पटना: बिहार के 10 जिले बाढ़ की आपदा झेल रहे हैं. सरकार के मुताबिक करीब 10 लाख की आबादी बाढ़ से प्रभावित है. बिहार में विपक्ष लगातार सरकार पर हमला बोल रहा है और यह आरोप लगा रहा है कि सरकार ने बाढ़ पीड़ितों के लिए कोई व्यवस्था नहीं की है. जिससे लोग भूखे मर रहे हैं. राजद के आरोपों पर बिहार के खाद्य आपूर्ति मंत्री ने पलटवार किया है.
आर्थिक रूप से मदद
बिहार सरकार के खाद्य और उपभोक्ता संरक्षण मंत्री मदन सहनी ने कहा कि सरकार अपने बिहार वासियों को राशन तो दे ही रही है. साथ में उन्हें आर्थिक रूप से मदद भी कर रही है. मुख्यमंत्री राहत कोष से एक करोड़ 42 लाख खाते में 1-1 हजार रुपये भेजी गई है.
एक करोड़ 68 लाख परिवार, जिसकी कुल संख्या 8 करोड़ 71 लाख लोगों को प्रत्येक माह नियमित रूप से मिलने वाले अनाज के अलावा 5 किलोग्राम मुफ्त अनाज और प्रत्येक परिवार को एक किलो दाल मुफ्त दिया जा रहा है. यह व्यवस्था नवंबर तक सुनिक्षित कर बिहार की जनता का ख्याल रखा जा रहा है.
'जंगल राज की स्थापना'
मदन सहनी ने कहा कि तेजस्वी यादव को अपने गिरेबान में झांक कर देखना चाहिए कि जब आपदा आती है, तो वे कैसे बिहार से बाहर भाग जाया करते हैं. 1990 में इनके पिता लालू प्रसाद यादव गरीबों, शोषितों और सामाजिक न्याय के नाम पर बिहार के सत्ता पर काबिज हुए. लेकिन इन्होंने क्या किया. मवेशी का चारा खा गए . सड़क के लिए इस्तेमाल करने वाले अलकतरा को पी गए. 15 साल सुशासन की जगह जंगल राज की स्थापना कर दिया.
आपदा पीड़ितों का पहला हक
मदन सहनी ने कहा कि उनकी सत्ता ने जिसकी लाठी उसकी भैंस कहावत को चरितार्थ कर दिया था. जबकि नीतीश सरकार ने सुशासन राज की स्थापना करते हुए आपदा के समय बिहार के खजाने पर आपदा पीड़ितों का पहला हक है को प्रमाणित करते हुए कोरोना वैश्विक महामारी में पीएफएमएस प्रणाली की ओर से 1659.1 करोड़ रुपये डीबीटी की ओर से राशि अंतरित की गई है.
सरकारी सहायता का लाभ
534 प्रखंडों में कुल 13,619 हजार क्वॉरंटीन सेंटर बनाये गए. जिसमें 21,53,576 लोगों को सरकारी सहायता का लाभ पहुंचाया गया है. क्वॉरंटीन सेंटर चलाने के लिए कुल 37 करोड़ 50 लाख का आवंटन किया गया. महामारी से प्रभावित गरीब और अन्य जरुरतमंद लोगों के लिए 53 राहत केंद्र बनाये गए. जिसमें 30.10 लाख लोगों को निशुल्क भोजन कराया गया.
8 सीमा आपदा राहत केंद्र
बिहार के अन्य राज्यों से सटे सीमा पर 8 सीमा आपदा राहत केंद्र बनाया गया. जहां प्रवासियों के लिए सभी चिकित्सीय परिक्षण और निशुल्क भोजन की व्यवस्था थी. अब तक एक हजार 554 ट्रेनों से 21 लाख 76 हजार 261 प्रवासी बिहार आये हैं. कोरोना सहायता के तहत एक करोड़ 42 लाख खातों में 14 अरब 16 करोड़ 70 लाख राशि भेजी जा चुकी है.
छात्रवृति का भुगतान
बिहार से बाहर फंसे 20 लाख 45 हजार बिहारियों के खाते में 204 करोड़ 50 लाख की राशि भेज दी गई है. कोरोना संकट काल में 84 लाख 78 हजार पेंशनधारियों को एक मुस्त तीन माह का अग्रिम पेंशन से रूप में एक हजार 17 करोड़ राशि का भुगतान कर दिया गया है. बिहार से छात्र-छात्राओं के बीच 3 हजार 102 करोड़ की छात्रवृति का भुगतान कर दिया गया है.
बिहार सरकार ने 2019 के बाढ़ में 33,39,263 परिवारों को पीएफएमएस प्रणाली की ओर से 2003.55 (दो हजार तीन करोड़ पचपन लाख) राशि लाभुकों के खाते में भेज दी गई. इस बार भी सरकार बिहार में आई बाढ़ को लेकर गंभीर है.
टूटे तटबंधों का दौरा
शुक्रवार को ही बिहार से जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने हेलिकॉप्टर से टूटे तटबंधों का दौरा किया है और 10 जिलों में आई बाढ़ में लोगो के सहायता के लिए 21 राहत शिविरों में 12023 लोगों को रखा गया है. साथ ही एक लाख 15 हजार 325 लोगों को अबतक भोजन कराया गया है.
राहत सामग्री का वितरण
सरकार ने समुदायक किचन के लिए 3.10 करोड़ और पशु चारा के लिए 29 लाख रुपया जारी कर दिया है. बाढ़ में प्रभावितों का आकलन किया जा रहा है और सभी बाढ़ प्रभवितों परिवारों के खाते में 6000 रुपये दिए जायेंगे. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में एयर लिफ्टिंग से राहत सामग्री का वितरण किया जा रहा है. इसी क्रम में शनिवार को दरभंगा जिले के कुशेश्वर स्थान में एयर लिफ्टिंग कर लोगों के बीच राहत सामग्रियों का वितरण किया गया.
मदन सहनी ने बताया कि जिस तहर बाढ़ के समय बिहार के लोगों ने नीतीश कुमार को कुंटलीया बाबा कहा था. उसी तरह आज कोरोना काल में लोगों के सहयोग के लिए उन्हें बिहार के लोगों ने हजरिया बाबा का नाम दिया है और राजद को राष्ट्रीय टिकट बेचवा पार्टी कहने लगे हैं.