पटना: राजधानी पटना समेत पूरे प्रदेश में शुक्रवार को दशमी के दिन माता की विदाई हो चुकी है. देवी की प्रतिमाओं का विसर्जन (Immersion of Maa Durga idol) दो दिनों से जारी है. गाजे-बाजे के साथ नाचते-गाते हुए धूमधाम से श्रद्धालु मूर्तियों का विसर्जन गंगा नदी में (Immersion of idols in River Ganaga) कर रहे हैं, लेकिन राजधानी पटना के विभिन्न घाटों पर जिला प्रशासन के आदेशों की पूरी तरह से धज्जियां उड़ायी गयी है. जहां लोग गंगा के किनारे हैं पूजा अर्चना में उपयोग किए गए सामानों को फेंककर चले जा रहे हैं.
ये भी पढ़ें- ठगी का नायाब तरीका: 'मुट्ठी बांधकर 21 बार लक्ष्मी का नाम लीजिए... 81 कदम चलकर आइए...'
बता दें कि जिला प्रशासन के द्वारा छोटे-छोटे पोखर और तालाब को चिन्हित किया गया था. जिसमें पूजा समिति के द्वारा इन्हीं पोखर और तालाब में मूर्ति विसर्जन किया जाना था. इसके बावजूद भी बहुत सारे लोग प्लास्टिक में पूजा सामग्री और स्थापित कलश व नारियल को गंगा में प्रवाहित करके प्रदूषित किये. जिसमें दीघा घाट ,भद्र घाट और काली घाट शामिल हैं.
ये भी पढ़ें- धूमधाम से किया गया मां दुर्गा का विसर्जन, सुरक्षा व्यवस्था का रहा पुख्ता इंतजाम
गौरतलब है कि सबसे ज्यादा प्लास्टिक से प्रदूषण और गंदगी फैलती है. इसके बावजूद लोगों में अभी भी गंगा की अविरलता को लेकर जागरुकता नहीं दिखाई दे रही है. सरकार गंगा को साफ और सुथरी बनाने के लिए स्वच्छता अभियान चला रही है. उसके बावजूद लोग अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं. गंगा किनारे घाटों पर प्लास्टिक में पूजा सामग्रियों के सामानों को फेक करके चले जा रहे हैं. जिससे गंगा का जल प्रदूषित हो रहा है और गंगा के किनारे गंदगी का अंबार देखने को मिल रहा है.