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G Krishnaiah Murder Case: 'ईमानदार और हरदिल अजीज थे जी कृष्णैया', तत्कालीन DM को याद कर भावुक हुए अभयानंद

बिहार के पूर्व डीजीपी ने आनंद मोहन की रिहाई पर प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया के व्यक्तित्व की जमकर तारीफ की और भावुक हो गए. अभयानंद ने कहा कि ऐसे फैसले को देखने का काम न्यायालय का है और न्यायालय जरूर देखेगा.

G Krishnaiah Murder Case
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Published : Apr 25, 2023, 6:32 PM IST

बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद

पटना: गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया के करीबी रहे बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद ने कहा है कि बिहार सरकार ने आनंद मोहन को रिहा करने का जो फैसला किया है उसे देखने का काम न्यायालय का है. अभयानंद ने ईटीवी भारत के साथ जी कृष्णैया के साथ बिताये पल और विचार विमर्श का हवाला देते हुए कहा है कि बहुत ही गरीब परिवार में पले बढ़े जी कृष्णैया जैसे ईमानदार और सूझबूझ वाला अधिकारी होना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. उनहोंने अपनी पुस्तक अन बाउंडेड में जी कृष्णैया के साथ किये उल्लेखनिय कार्यो को तार्किक ढंग से वर्णन किया है.

पढ़ें- Anand Mohan की रिहाई से मंत्री लेसी सिंह को खुशी, बोलीं- 'हमारे पारिवारिक संबंध हैं'

आनंद मोहन की रिहाई पर अभयानंद का बयान: बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद अपने करीबी और हरदिल अजीज आई एस अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के आरोपी आनंद मोहन को लेकर सरकार के फैसले से हद प्रद हैं. उन्होंने सरकार के इस फैसले पर सवाल किये जाने पर खुलकर तो कुछ नहीं कहा लेकिन भावुक जरूर हो गये. उन्होंने कहा कि ऐसे फैसले को देखने का काम न्यायालय का है और न्यायालय जरूर देखेगा.

"बहुत ही गरीब परिवार में जन्मे जी कृष्णैया के पिता रेलवे में गैंगमैन की नौकरी करते थे. अपना घर नहीं था और आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से बासकित में दी गयी जमीन पर बाद में घर बना. जहां रहकर जी कृष्णैया पले बढ़े. आम तौर पर गरीबी से उठकर आगे बढ़ने वाले अधिकारियों की नियत बदल जाती है और भ्रष्टाचार में लिप्त होकर अपना व्यक्तित्व खराब कर लेते हैं. कृष्णैया पर न बेईमानी का कोई प्रभाव पड़ा ना जाति का. अपने पिता के बताए आदर्शों पर चलते हुए जी कृष्णैया हमेशा कुशल व्यक्तित्व के साथ काम करते रहे."- अभयानंद, पूर्व डीजीपी, बिहार

'ईमानदार और हरदिल अजीज थे जी कृष्णैया': अभयानंद ने कहा कि जी कृष्णैया के साथ कई मीठी और यादगार लम्हें उन्हें परेशान करती हैं. बतौर डीएम जी कृष्णैया और बतौर एसपी अभयानंद एक साथ बेतिया में पदस्थापित किये गये थे. उस समय बिहार में लालू प्रसाद यादव की सरकार थी. एसपी और डीएम के बीच बेहतर तालमेल और जी कृष्णैया के काम करने के तरीके पर प्रकाश डालते हुए अभयानंद जी तारीफ करते नहीं थकते हैं. अभयानंद की मानें तो जी कृष्णैया ने न केवल ईमानदार अधिकारी के रूप में अपने को स्थापित किया बल्कि दलित होते हुए भी सभी जातियों में उनकी अलग छवि थी. कोठी हो या समाहरणालय जी कृष्णैया के दरवाजे आम लोगों के लिए 24 घंटे खुले रहते थे.

दलित कहे जाने पर खूब रोये थे जी कृष्णैया: बेतिया में बिहार के एक वरीय नेता ने भीड़ को संबोधित करते हुए कहा था कि आप लोगों का यही आरोप था कि ऊपरी जाति के लोग ही डीएम और एसपी होते हैं. देखिए इस बार आपको दलित डीएम दिए हैं. इस वाक्या को सुनकर जी कृष्णैया इतने आहत हुए थे कि शाम में उस समय के तत्कालीन एसपी अभयानंद के पास पहुंचकर फूट फूटकर रोने लगे. उन्होंने अभयानंद से कहा कि इतना पढ़ लिखकर आईएएस बनने का क्या फायदा कि हम अभी भी दलित के पैमाने से मापे जाते हैं जबकि हम सभी जाति के लोगों को एक नजर से देखते हैं.

हत्या के तत्काल बाद फोन उठाकर सदमे में थे अभयानंद: बिहार के पूर्व डीजीपी बतौर बेतिया एसपी से पटना में डीआईजी बनाकर भेज दिए गये थे और जी कृष्णैया को गोपालगंज का जिलाधिकारी बनाया गया था. तबादले के बाद दोनों के बीच प्रतिदिन दो या दो से अधिक बार टेलिफोन पर बात जरूर होती थी. बातचीत के दौरान सरकार की योजनाओं को कल्याणकारी बनाकर जनता तक पहुंचाने के साथ कई मुद्दों पर बात होती थी. अभयानंद और जी कृष्णैया के बीच बातचीत स्वाभाविक प्रक्रिया का हिस्सा थी इसी कड़ी में 5 दिसम्बर 1994 की शाम अभयानंद के लैंडलाइन पर फोन आया. अभयानंद को लगा कि कृष्णैया का फोन होगा. उन्होंने फोन उठाया पर उधर से किसी और की आवाज थी और उसने बताया कि डीएम साहब की हत्या हो गयी है. एक पल के लिए अभयानंद को यकीन ही नहीं हुआ. लेकिन इस सूचना के बाद वो खुद को रोने से रोक नहीं सके.

'पत्नी उमा कृष्णैया बिहार दोबारा नहीं चाहती थीं': इस घटना के बाद जब जी कृष्णैया का शव विशेष विमान से आन्ध्र प्रदेश भेजा जा रहा था तो पत्नी अन्दर से इतनी टूट चुकी थी कि वो दोबारा बिहार नहीं आना चाहती थी. सारा सामान पैक हो चुका था लेकिन उनके विभाग से बकाया राशि और पेंशन का निर्धारण नहीं हो पाया था. इस बात की जानकारी जब अभयानंद को हुई तो उन्होंने आईएएस एसोसिएशन में उनकी बात पहुंचा कर सारा हिसाब किताब तक साफ करा दिया ताकि उनकी पत्नी को किसी भी तरह की परेशानी न हो.

'न्याय चाहती थी जी कृष्णैया की पत्नी': अभयानंद अक्सर पुलिस अकादमी जाने के क्रम में हैदराबाद जाते रहते थे. अपने हैदराबाद के लगभग हर यात्रा के दौरान जी कृष्णैया की पत्नी और दोनों बेटियों से जरूर मुलाकात करते थे. उनकी पत्नी केमिस्ट्री से एमएससी पास थीं और बाद में लेक्चर के रूप में उनकी नौकरी हुई. मुलाकात के दौरान अभयानंद जब भी उस घटना का जिक्र करते थे पत्नी भावुक हो जाती थी. एक ही बात करती थी उन्हें ईश्वर पर भरोसा है न्याय मिलेगा.

अनबॉउंडेड बुक में डी कृष्णैया का जिक्र: बिहार के पूर्व डीजीपी ने अपने सेवाकाल के दौरान अनबॉउंडेड नाम से जो पुस्तक लिखी है उसमें बतौर डीएम जी कृष्णैया के कार्यों और व्यक्तित्व का उल्लेख है. उन्होंने बतौर बेतिया एसपी जी कृष्णैया को जिलाधिकारी के रूप में कार्य करते हुए देखा उसे एक सफल अधिकारी रूप में दर्शाया है. अंत में अभयानंद कहते है कि यहां के हालात में बिहार ने एक अच्छे अधिकारी को समय से पहले खो दिया.

बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद

पटना: गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया के करीबी रहे बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद ने कहा है कि बिहार सरकार ने आनंद मोहन को रिहा करने का जो फैसला किया है उसे देखने का काम न्यायालय का है. अभयानंद ने ईटीवी भारत के साथ जी कृष्णैया के साथ बिताये पल और विचार विमर्श का हवाला देते हुए कहा है कि बहुत ही गरीब परिवार में पले बढ़े जी कृष्णैया जैसे ईमानदार और सूझबूझ वाला अधिकारी होना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. उनहोंने अपनी पुस्तक अन बाउंडेड में जी कृष्णैया के साथ किये उल्लेखनिय कार्यो को तार्किक ढंग से वर्णन किया है.

पढ़ें- Anand Mohan की रिहाई से मंत्री लेसी सिंह को खुशी, बोलीं- 'हमारे पारिवारिक संबंध हैं'

आनंद मोहन की रिहाई पर अभयानंद का बयान: बिहार के पूर्व डीजीपी अभयानंद अपने करीबी और हरदिल अजीज आई एस अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के आरोपी आनंद मोहन को लेकर सरकार के फैसले से हद प्रद हैं. उन्होंने सरकार के इस फैसले पर सवाल किये जाने पर खुलकर तो कुछ नहीं कहा लेकिन भावुक जरूर हो गये. उन्होंने कहा कि ऐसे फैसले को देखने का काम न्यायालय का है और न्यायालय जरूर देखेगा.

"बहुत ही गरीब परिवार में जन्मे जी कृष्णैया के पिता रेलवे में गैंगमैन की नौकरी करते थे. अपना घर नहीं था और आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से बासकित में दी गयी जमीन पर बाद में घर बना. जहां रहकर जी कृष्णैया पले बढ़े. आम तौर पर गरीबी से उठकर आगे बढ़ने वाले अधिकारियों की नियत बदल जाती है और भ्रष्टाचार में लिप्त होकर अपना व्यक्तित्व खराब कर लेते हैं. कृष्णैया पर न बेईमानी का कोई प्रभाव पड़ा ना जाति का. अपने पिता के बताए आदर्शों पर चलते हुए जी कृष्णैया हमेशा कुशल व्यक्तित्व के साथ काम करते रहे."- अभयानंद, पूर्व डीजीपी, बिहार

'ईमानदार और हरदिल अजीज थे जी कृष्णैया': अभयानंद ने कहा कि जी कृष्णैया के साथ कई मीठी और यादगार लम्हें उन्हें परेशान करती हैं. बतौर डीएम जी कृष्णैया और बतौर एसपी अभयानंद एक साथ बेतिया में पदस्थापित किये गये थे. उस समय बिहार में लालू प्रसाद यादव की सरकार थी. एसपी और डीएम के बीच बेहतर तालमेल और जी कृष्णैया के काम करने के तरीके पर प्रकाश डालते हुए अभयानंद जी तारीफ करते नहीं थकते हैं. अभयानंद की मानें तो जी कृष्णैया ने न केवल ईमानदार अधिकारी के रूप में अपने को स्थापित किया बल्कि दलित होते हुए भी सभी जातियों में उनकी अलग छवि थी. कोठी हो या समाहरणालय जी कृष्णैया के दरवाजे आम लोगों के लिए 24 घंटे खुले रहते थे.

दलित कहे जाने पर खूब रोये थे जी कृष्णैया: बेतिया में बिहार के एक वरीय नेता ने भीड़ को संबोधित करते हुए कहा था कि आप लोगों का यही आरोप था कि ऊपरी जाति के लोग ही डीएम और एसपी होते हैं. देखिए इस बार आपको दलित डीएम दिए हैं. इस वाक्या को सुनकर जी कृष्णैया इतने आहत हुए थे कि शाम में उस समय के तत्कालीन एसपी अभयानंद के पास पहुंचकर फूट फूटकर रोने लगे. उन्होंने अभयानंद से कहा कि इतना पढ़ लिखकर आईएएस बनने का क्या फायदा कि हम अभी भी दलित के पैमाने से मापे जाते हैं जबकि हम सभी जाति के लोगों को एक नजर से देखते हैं.

हत्या के तत्काल बाद फोन उठाकर सदमे में थे अभयानंद: बिहार के पूर्व डीजीपी बतौर बेतिया एसपी से पटना में डीआईजी बनाकर भेज दिए गये थे और जी कृष्णैया को गोपालगंज का जिलाधिकारी बनाया गया था. तबादले के बाद दोनों के बीच प्रतिदिन दो या दो से अधिक बार टेलिफोन पर बात जरूर होती थी. बातचीत के दौरान सरकार की योजनाओं को कल्याणकारी बनाकर जनता तक पहुंचाने के साथ कई मुद्दों पर बात होती थी. अभयानंद और जी कृष्णैया के बीच बातचीत स्वाभाविक प्रक्रिया का हिस्सा थी इसी कड़ी में 5 दिसम्बर 1994 की शाम अभयानंद के लैंडलाइन पर फोन आया. अभयानंद को लगा कि कृष्णैया का फोन होगा. उन्होंने फोन उठाया पर उधर से किसी और की आवाज थी और उसने बताया कि डीएम साहब की हत्या हो गयी है. एक पल के लिए अभयानंद को यकीन ही नहीं हुआ. लेकिन इस सूचना के बाद वो खुद को रोने से रोक नहीं सके.

'पत्नी उमा कृष्णैया बिहार दोबारा नहीं चाहती थीं': इस घटना के बाद जब जी कृष्णैया का शव विशेष विमान से आन्ध्र प्रदेश भेजा जा रहा था तो पत्नी अन्दर से इतनी टूट चुकी थी कि वो दोबारा बिहार नहीं आना चाहती थी. सारा सामान पैक हो चुका था लेकिन उनके विभाग से बकाया राशि और पेंशन का निर्धारण नहीं हो पाया था. इस बात की जानकारी जब अभयानंद को हुई तो उन्होंने आईएएस एसोसिएशन में उनकी बात पहुंचा कर सारा हिसाब किताब तक साफ करा दिया ताकि उनकी पत्नी को किसी भी तरह की परेशानी न हो.

'न्याय चाहती थी जी कृष्णैया की पत्नी': अभयानंद अक्सर पुलिस अकादमी जाने के क्रम में हैदराबाद जाते रहते थे. अपने हैदराबाद के लगभग हर यात्रा के दौरान जी कृष्णैया की पत्नी और दोनों बेटियों से जरूर मुलाकात करते थे. उनकी पत्नी केमिस्ट्री से एमएससी पास थीं और बाद में लेक्चर के रूप में उनकी नौकरी हुई. मुलाकात के दौरान अभयानंद जब भी उस घटना का जिक्र करते थे पत्नी भावुक हो जाती थी. एक ही बात करती थी उन्हें ईश्वर पर भरोसा है न्याय मिलेगा.

अनबॉउंडेड बुक में डी कृष्णैया का जिक्र: बिहार के पूर्व डीजीपी ने अपने सेवाकाल के दौरान अनबॉउंडेड नाम से जो पुस्तक लिखी है उसमें बतौर डीएम जी कृष्णैया के कार्यों और व्यक्तित्व का उल्लेख है. उन्होंने बतौर बेतिया एसपी जी कृष्णैया को जिलाधिकारी के रूप में कार्य करते हुए देखा उसे एक सफल अधिकारी रूप में दर्शाया है. अंत में अभयानंद कहते है कि यहां के हालात में बिहार ने एक अच्छे अधिकारी को समय से पहले खो दिया.

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