पटना: विश्व रक्तदान दिवस के मौके पर पीएमसीएच में राज्य का पहला थैलेसीमिया डे-केयर सेंटर का उद्घाटन किया गया. पीएमसीएच के डिपार्टमेंट ऑफ गायनेकोलॉजी के पांचवे तले पर यह केंद्र बनाया गया है. इसका उद्घाटन राज्य स्वास्थ्य समिति के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर मनोज कुमार ने किया. इस मौके पर पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. विमल कारक, प्राचार्य डॉ. विद्यापति चौधरी समेत कोई डॉक्टर मौजूद रहे.
थैलेसीमिया एक अनुवांशिक बीमारी है, जो माता-पिता से संतान को होती है और इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति के शरीर में रेड ब्लड सेल बननी बंद हो जाती हैं. इससे शरीर में खून की कमी आ जाती है. थैलेसीमिया के मरीजों को बार-बार खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है और भारत में अभी 2 लाख 25 हजार से ज्यादा बच्चे थैलेसीमिया रोग से पीड़ित हैं. भारत में हर साल 10 से 12 हजार बच्चे थैलेसीमिया रोग के साथ जन्म लेते है. पटना के पीएमसीएच में खुला है यह थैलेसीमिया डे-केयर सेंटर में हीमोफीलिया का इलाज होगा.
- यह सेंटर बिहार में पहला और देश का 141 वां सेंटर है.
- थैलेसीमिया के मरीजों को औसतन प्रत्येक 15 दिन पर खून चढ़ाने की जरूरत पड़ती है.
अब होगा थैलेसीमिया का इलाज
थैलेसीमिया डे-केयर सेंटर के उद्घाटन के बाद राज्य स्वास्थ्य समिति के एक्सक्यूटिव डायरेक्टर मनोज कुमार ने बताया कि थैलेसीमिया और हीमोफीलिया के मरीजों की संख्या पूरे विश्व में सबसे ज्यादा भारत में है. बिहार में अभी तक कोई भी ऐसा डेडीकेटेड सेंटर नहीं था, जहां इस प्रकार के मरीजों का इलाज किया जा सके. उन्होंने बताया कि यह सेंटर राज्य में ट्रेनिंग सेंटर के तौर पर भी काम करेगा. राज्य में जहां भी अस्पतालों में इस प्रकार के मरीजों का इलाज होता है, वहां के डॉक्टरों और नर्सों को यहां सेंटर में ट्रेनिंग दी जाएगी. उन्होंने बताया कि यह सेंटर एटीएमआरएफ संस्था और राज्य स्वास्थ्य समिति के सहयोग से बना है. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इस सेंटर के शुरू होने से राज्य के मरीजों को सहूलियत होगी.
वहीं, पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. विमल कारक ने कहा कि इस सेंटर को चलाने के लिए वह सोमवार तक कोआर्डिनेशन कमेटी बना लेंगे. इसके बाद बुधवार को कोआर्डिनेशन कमेटी की बैठक आयोजित करेंगे. उन्होंने कहा कि ब्लड बैंक से कोआर्डिनेशन करके उनकी कोशिश यह रहेगी कि मरीजों को किसी प्रकार के रक्त चढ़ाने के लिए ब्लड की कमी न हो.