पटनाः बिहार के वित्त और वाणिज्य कर मंत्री विजय कुमार चौधरी ने पटना में व्यवसायियों के साथ बैठक (Finance Minister Holds Meeting With Businessmen ) की. इस दौरान उन्होंने कहा कि कर चोरी राज्य की समृद्धि में बाधक है. अच्छे व्यवसायियों द्वारा समय पर टैक्स देना राज्य की समृद्धि में बड़ा योगदान है. उन्होंने व्यवसायियों से अपील करते हुए कहा कि सरकार के निर्धारित प्रावधान के अनुसार वांछित कर का भुगतान समय पर करें.
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"वैसे व्यवसायी, जिनके द्वारा अपने कारोबार के अनुरूप कर का भुगतान नहीं किया जा रहा है या अनिबंधित हैं. साथ ही कर चोरी जा रही है, उनका ह्यूमन इंटेलिजेंस और डाटा एनालिटिक्स के आधार पर विश्लेषण करते हुए कार्रवाई की जा रही है. निरीक्षण के दौरान अगर दोषी पाए गए तो व्यवसायियों से कर वसूली के साथ-साथ नियमानुसार ब्याज पेनाल्टी भी वसूल किया जायेगा. करदाताओं से मेरी अपील है कि कोरोबार के हिसाब से कर का भुगतान करें."-विजय कुमार चौधरी, वित्त व वाणिज्य कर मंत्री
पटना के 2 व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में मिली थी गड़बड़ीः बता दें कि वाणिज्य कर विभाग के केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा हाल के दिनों में पटेल नगर स्थित दो व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के निरीक्षण के क्रम में पाया गया कि उन्होंने राज्य में व्यवसाय से जितनी बिक्री दर्शायी है, उसके अनुरूप मासिक विवरणी जीएसटीआर-3बी में कर का भुगतान स्वीकृत नहीं किया है. यही नहीं, इन दोनों फर्मों द्वारा फर्जी क्रेडिट का इस्तेमाल करते हुए कर भुगतान करने का मामला भी पाया गया. इस प्रकार, दोनों फर्मो द्वारा राज्य के जितने निबंधित व्यवसायियों की बिक्री दर्शायी गई है, उनकी खरीद भी संदिग्ध पायी गयी.
3 करोड़ से अधिक फर्जीवाड़ाः वाणिज्य कर विभाग द्वारा पटना, बेगूसराय, समस्तीपुर, शाहाबाद और नालंदा जिलों में संचालित ऐसे 16 व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को चिह्नित किया गया, जिन्होंने इन दो फर्मों से बड़ी मात्रा में खरीद दर्शायी है और तीन करोड़ रुपए से अधिक के टैक्स का फर्जीवाड़ा किया है.
दिसंबर में 16 स्थानों पर की गई छापेमारीः वाणिज्य कर विभाग की सचिव डॉ प्रतिमा (Secretary Of Commercial Taxes Department Dr Pratima) के निर्देश पर 24 दिसंबर 2022 को पटना में 06, बेगूसराय में 04, बाढ़ में 03, शाहाबाद, समस्तीपुर और नवादा में 01-01 जगहों पर जांच की गई. कुल 16 स्थानों पर निरीक्षण की कार्रवाई की गई, इस अभियान के लिए गठित 16 टीमों ने विभाग के 32 से अधिक पदाधिकारी शामिल हुए. विभागीय पदाधिकारियों की टीम को देखकर कई कारोबारी भाग खड़े हुए, जबकि कई व्यवसायियों ने अपनी संलिप्तता को स्वीकार करते हुए कर भुगतान करने पर सहमति दी.