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शराबबंदी के लिए किए जा रहे हैं कई महंगे प्रयोग, फिर भी नहीं थम रही शराब की तस्करी: पूर्व डीजी

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Published : Feb 28, 2022, 6:18 PM IST

शराबबंदी को सफल बनाने को लेकर बिहार सरकार कई महंगे प्रयोग कर रही है. इसके बावजूद तस्कर लगातार शराब की तस्करी में सफल हो रहे हैं. इस बारे में पूर्व डीजी एसके भारद्वाज ने भी प्रतिक्रिया दी है. पढ़ें रिपोर्ट..

पूर्व डीजी एसके भारद्वाज
पूर्व डीजी एसके भारद्वाज

पटना: बिहार में शराबबंदी को सख्ती से लागू कराने के लिए राज्य सरकार तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है. इसके बावजूद भी तस्कर लगातार एक्टिव हैं. सरकार ने लाखों की लागत से दूसरे राज्य से ट्रेंड कुत्ते मंगाए हैं. यहां तक कि दीयर पहाड़ी और जंगली इलाकों में बन रहे अवैध शराब के रोकथाम के लिए ड्रोन कैमरे और हेलीकॉप्टर की भी व्यवस्था करा दी गई. इतना ही नहीं, अब राज्य सरकार शराब की अवैध भट्ठीयों को ध्वस्त करने के लिए दियारा जंगल और सुदूर इलाकों में छापेमारी करने के लिए सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल करेगी. इसके बावजूद तस्करों पर लगाम नहीं लग रहे हैं. इस बारे में पूर्व डीजी एसके भारद्वाज (Former DG SK Bhardwaj Statement on Liquor Ban in Bihar) ने भी बयान दिया है.

यह भी पढ़ें- बिहार सरकार को SC की फटकार- शराबबंदी कानून बनाते समय सभी पहलुओं का अध्ययन क्यों नहीं किया

राज्य सरकार की मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने दियारा जंगल और सुदूर इलाकों के लिए सैटेलाइट फोन की खरीद की है. छापेमारी के दौरान कई सुदूर ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क की प्रॉब्लम की वजह से उत्पाद टीम को काफी परेशानी होती है. एक फोन की कीमत लगभग डेढ़ लाख रुपए है. इस फोन में आउटगोइंग के लिए और इनकमिंग के लिए दोनों के लिए राशि का भुगतान करना पड़ता है, जो प्रत्येक कॉल 18 रुपये होता है. राज्य सरकार का मानना है कि खास कर दियारा और गंगा के किनारे शराब की अवैध भट्ठियां चलती हैं, जिस वजह से नदी में गश्ती के लिए मोटर बोट की भी खरीदारी की गई है.

राज्य सरकार द्वारा शराबबंदी कानून को सफल कराने के लिए किए जा रहे प्रयोग पर पूर्वी डीजी एसके भारद्वाज ने तंज कसते हुए कहा कि राज्य सरकार और पुलिस विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयोग से यह तो साफ स्पष्ट हो रहा है कि कहीं ना कहीं राज्य की पुलिस विभाग मॉडर्नाइजेशन की ओर बढ़ रही है. राज्य सरकार शराबबंदी के लिए प्रयोग कर रही है. शराबबंदी कानून उससे सफल हो जाता है तो बिहार यह कह सकता है कि हमने शराबबंदी कानून को सफल कराया है.

पूर्व डीजी एसके भारद्वाज का मानना है कि हो सकता है कि नीतीश कुमार द्वारा शराबबंदी कानून को लेकर किए जा रहे प्रयोग पायलट प्रोजेक्ट बन जाए और अन्य राज्य भी इसको फॉलो करें. बिहार में शराबबंदी है या नहीं, इस पर तो मैं कुछ नहीं कहूंगा परंतु सरकार द्वारा की जा रही सख्ती का असर थोड़ा जरूर देखने को मिल रहा है. आम लोगों को अब आसानी से शराब मुहैया नहीं हो पा रही है. उन्होंने कहा कि बिहार में लगातार शराब बंदी कानून के बाद भी पूरी की पूरी ट्रक शराब की बरामद हो रही है, ऐसे में यह कहना कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू है यह सही नहीं है. अन्य जिले की बात तो छोड़िए राजधानी पटना में ही बसों के तहखाना और शराब से भरी ट्रक पकड़ी जा रही है.

पूर्वी डीजे एसके भारद्वाज ने कहा कि बगल के राज्यों में शराबबंदी कानून नहीं लागू है. यहां तक कि सारे बॉर्डर खुले हुए हैं. भारत और नेपाल के रास्ते शराब पहुंच रहा है. ऐसे में शराबबंदी कानून को पालन करना बिहार के लिए एक प्रयोग से कम नहीं है. एसके भारद्वाज का मानना है कि राज्य सरकार जो प्रयोग हेलीकॉप्टर, ड्रोन या सैटेलाइट फोन के माध्यम से कर रही है, उन्हीं प्रयासों से अगर जन जागरुकता अभियान चलाया जाता, नुक्कड़ नाटक के माध्यम से गांव और महिलाओं को जागरूक किया जाता और शराब से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जाता तो ज्यादा शराबबंदी कानून का फायदा होता.

उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि राज्य सरकार के पास पैसे की कमी नहीं है, तभी तो इस तरह के महंगे प्रयोग शराबबंदी कानून के तहत किए जा रहे हैं. 1 घंटे के हेलीकॉप्टर का खर्चा कितना होता है यह सभी को पता है. अगर रुपए का खर्च राज्य सरकार को महसूस होगा तो कई तरह के टैक्स राज्य में बढ़ा दिए जाएंगे. जमीन की खरीदारी में टैक्स बढ़ा दिया जाएगा. वाहनों के टैक्स बढ़ा दिए जाएंगे. इसलिए कहा जा सकता है कि सरकार के पास पैसे की कोई कमी नहीं है.

बता दें कि बिहार सरकार ने 5 अप्रैल 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया था. कानून के तहत शराब की बिक्री, पीने और इसे बनाने पर प्रतिबंध है. शुरुआत में इस कानून के तहत संपत्ति कुर्क करने और उम्र कैद की सजा तक का प्रावधान था, लेकिन 2018 में संशोधन के बाद सजा में थोड़ी छूट दी गई थी. बता दें कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक अब तक मद्य निषेध कानून उल्लंघन से जुड़े करीब 3 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं.

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पटना: बिहार में शराबबंदी को सख्ती से लागू कराने के लिए राज्य सरकार तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है. इसके बावजूद भी तस्कर लगातार एक्टिव हैं. सरकार ने लाखों की लागत से दूसरे राज्य से ट्रेंड कुत्ते मंगाए हैं. यहां तक कि दीयर पहाड़ी और जंगली इलाकों में बन रहे अवैध शराब के रोकथाम के लिए ड्रोन कैमरे और हेलीकॉप्टर की भी व्यवस्था करा दी गई. इतना ही नहीं, अब राज्य सरकार शराब की अवैध भट्ठीयों को ध्वस्त करने के लिए दियारा जंगल और सुदूर इलाकों में छापेमारी करने के लिए सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल करेगी. इसके बावजूद तस्करों पर लगाम नहीं लग रहे हैं. इस बारे में पूर्व डीजी एसके भारद्वाज (Former DG SK Bhardwaj Statement on Liquor Ban in Bihar) ने भी बयान दिया है.

यह भी पढ़ें- बिहार सरकार को SC की फटकार- शराबबंदी कानून बनाते समय सभी पहलुओं का अध्ययन क्यों नहीं किया

राज्य सरकार की मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने दियारा जंगल और सुदूर इलाकों के लिए सैटेलाइट फोन की खरीद की है. छापेमारी के दौरान कई सुदूर ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क की प्रॉब्लम की वजह से उत्पाद टीम को काफी परेशानी होती है. एक फोन की कीमत लगभग डेढ़ लाख रुपए है. इस फोन में आउटगोइंग के लिए और इनकमिंग के लिए दोनों के लिए राशि का भुगतान करना पड़ता है, जो प्रत्येक कॉल 18 रुपये होता है. राज्य सरकार का मानना है कि खास कर दियारा और गंगा के किनारे शराब की अवैध भट्ठियां चलती हैं, जिस वजह से नदी में गश्ती के लिए मोटर बोट की भी खरीदारी की गई है.

राज्य सरकार द्वारा शराबबंदी कानून को सफल कराने के लिए किए जा रहे प्रयोग पर पूर्वी डीजी एसके भारद्वाज ने तंज कसते हुए कहा कि राज्य सरकार और पुलिस विभाग द्वारा किए जा रहे प्रयोग से यह तो साफ स्पष्ट हो रहा है कि कहीं ना कहीं राज्य की पुलिस विभाग मॉडर्नाइजेशन की ओर बढ़ रही है. राज्य सरकार शराबबंदी के लिए प्रयोग कर रही है. शराबबंदी कानून उससे सफल हो जाता है तो बिहार यह कह सकता है कि हमने शराबबंदी कानून को सफल कराया है.

पूर्व डीजी एसके भारद्वाज का मानना है कि हो सकता है कि नीतीश कुमार द्वारा शराबबंदी कानून को लेकर किए जा रहे प्रयोग पायलट प्रोजेक्ट बन जाए और अन्य राज्य भी इसको फॉलो करें. बिहार में शराबबंदी है या नहीं, इस पर तो मैं कुछ नहीं कहूंगा परंतु सरकार द्वारा की जा रही सख्ती का असर थोड़ा जरूर देखने को मिल रहा है. आम लोगों को अब आसानी से शराब मुहैया नहीं हो पा रही है. उन्होंने कहा कि बिहार में लगातार शराब बंदी कानून के बाद भी पूरी की पूरी ट्रक शराब की बरामद हो रही है, ऐसे में यह कहना कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू है यह सही नहीं है. अन्य जिले की बात तो छोड़िए राजधानी पटना में ही बसों के तहखाना और शराब से भरी ट्रक पकड़ी जा रही है.

पूर्वी डीजे एसके भारद्वाज ने कहा कि बगल के राज्यों में शराबबंदी कानून नहीं लागू है. यहां तक कि सारे बॉर्डर खुले हुए हैं. भारत और नेपाल के रास्ते शराब पहुंच रहा है. ऐसे में शराबबंदी कानून को पालन करना बिहार के लिए एक प्रयोग से कम नहीं है. एसके भारद्वाज का मानना है कि राज्य सरकार जो प्रयोग हेलीकॉप्टर, ड्रोन या सैटेलाइट फोन के माध्यम से कर रही है, उन्हीं प्रयासों से अगर जन जागरुकता अभियान चलाया जाता, नुक्कड़ नाटक के माध्यम से गांव और महिलाओं को जागरूक किया जाता और शराब से होने वाले नुकसान के बारे में बताया जाता तो ज्यादा शराबबंदी कानून का फायदा होता.

उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि राज्य सरकार के पास पैसे की कमी नहीं है, तभी तो इस तरह के महंगे प्रयोग शराबबंदी कानून के तहत किए जा रहे हैं. 1 घंटे के हेलीकॉप्टर का खर्चा कितना होता है यह सभी को पता है. अगर रुपए का खर्च राज्य सरकार को महसूस होगा तो कई तरह के टैक्स राज्य में बढ़ा दिए जाएंगे. जमीन की खरीदारी में टैक्स बढ़ा दिया जाएगा. वाहनों के टैक्स बढ़ा दिए जाएंगे. इसलिए कहा जा सकता है कि सरकार के पास पैसे की कोई कमी नहीं है.

बता दें कि बिहार सरकार ने 5 अप्रैल 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया था. कानून के तहत शराब की बिक्री, पीने और इसे बनाने पर प्रतिबंध है. शुरुआत में इस कानून के तहत संपत्ति कुर्क करने और उम्र कैद की सजा तक का प्रावधान था, लेकिन 2018 में संशोधन के बाद सजा में थोड़ी छूट दी गई थी. बता दें कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक अब तक मद्य निषेध कानून उल्लंघन से जुड़े करीब 3 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं.

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