पटना: जनता दल यूनाइटेड (JDU) में अध्यक्ष पद को लेकर एक अनार और कई बीमार वाली स्थिति है. वहीं, आरसीपी सिंह (RCP Singh) अध्यक्ष पद छोड़ने को तैयार नहीं है. दो राजनीतिक घटनाओं की वजह से जदयू में राजनीतिक भूचाल जैसी स्थिति है.
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दरअसल, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह केंद्र की सरकार में मंत्री बनाए जा चुके हैं. संसदीय दल के नेता ललन सिंह (Lalan Singh) भी मंत्रिमंडल में जगह चाहते थे, लेकिन जगह नहीं मिलने से वह नाराज हैं. सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) को बड़े ही तामझाम के साथ जदयू में एंट्री दी. पहले तो उन्हें पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया और फिर विधान परिषद का सदस्य बना दिया गया.
उपेंद्र कुशवाहा की एंट्री के साथ ही पार्टी में विवाद खड़ा हो गया. दरअसल, जदयू के संविधान के मुताबिक जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष होता है. लेकिन, नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह के अध्यक्ष रहते हुए उपेंद्र कुशवाहा को पार्लियामेंट्री बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया.
यहीं से पार्टी के अंदर कन्फ्यूजन की स्थिति बन गई. दूसरा यह कि पार्टी में एक व्यक्ति एक पद का सिद्धांत है. आरसीपी सिंह के पास राष्ट्रीय अध्यक्ष के अलावा मंत्रालय का भी जिम्मा है. हालांकि, इससे पहले भी नीतीश कुमार मुख्यमंत्री रहते हुए राष्ट्रीय अध्यक्ष भी थे.
''उपेंद्र कुशवाहा, आरसीपी सिंह और नीतीश कुमार के बयान के बाद कोई विवाद अब नहीं रह गया है. मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि जिसे जो जिम्मेदारी सौंपी गई है, उसका वह निर्वहन करेंगे. वहीं, पार्टी कार्यकर्ता आरसीपी सिंह के नेतृत्व में काम करते रहेंगे.''- जय कुमार सिंह, जदयू नेता और पूर्व मंत्री
''पार्टी के अंदर कोई कंफ्यूजन नहीं है. नीतीश कुमार के नेतृत्व में हम काम कर रहे हैं. आरसीपी सिंह अध्यक्ष हैं और उन्हीं के नेतृत्व में हम लोग आगे काम करेंगे. जहां तक पार्लियामेंट्री बोर्ड का मसला है, तो अगर जरूरत पड़ी तो आने वाले दिनों में हम पार्टी के संविधान में संशोधन भी करेंगे.''- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जदयू
बता दें कि जदयू में आरसीपी सिंह उपेंद्र कुशवाहा और ललन सिंह के बीच संघर्ष का दौर जारी है. अध्यक्ष पद को लेकर भी खींचतान है. सवाल ये उठता है कि क्या आरसीपी सिंह अध्यक्ष पद छोड़ेंगे और उपेंद्र कुशवाहा अगले अध्यक्ष बनाए जाएंगे या फिर पार्टी यथास्थिति बनाए रखने के लिए संविधान में संशोधन करेगी.
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