पटना: राजद विधायक सुधाकर सिंह (RJD MLA Sudhakar Singh) ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर विधानमंडल की कार्यवाही (Bihar Legislature Proceedings) को नियमावली के अनुसार नहीं चलाने पर अपनी ही सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि 44 साल बाद पहली बार सदन में प्राइवेट बिल लाए. लेकिन फिर भी सदन में उसपर चर्चा नहीं हुई. जबकि उस दिन कोई दूसरा बिल नहीं था. शुक्रवार का दिन प्राइवेट बिल के लिए ही होता है.
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'शुक्रवार का दिन निजी विधेयक के लिए' : सुधाकर सिंह ने कहा कि हम विधानसभा अध्यक्ष से आग्रह करते हैं कि सदन की कार्रवाई को ठीक ढंग से चलाया जाए. शुक्रवार का दिन निजी विधेयक के लिए होता है, उसका पालन किया जाए. उन्होंने कहा कि बिहार में सदन की कार्यवाही को लेकर जो स्थिति बिहार में बनी हुई है, उसमें कहीं से भी जनहित के मुद्दे को उठाने नहीं दिया जाता है. कहीं ना कहीं कार्यपालिका और बिहार सरकार के मुखिया विधायिका पर भारी पड़ रहे हैं. ये विधायकों के लिए ठीक नहीं है.
'सदन में नीतीश का व्यवहार ठीक नहीं' : सुधाकर सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि सदन में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का व्यवहार ठीक नहीं. वो विधायकों को सवाल पूछने पर उन्हें धमकाते हैं. सुधाकर सिंह ने आगे कहा कि विधायक दल की बैठक में भी नीतीश कुछ का कुछ बोलते हैं, ऐसा व्यवहार अशोभनीय है. रही बात सदन के कार्यवाही की तो जिस तरह से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दिखाते हैं, उससे स्पष्ट है कि बिहार विधानमंडल में सीएम नीतीश आपातकाल जैसी स्थिति ला दिए हैं.
''सदन में सत्तापक्ष के विधायकों को भी मुख्यमंत्री धमकाते हैं, यहां तक विधायक दल की बैठक में भी मुख्यमंत्री कुछ से कुछ बोलते हैं, जो कि अशोभनीय है. जिस तरह से सदन की कार्रवाई को पूरी तरह से मुख्यमंत्री ने अपने अनुसार से चलाना शुरु कर दिया है, वह कहीं से भी उचित नहीं है.''- सुधाकर सिंह, पूर्व कृषि मंत्री, बिहार सरकार
'नियम के मुताबिक नहीं चल रहा सदन' : सुधाकर सिंह ने सदन को नियम अनुसार नहीं चलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वर्तमान में पूरे साल सदन की कार्यवाही 32 दिन से ज्यादा नहीं चलाई जाती है, जबकि नियम के अनुसार कम से कम 60 दिन सदन की कार्यवाही पूरे साल में चलनी चाहिए. इसका भी पालन बिहार विधानमंडल सत्र को चलाने को लेकर नहीं किया जाता है, जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है.
'छोटे सत्र से जनप्रतिनिधि नहीं कर पा रहे काम' : सत्र छोटा होने की वजह से जो जनप्रतिनिधि हैं वह काम नहीं कर पा रहे हैं. ऐसा अगर हो रहा है तो यह ठीक नहीं है, इसको लेकर सभी विधायकों को ध्यान देने की जरूरत है. विधानसभा अध्यक्ष को भी हमारी बातों को सुनना चाहिए और सदन ठीक ढंग से चले इसको लेकर प्रयास होना चाहिए. विधायक की बातों को सुना जाए ये काम होना जरूरी है, जिससे जन समस्या का निवारण होगा.
पांच दिनों तक चला विधानमंडल का शीतकालीन सत्र: बता दें कि बिहार विधानमंडल का शीतकालीन सत्र 5 दिनों तक चला. पूरा सत्र छपरा जहरीली शराबकांड में हंगामे की भेंट चढ़ गया. हालांकि इस बीच भी कई बिलों को सरकार ने पास कराया. लेकिन ये भी सच है कि कई विधायक छोटे सत्र की वजह से सवाल नहीं पूछ पाए. सुधाकर सिंह ने उसी ओर ध्यान देने की बात प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से की है.