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बिहार में तालाब घोटाला: सालों से मछुआरे दे रहे राजस्व, नहीं मिला कब्जा

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Published : Dec 18, 2019, 4:56 PM IST

एक तरफ मुख्यमंत्री जल जीवन हरियाली महाभियान के तहत तालाब, पोखर, आहार को अतिक्रमण मुक्त कराने की बात करते हैं. वहीं दूसरी ओर बिहार के पशु एवं मत्स्य विभाग का कारनामा अलग है.

डिजाइन इमेज
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पटना: बिहार में हजारों की संख्या में तालाबों की बंदोबस्ती की जाती है. मछुआरों से तालाब बंदोबस्ती के नाम पर राजस्व भी वसूला जाता है. बड़ी संख्या में तालाब ऐसे हैं जिनकी बंदोबस्ती तो होती है, राजस्व भी लिया जाता है. लेकिन, मछुआरों का उसपर कोई अधिकार नहीं होता है. यानी सारा काम कागजों पर ही किया जाता है.

ईटीवी भारत संवाददाता अविनाश की रिपोर्ट

एक तरफ मुख्यमंत्री जल जीवन हरियाली महाभियान के तहत तालाब, पोखर, आहार को अतिक्रमण मुक्त कराने की बात करते हैं. अभियान के तहत प्रदेश के 1,32,000 से अधिक जलस्त्रोतों को जीर्णोद्धार के लिए चिन्हित किया गया है. लेकिन, बिहार के पशु एवं मत्स्य विभाग का कारनामा अलग है.

PATNA
कागजों पर ही हैं तालाब

अधिकार की आस में मछुआरे दे रहे राजस्व
मत्स्यजीवि सहकारी संघ के चैयरमैन की मानें तो विभाग मछुआरों को मछली मारने के लिए तालाब देती है. उनकी बंदोबस्ती कर हर साल करोड़ों का राजस्व लिया जाता है. लेकिन, मछुआरों की मानें तो बड़ी संख्या में तालाब की बंदोबस्ती होती है. लेकिन, विभाग कब्जा दिलाने में फेल है. मछुआरे हर बार राजस्व इसलिए चुकाते हैं, क्योंकि उन्हें आस है कि कभी ना कभी उन्हें कब्जा मिलेगा.

PATNA
ऋषिकेश कश्यप, मत्स्यजीवि सहकारी संघ के चेयरमैन

मंत्री प्रेम कुमार दे रहे गोल-मोल जवाब
पशु एवं मत्स्य मंत्री प्रेम कुमार भी इस बात को मानते हैं कि बड़ी संख्या में तालाबों पर अतिक्रमण है. जल जीवन हरियाली अभियान के तहत इन सभी को अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा. प्रेम कुमार के अनुसार दिसंबर तक इन्हें अतिक्रमण मुक्त कराकर मछुआरों को सौंपा जाएगा. लेकिन, बिना कब्जा दिलाए मछुआरों से राजस्व लेने पर उन्होंने कोई बयान नहीं दिया.

PATNA
प्रेम कुमार, मंत्री

ये भी पढ़ें: गया OTA बंद होने की खबर से CM नीतीश हैरान, रक्षा मंत्री को पत्र लिखकर जताया विरोध

बहरहाल, पशु एवं मत्स्य विभाग का यह खेल सालों से चल रहा है. लेकिन, यह एक बड़ा घोटाला है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह कि जब सरकार तलाब पर कब्जा नहीं दिला रही है तो फिर उसका राजस्व मछुआरों से कैसे ले रही है?

पटना: बिहार में हजारों की संख्या में तालाबों की बंदोबस्ती की जाती है. मछुआरों से तालाब बंदोबस्ती के नाम पर राजस्व भी वसूला जाता है. बड़ी संख्या में तालाब ऐसे हैं जिनकी बंदोबस्ती तो होती है, राजस्व भी लिया जाता है. लेकिन, मछुआरों का उसपर कोई अधिकार नहीं होता है. यानी सारा काम कागजों पर ही किया जाता है.

ईटीवी भारत संवाददाता अविनाश की रिपोर्ट

एक तरफ मुख्यमंत्री जल जीवन हरियाली महाभियान के तहत तालाब, पोखर, आहार को अतिक्रमण मुक्त कराने की बात करते हैं. अभियान के तहत प्रदेश के 1,32,000 से अधिक जलस्त्रोतों को जीर्णोद्धार के लिए चिन्हित किया गया है. लेकिन, बिहार के पशु एवं मत्स्य विभाग का कारनामा अलग है.

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कागजों पर ही हैं तालाब

अधिकार की आस में मछुआरे दे रहे राजस्व
मत्स्यजीवि सहकारी संघ के चैयरमैन की मानें तो विभाग मछुआरों को मछली मारने के लिए तालाब देती है. उनकी बंदोबस्ती कर हर साल करोड़ों का राजस्व लिया जाता है. लेकिन, मछुआरों की मानें तो बड़ी संख्या में तालाब की बंदोबस्ती होती है. लेकिन, विभाग कब्जा दिलाने में फेल है. मछुआरे हर बार राजस्व इसलिए चुकाते हैं, क्योंकि उन्हें आस है कि कभी ना कभी उन्हें कब्जा मिलेगा.

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ऋषिकेश कश्यप, मत्स्यजीवि सहकारी संघ के चेयरमैन

मंत्री प्रेम कुमार दे रहे गोल-मोल जवाब
पशु एवं मत्स्य मंत्री प्रेम कुमार भी इस बात को मानते हैं कि बड़ी संख्या में तालाबों पर अतिक्रमण है. जल जीवन हरियाली अभियान के तहत इन सभी को अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा. प्रेम कुमार के अनुसार दिसंबर तक इन्हें अतिक्रमण मुक्त कराकर मछुआरों को सौंपा जाएगा. लेकिन, बिना कब्जा दिलाए मछुआरों से राजस्व लेने पर उन्होंने कोई बयान नहीं दिया.

PATNA
प्रेम कुमार, मंत्री

ये भी पढ़ें: गया OTA बंद होने की खबर से CM नीतीश हैरान, रक्षा मंत्री को पत्र लिखकर जताया विरोध

बहरहाल, पशु एवं मत्स्य विभाग का यह खेल सालों से चल रहा है. लेकिन, यह एक बड़ा घोटाला है. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह कि जब सरकार तलाब पर कब्जा नहीं दिला रही है तो फिर उसका राजस्व मछुआरों से कैसे ले रही है?

Intro:पटना-- बिहार में हजारों की संख्या में तालाबों का बंदोबस्ती होता है मछुआरों को तालाब बंदोबस्ती के नाम पर राजस्व लिया जाता है लेकिन बड़ी संख्या में तालाब ऐसे हैं जिनका बंदोबस्ती तो हो जाता है राजस्व भी लिया जाता है लेकिन कब्जा मछुआरों का नहीं होता है यानी कागजों पर ही सब कुछ होता है ।
पेश है खास रिपोर्ट--


Body:एक तरफ मुख्यमंत्री जल जीवन हरियाली महा अभियान में तालाब पोखर आहर इन सब को अतिक्रमण मुक्त कराने की बात कर रहे हैं और ऐसे 132000 से अधिक है जल स्त्रोत हैं जिनको चिन्हित किया गया है । लेकिन पशु एवं मत्स्य विभाग का बिहार में कारनामा ही अलग है विभाग मछुआरों को मछली मारने के लिए तालाब देती है और बंदोबस्ती कर हर साल करोड़ों का राजस्व वसूलती है। लेकिन मछुआरों की माने तो बड़ी संख्या में तालाब की बंदोबस्ती तो हो जाती है लेकिन विभाग कब्जा नहीं दिला पाता है सरकार उसका राजस्व भी लेती रहती है। मछुआरे इस लोक में ले लेते हैं कि कभी ना कभी कब्जा जरूर मिलेगा।
बाईट-- ऋषिकेश कश्यप, चेयरमैन, मत्स्यजीवि सहकारी संघ
पशु एवं मत्स्य मंत्री प्रेम कुमार भी कहते हैं कि बड़ी संख्या में तालाबों पर अतिक्रमण है और जल जीवन हरियाली अभियान में इन सब को अतिक्रमण मुक्त कराया जाएगा । प्रेम कुमार के अनुसार दिसंबर तक इन सब को अतिक्रमण मुक्त कराकर मछुआरों को सौंपा जाएगा। लेकिन बिना कब्जा दिलाये मछुआरों से राजस्व लेने पर कुछ नहीं बोलते हैं।
बाईट-- प्रेम कुमार मंत्री कृषि पशु एवं मत्स्य विभाग



Conclusion: पशु एवं मत्स्य विभाग का यह खेल वर्षों से चल रहा है और मछुआरे इसलिए बंदोबस्ती कर राजस्व सरकार को देते हैं कि उन अतिक्रमण वाले तालाबों को सरकार कभी ना कभी अतिक्रमण मुक्त कराकर मछली मारने के लिए उपलब्ध करा देगी लेकिन यह एक बड़ा घोटाला है सबसे बड़ा सवाल यह कि जब सरकार तलाब पर कब्जा नहीं दिला रही है तो फिर उसका राजस्व मछुआरों से कैसे ले रही है?
अविनाश, पटना।
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