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बिहार के 50 प्रवासी मजदूरों को मिला दुर्घटना अनुदान योजना का लाभ, 15 की कोरोना से हो चुकी है मौत - Right to Public Services legislation

बिहार श्रम संसाधन विभाग ने बिहार राज्य प्रवासी मजदूर (Migrant Workers) दुर्घटना अनुदान योजना के तहत 50 मजदूरों को इसका लाभ दिया है. इसे अब लोक सेवा अधिकार अधिनियम (Right to Public Services legislation) में शामिल किया जा चुका है.

accident grant scheme in bihar
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Published : Jul 10, 2021, 9:40 PM IST

पटना: बिहार राज्य प्रवासी मजदूर दुर्घटना अनुदान (Migrant Labour Accident Grant Scheme) को अब लोक सेवा अधिकार अधिनियम में शामिल किया जा चुका है. साथ ही श्रम संसाधन विभाग (Labor Resource Department) के मंत्री जीवेश कुमार मिश्रा (Jivesh Kumar Mishra) द्वारा 22 जून को अनुदान योजना को आरटीपीएस में शामिल किया गया. इस योजना के तहत प्रवासी मजदूरों की मौत होने पर 1 लाख रुपये, पूर्ण अपंगता होने पर 75000 रुपये और आंशिक अपंगता की स्थिति में 37500 रुपये बिहार सरकार द्वारा राज्य प्रवासी मजदूरों को मुआवजे के रूप में दिया जाता है.

यह भी पढ़ें- ब्लैक फंगस की दवा की भारी किल्लत, बोले मंगल पांडेय- जल्द ही सहजता से उपल्बध होगा एंफोटरइसिन बी

बिहार राज्य प्रवासी मजदूर दुर्घटना अनुदान योजना के लाभ के लिए प्रवासी मजदूर को संबंधित प्रखंड के आरटीपीएस काउंटर पर आवेदन करना होता है. जिसके बाद 14 दिनों के अंदर दुर्घटना अनुदान की योजना का लाभ लाभार्थी के अकाउंट में भेजा जाता है. लगभग 18 दिन में 250 मजदूरों ने आरटीपीएस काउंटर के माध्यम से आवेदन दिया था. जिसको श्रम संसाधन विभाग के द्वारा वेरिफिकेशन करा 50 श्रमिकों को अनुदान की राशि हस्तांतरित भी कर दी गई है.

देखें रिपोर्ट

15 लोग लगभग ऐसे श्रमिक थे जिनकी कोरोना काल में मौत हुई थी. उनके परिवार को इस योजना का लाभ पहुंचाया गया है. योजना के तहत वित्तीय सहायता का प्रावधान राज्य के बाहर काम करने वाले उन असंगठित मजूदरों के लिए है, जो बिहार के रहने वाले हैं. प्रवासी मजदूर की उम्र 18 से 65 साल के बीच होनी चाहिए. विभाग 14 दिन के अंदर फॉर्म को जांच करके स्वीकृत करने का काम करेंगे.

अगर बिहार के रहने वाले प्रवासी मजूदर की अन्य राज्य में मृत्यु होने पर पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करानी होगी. उसके बाद मृतक का पोस्टमॉर्टम होगा और मृत्यु प्रमाण पत्र लेना होगा. उसी के आधार पर यह साबित होगा कि मरने वाला बिहार का रहने वाला था. इस प्रमाण पत्र के साथ क्लेम फॉर्म, जाति प्रमाण पत्र, आवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, बैंक अकाउंट डिटेल्स, FIR की कॉपी आदि डॉक्युमेंट लेकर मृतक के आश्रित को मृत मजदूर के बिहार में निवास क्षेत्र से संबंधित प्रखंड विकास अधिकारी/श्रम अधीक्षक/जिला पदाधिकारी के कार्यालय में दाखिल करना होगा. अगर सभी कागजात सही हैं तो दो महीने में मुआवजा आवंटित कर दिया जाता है.

बिहार राज्य प्रवासी मजदूर दुर्घटना अनुदान योजना को अब लोक सेवा अधिकार अधिनियम में शामिल किया जा चुका है. योजना के लाभ के लिए प्रवासी मजदूर को संबंधित प्रखंड के आरटीपीएस काउंटर पर आवेदन होना होगा.

कोरोना संक्रमण से उत्पन्न स्थिति के फलस्वरुप बिहार राज्य प्रवासी मजदूर दुर्घटना अनुदान योजना संशोधन नियमावली 2020 के द्वारा सरकार द्वारा घोषित महामारी में मृत प्रवासी श्रमिकों को भी इस योजना से आच्छादित करने का प्रावधान किया गया है.

पटना: बिहार राज्य प्रवासी मजदूर दुर्घटना अनुदान (Migrant Labour Accident Grant Scheme) को अब लोक सेवा अधिकार अधिनियम में शामिल किया जा चुका है. साथ ही श्रम संसाधन विभाग (Labor Resource Department) के मंत्री जीवेश कुमार मिश्रा (Jivesh Kumar Mishra) द्वारा 22 जून को अनुदान योजना को आरटीपीएस में शामिल किया गया. इस योजना के तहत प्रवासी मजदूरों की मौत होने पर 1 लाख रुपये, पूर्ण अपंगता होने पर 75000 रुपये और आंशिक अपंगता की स्थिति में 37500 रुपये बिहार सरकार द्वारा राज्य प्रवासी मजदूरों को मुआवजे के रूप में दिया जाता है.

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बिहार राज्य प्रवासी मजदूर दुर्घटना अनुदान योजना के लाभ के लिए प्रवासी मजदूर को संबंधित प्रखंड के आरटीपीएस काउंटर पर आवेदन करना होता है. जिसके बाद 14 दिनों के अंदर दुर्घटना अनुदान की योजना का लाभ लाभार्थी के अकाउंट में भेजा जाता है. लगभग 18 दिन में 250 मजदूरों ने आरटीपीएस काउंटर के माध्यम से आवेदन दिया था. जिसको श्रम संसाधन विभाग के द्वारा वेरिफिकेशन करा 50 श्रमिकों को अनुदान की राशि हस्तांतरित भी कर दी गई है.

देखें रिपोर्ट

15 लोग लगभग ऐसे श्रमिक थे जिनकी कोरोना काल में मौत हुई थी. उनके परिवार को इस योजना का लाभ पहुंचाया गया है. योजना के तहत वित्तीय सहायता का प्रावधान राज्य के बाहर काम करने वाले उन असंगठित मजूदरों के लिए है, जो बिहार के रहने वाले हैं. प्रवासी मजदूर की उम्र 18 से 65 साल के बीच होनी चाहिए. विभाग 14 दिन के अंदर फॉर्म को जांच करके स्वीकृत करने का काम करेंगे.

अगर बिहार के रहने वाले प्रवासी मजूदर की अन्य राज्य में मृत्यु होने पर पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करानी होगी. उसके बाद मृतक का पोस्टमॉर्टम होगा और मृत्यु प्रमाण पत्र लेना होगा. उसी के आधार पर यह साबित होगा कि मरने वाला बिहार का रहने वाला था. इस प्रमाण पत्र के साथ क्लेम फॉर्म, जाति प्रमाण पत्र, आवास प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, बैंक अकाउंट डिटेल्स, FIR की कॉपी आदि डॉक्युमेंट लेकर मृतक के आश्रित को मृत मजदूर के बिहार में निवास क्षेत्र से संबंधित प्रखंड विकास अधिकारी/श्रम अधीक्षक/जिला पदाधिकारी के कार्यालय में दाखिल करना होगा. अगर सभी कागजात सही हैं तो दो महीने में मुआवजा आवंटित कर दिया जाता है.

बिहार राज्य प्रवासी मजदूर दुर्घटना अनुदान योजना को अब लोक सेवा अधिकार अधिनियम में शामिल किया जा चुका है. योजना के लाभ के लिए प्रवासी मजदूर को संबंधित प्रखंड के आरटीपीएस काउंटर पर आवेदन होना होगा.

कोरोना संक्रमण से उत्पन्न स्थिति के फलस्वरुप बिहार राज्य प्रवासी मजदूर दुर्घटना अनुदान योजना संशोधन नियमावली 2020 के द्वारा सरकार द्वारा घोषित महामारी में मृत प्रवासी श्रमिकों को भी इस योजना से आच्छादित करने का प्रावधान किया गया है.

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