश्वरी देवी का महिला क्रांतिकारियों में नाम शुमार है. उन्हें अपने पति सुरेश पाल के साथ कई बार जेल जाना पड़ा था. महेश्वरी देवी के बारे में बताया जाता है कि वो क्रांतिकारियों के लिए नारा बनाकर उसे एक जगह से दूसरी जगह भेजने के अलावा कई गुप्त संदेश भेजने का काम करती थीं. इसके अलावा रात के वक्त आये क्रांतिकारियों के लिए भोजन की व्यवस्था भी करती थीं.
महेश्वरी देवी की उम्र 110 हो चुकी है, वो ठीक से बोल और सुन नहीं पाती हैं. घरवालों की मानें तो आजादी की बात जेहन में आते ही वो कभी कभार रात मे हिंदुस्तान जिंदाबाद जैसे शब्द बोलने की कोशिश करती हैं. मसौढ़ी अनुमंडल में कुल 23 स्वतंत्रता सेनानी हैं, जिसमें 11 महिला क्रांतिकारी है. आज के दौरान अधिकांश दिवंगत हो चुके हैं, वहीं जो भी अभी जिंदा हैं वो बोल और सुन नहीं पाती हैं.
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बता दें कि देश में 15 अगस्त यानी स्वतंत्रता दिवस अबकी बार यह बेहद खास है, क्योंकि देश इस बार आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा है. भारत सरकार भी आजादी के 75 वर्ष के अवसर पर इसे 'आजादी का अमृत महोत्सव' के रूप में मनाने जा रही है. 15 अगस्त का दिन उन वीरों की गौरव गाथा और बलिदान का प्रतीक है, जिन्होंने अंग्रेजों के दमन से देश आजाद कराने में अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया. देश की आजादी से जुड़े बहुत से ऐसे तथ्य भी हैं, जिनके बारे में ज्यादा लोग नहीं जानते हैं. उन्हीं में से एक हैं मसौढ़ी की महेश्वरी देवी. जिनके शौर्य और पराक्रम ने अंग्रेजों को लोहे के चने चबवा दिए.