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जिसने की थी राज्य की परिकल्पना, अब उसे भूलने लगा है बिहार

'संविधान सभा के अध्यक्ष बनने के कुछ दिनों बाद ही सच्चिदानंद सिन्हा की तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद राजेंद्र प्रसाद को अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन जब संविधान तैयार हो गया. तब उस पर सच्चिदानंद सिन्हा का हस्ताक्षर कराने के लिए चार्टर्ड प्लेन से संविधान को दिल्ली से पटना लाया गया था.'

पटना
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Published : Nov 15, 2019, 11:08 AM IST

Updated : Nov 15, 2019, 7:46 PM IST

पटनाः एक तरफ बिहारी स्वाभिमान और अस्मिता की बातें होती है और दूसरी तरह बिहार के विभूतियों की उपेक्षा की जा रही है. संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सच्चिदानंद सिन्हा को उनका ही प्रदेश बिहार भूलने लगा है. सच्चिदानंद सिन्हा संविधान सभा के प्रथम अध्यक्ष थे. बिहार को अलग राज्य के तौर पर गठित करने की मांग सबसे पहले उन्होंने ही की थी.

सच्चिदानंद ने की थी बिहार राज्य की मांग
सच्चिदानंद सिन्हा ने 1893 में बिहार राज्य की परिकल्पना की थी. बंगाल जब यूनाइटेड प्रोविंस 1906 में अलग हुआ तब इसका नाम बिहार रखने की उन्होंने पुरजोर मांग की. तब उनकी यह मांग नहीं मानी गई लेकिन उन्होंने अपना प्रयास जारी रखा और 22 मार्च 1912 को बिहार को, बंगाल से अलग करके अलग राज्य का दर्जा दिया गया.

पटना
पटना म्यूजियम की तस्वीर

पटना कॉलेज को दिलाया विश्वविद्यालय का दर्जा
सच्चिदानंद सिन्हा अपने जमाने में बहुत बड़े बैरिस्टर हुआ करते थे. यूनाइटेड प्रोविंस से बंगाल के अलग होने के बाद उन्होंने पटना कॉलेज को पटना विश्वविद्यालय बनाने की दिशा में काम करना शुरू किया और इसे पटना विश्वविद्यालय का दर्जा हासिल हो गया. इससे पहले पटना कॉलेज कोलकाता विश्वविद्यालय के अंतर्गत हुआ करता था.

पीयू के थे वीसी
पटना विश्वविद्यालय में इतिहास विषय के शोधार्थी प्रोफेसर माया नंद ने बताया कि सच्चिदानंद सिन्हा को भुलाया नहीं जा सकता. वह लंबे अरसे तक पटना विश्वविद्यालय के वीसी के पद पर रहे. विदेश नीति पर दिए गए उनके भाषण आज भी एक मिसाल है.

पटना
बदहाल अवस्था में पटना का सिन्हा लाइब्रेरी

सच्चिदानंद सिन्हा की जयंती पर राजकीय समारोह की घोषणा
सच्चिदानंद सिन्हा पर शोध करने वाले हरेंद्र प्रसाद ने बताया कि सच्चिदानंद सिन्हा चाहते थे कि बिहार का अपना एक म्यूजियम हो. जिसमें ऐतिहासिक और पौराणिक वस्तुओं का संरक्षण हो सके. उन्होंने बताया कि 10 नवंबर 2009 को सच्चिदानंद सिन्हा की जयंती के मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनकी जयंती को राजकीय समारोह के रूप में मनाने की घोषणा की.

ये भी पढ़ेंः राजकीय सम्मान के साथ पैतृक गांव में आज होगा महान गणितज्ञ का अंतिम संस्कार

सच्चिदानंद की स्मारिका तक नहीं
हरेंद्र प्रसाद ने बताया कि उसी मौके पर नीतीश कुमार ने सच्चिदानंद सिन्हा की आदम कद प्रतिमा और स्मारिका बनाने की घोषणा की थी. लेकिन घोषणा के 10 वर्ष बाद भी उनकी प्रतिमा और स्मारिका स्थापित नहीं हो सकी है. उन्होंने बताया कि बिहार बोर्ड का इंटर काउंसिल बोर्ड ऑफिस का जो कार्यालय है वह विशाल ऐतिहासिक भवन सचिदा बाबू की संपत्ति थी और इसके ठीक बगल में सिन्हा लाइब्रेरी है जो उनकी निजी लाइब्रेरी हुआ करती थी जिसे बाद में उन्होंने पब्लिक के लिए ओपन कर दिया था.

पटना से ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सरकार कर रही है उपेक्षा
हरेंद्र प्रसाद ने कहा कि सरकारों ने सच्चिदानंद सिन्हा के संपत्ति का भरपूर उपयोग किया है लेकिन उनके कृतित्व को लोग जान सके, इसके लिए कहीं भी उनकी स्मारिका नहीं बनाई है. सभी सरकारों ने उनकी उपेक्षा ही की है. बिहार के समृद्ध लाइब्रेरी में गिना जाने वाला सिन्हा लाइब्रेरी आज बदहाल स्थिति में है. सरकार इसके रखरखाव पर ध्यान नहीं दे रही है.

संविधान पर हस्ताक्षर
हरेंद्र प्रसाद ने बताया कि सच्चिदानंद सिन्हा दौर के बड़े नेता बी कृपलानी ने सच्चिदानंद सिन्हा को संविधान सभा का पहला अध्यक्ष बनाए जाने की अनुशंसा की थी. संविधान सभा के अध्यक्ष बनने के कुछ दिनों बाद ही सच्चिदानंद सिन्हा की तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद राजेंद्र प्रसाद को अध्यक्ष बनाया गया लेकिन जब संविधान तैयार हो गया. तब उस पर सच्चिदानंद सिन्हा का हस्ताक्षर कराने के लिए चार्टर्ड प्लेन से संविधान को दिल्ली से पटना लाया गया था.

पटनाः एक तरफ बिहारी स्वाभिमान और अस्मिता की बातें होती है और दूसरी तरह बिहार के विभूतियों की उपेक्षा की जा रही है. संविधान निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले सच्चिदानंद सिन्हा को उनका ही प्रदेश बिहार भूलने लगा है. सच्चिदानंद सिन्हा संविधान सभा के प्रथम अध्यक्ष थे. बिहार को अलग राज्य के तौर पर गठित करने की मांग सबसे पहले उन्होंने ही की थी.

सच्चिदानंद ने की थी बिहार राज्य की मांग
सच्चिदानंद सिन्हा ने 1893 में बिहार राज्य की परिकल्पना की थी. बंगाल जब यूनाइटेड प्रोविंस 1906 में अलग हुआ तब इसका नाम बिहार रखने की उन्होंने पुरजोर मांग की. तब उनकी यह मांग नहीं मानी गई लेकिन उन्होंने अपना प्रयास जारी रखा और 22 मार्च 1912 को बिहार को, बंगाल से अलग करके अलग राज्य का दर्जा दिया गया.

पटना
पटना म्यूजियम की तस्वीर

पटना कॉलेज को दिलाया विश्वविद्यालय का दर्जा
सच्चिदानंद सिन्हा अपने जमाने में बहुत बड़े बैरिस्टर हुआ करते थे. यूनाइटेड प्रोविंस से बंगाल के अलग होने के बाद उन्होंने पटना कॉलेज को पटना विश्वविद्यालय बनाने की दिशा में काम करना शुरू किया और इसे पटना विश्वविद्यालय का दर्जा हासिल हो गया. इससे पहले पटना कॉलेज कोलकाता विश्वविद्यालय के अंतर्गत हुआ करता था.

पीयू के थे वीसी
पटना विश्वविद्यालय में इतिहास विषय के शोधार्थी प्रोफेसर माया नंद ने बताया कि सच्चिदानंद सिन्हा को भुलाया नहीं जा सकता. वह लंबे अरसे तक पटना विश्वविद्यालय के वीसी के पद पर रहे. विदेश नीति पर दिए गए उनके भाषण आज भी एक मिसाल है.

पटना
बदहाल अवस्था में पटना का सिन्हा लाइब्रेरी

सच्चिदानंद सिन्हा की जयंती पर राजकीय समारोह की घोषणा
सच्चिदानंद सिन्हा पर शोध करने वाले हरेंद्र प्रसाद ने बताया कि सच्चिदानंद सिन्हा चाहते थे कि बिहार का अपना एक म्यूजियम हो. जिसमें ऐतिहासिक और पौराणिक वस्तुओं का संरक्षण हो सके. उन्होंने बताया कि 10 नवंबर 2009 को सच्चिदानंद सिन्हा की जयंती के मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उनकी जयंती को राजकीय समारोह के रूप में मनाने की घोषणा की.

ये भी पढ़ेंः राजकीय सम्मान के साथ पैतृक गांव में आज होगा महान गणितज्ञ का अंतिम संस्कार

सच्चिदानंद की स्मारिका तक नहीं
हरेंद्र प्रसाद ने बताया कि उसी मौके पर नीतीश कुमार ने सच्चिदानंद सिन्हा की आदम कद प्रतिमा और स्मारिका बनाने की घोषणा की थी. लेकिन घोषणा के 10 वर्ष बाद भी उनकी प्रतिमा और स्मारिका स्थापित नहीं हो सकी है. उन्होंने बताया कि बिहार बोर्ड का इंटर काउंसिल बोर्ड ऑफिस का जो कार्यालय है वह विशाल ऐतिहासिक भवन सचिदा बाबू की संपत्ति थी और इसके ठीक बगल में सिन्हा लाइब्रेरी है जो उनकी निजी लाइब्रेरी हुआ करती थी जिसे बाद में उन्होंने पब्लिक के लिए ओपन कर दिया था.

पटना से ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सरकार कर रही है उपेक्षा
हरेंद्र प्रसाद ने कहा कि सरकारों ने सच्चिदानंद सिन्हा के संपत्ति का भरपूर उपयोग किया है लेकिन उनके कृतित्व को लोग जान सके, इसके लिए कहीं भी उनकी स्मारिका नहीं बनाई है. सभी सरकारों ने उनकी उपेक्षा ही की है. बिहार के समृद्ध लाइब्रेरी में गिना जाने वाला सिन्हा लाइब्रेरी आज बदहाल स्थिति में है. सरकार इसके रखरखाव पर ध्यान नहीं दे रही है.

संविधान पर हस्ताक्षर
हरेंद्र प्रसाद ने बताया कि सच्चिदानंद सिन्हा दौर के बड़े नेता बी कृपलानी ने सच्चिदानंद सिन्हा को संविधान सभा का पहला अध्यक्ष बनाए जाने की अनुशंसा की थी. संविधान सभा के अध्यक्ष बनने के कुछ दिनों बाद ही सच्चिदानंद सिन्हा की तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद राजेंद्र प्रसाद को अध्यक्ष बनाया गया लेकिन जब संविधान तैयार हो गया. तब उस पर सच्चिदानंद सिन्हा का हस्ताक्षर कराने के लिए चार्टर्ड प्लेन से संविधान को दिल्ली से पटना लाया गया था.

Intro:स्पेशल एक्सक्लूसिव स्टोरी....

(बिहार ने भुला दिया अपने महान विभूति को)

इन दिनों बिहार में बिहारी स्वाभिमान और अस्मिता की खूब बातें होती हैं मगर जिनके प्रयासों से बिहार का गठन हुआ बिहार ने वैसे विभूति को ही भुला दिया है. हम बात कर रहे हैं संविधान सभा के प्रथम अंतरिम अध्यक्ष सच्चिदानंद सिन्हा की. सच्चिदानंद सिन्हा कि बिहार में कहीं कोई स्मारिका नहीं है बस 10 नवंबर को उनके जयंती के दिन एक सरकारी आयोजन होता है उसके बाद फिर भूल जाते हैं लोग की कौन थे सच्चिदानंद सिन्हा.
सच्चिदानंद सिन्हा ने 1893 से ही बिहार राज्य की परिकल्पना की थी. यूनाइटेड प्रोविंस से बंगाल जब 1906 में अलग हुआ उन्होंने इस प्रदेश को बिहार कहे जाने की पुरजोर मांग उठाई. उन्होंने बिहारी नाम से एक अखबार भी निकाला और उनके प्रयासों का ही नतीजा रहा कि 1912 के 22 मार्च को बिहार के गठन की मंजूरी दी गई.


Body:सच्चिदानंद सिन्हा देश के बहुत बड़े बैरिस्टर हुआ करते थे और यूनाइटेड प्रोविंस से बंगाल के अलग होने के बाद उन्होंने पटना कॉलेज को पटना विश्वविद्यालय बनाने की दिशा में काम किया और पटना विश्वविद्यालय का दर्जा हासिल कराया. इससे पूर्व पटना कॉलेज कोलकाता विश्वविद्यालय के अंदर आता था.

सच्चिदानंद सिन्हा पर शोध करने वाले हरेंद्र प्रसाद बताते हैं कि सच्चिदानंद सिन्हा का प्रयास था कि पटना म्यूजियम बना. उन्होंने बताया कि सचिदा बाबू चाहते थे कि बिहार का अपना एक म्यूजियम हो जिसमें ऐतिहासिक और पौराणिक वस्तुओं का संरक्षण हो सके. उन्होंने बताया कि उनके प्रयासों का ही नतीजा रहा कि 2009 में 10 नवंबर को सच्चिदानंद सिन्हा की जयंती के मौके पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जयंती को राजकीय समारोह के रूप में मनाने की घोषणा की और साथ ही यह भी घोषणा की कि अगले वर्ष से बिहार दिवस भी मनाया जाएगा जिसके बाद 22 मार्च 2010 को पहली बार बिहार दिवस का आयोजन कराया गया. हरेंद्र प्रसाद ने बताया कि 10 नवंबर 2009 को नीतीश कुमार ने सच्चिदानंद सिन्हा की आदम कद प्रतिमा और स्मारिका बनाने की घोषणा की मगर 10 वर्ष हो गए अभी तक कहीं भी उनकी प्रतिमा और स्मारिका स्थापित नहीं हुई ताकि भावी युवा पीढ़ी सच्चिदानंद सिन्हा के कृतित्व को जान सके. उन्होंने बताया कि बिहार बोर्ड का इंटर काउंसिल बोर्ड ऑफिस का जो कार्यालय है वह विशाल ऐतिहासिक भवन सचिदा बाबू की संपत्ति थी और इसके ठीक बगल में सिन्हा लाइब्रेरी है जो उनकी निजी लाइब्रेरी हुआ करती थी जिसे बाद में उन्होंने पब्लिक के लिए ओपन कर दिया था. हरेंद्र प्रसाद ने कहा कि सरकारों ने सचिदा बाबू के संपत्ति का भरपूर उपयोग किया है लेकिन उनके कृतित्व को लोग जान सके इसके लिए कहीं भी कोई सच्चिदानंद सिन्हा की स्मारिका नहीं बनाई है और अभी तक के सरकारों ने लगातार उनकी उपेक्षा ही की है. बिहार के सबसे बड़े लाइब्रेरी में गिना जाता है सिन्हा लाइब्रेरी लेकिन इसकी हालत भी खराब है और इसके रखरखाव पर सरकार का ध्यान नहीं है.


Conclusion:पटना विश्वविद्यालय में इतिहास विषय के शोधार्थी प्रोफेसर माया नंद ने बताया कि सच्चिदानंद सिन्हा को बिहार ने भुलाया नहीं है मगर बड़े तौर पर देखें तो उन्हें थोड़े समय के लिए विस्मृत जरूर किया गया है. उन्होंने बताया कि सच्चिदानंद सिन्हा सिर्फ बिहार के ही नहीं पूरे देश के महान विभूति थे और वह संविधान सभा के प्रथम अध्यक्ष थे. उन्होंने बताया कि उनके दौर के बड़े नेता बी कृपलानी ने सच्चिदानंद सिन्हा को संविधान सभा का पहला अध्यक्ष बनाए जाने की अनुशंसा की थी. संविधान सभा के अध्यक्ष बनने के कुछ दिनों बाद ही उनकी तबीयत बिगड़ गई जिसके बाद राजेंद्र प्रसाद को अध्यक्ष बनाया गया लेकिन जब संविधान तैयार हो गया तब उस पर सच्चिदानंद सिन्हा का हस्ताक्षर कराने के लिए चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली से पटना संविधान को लाया गया था.
प्रोफेसर माया नंद ने बताया कि सच्चिदानंद सिन्हा को भुलाया नहीं जा सकता उन्हीं के प्रयासों से ही पटना विश्वविद्यालय और लंबे अरसे तक वह पटना विश्वविद्यालय के वीसी के पद पर रहे. उनके विदेश नीति पर दिए गए भाषण आज भी एक मिसाल है.
Last Updated : Nov 15, 2019, 7:46 PM IST
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