पटना: आज देशभर में मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जा रहा है. बिहार में मकर संक्रांति के दिन तिल-गुड़ के पकवानों के साथ ही दही चूड़ा और खिचड़ी खाने का भी विशेष महत्व है. मकर संक्रांति के दिन लोग सुबह उठकर स्नान ध्यान करते हैं. नदी तट पर स्नान करना भी शुभ माना जाता है. इसके बाद लोग भगवान सूर्य की पूजा करते हैं. साथ ही साथ दान पुण्य भी करते हैं.
शीत ऋतु के पौस मास में जब भगवान भास्कर उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो सूर्य की इस संक्रांति को मकर संक्राति के रूप में देश भर में मनाया जाता है. शास्त्रों में मकर संक्रांति के दिन स्नान, ध्यान और दान का विशेष महत्व बताया गया है. पुराणों में मकर संक्रांति को देवताओं का दिन बताया गया है. मान्यता है कि इस दिन किया गया दान सौ गुना होकर वापस लौटता है.
मकर में हुआ सूर्य का प्रवेश
माघ कृष्ण पक्ष की उदया चतुर्थी तिथि के सूर्य की मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है. इस तीन सूर्यदेव धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करते है. सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही खरमास या धनुर्मास भी समाप्त हो जाता है. ऐसे में अब तक जो शादी-ब्याह आदि शुभ कार्यों पर रोक लगी थी, वो हट जायेगी और फिर से शादियों का सीजन शुरू हो जायेगा.
तिल, गुड़ और खिचड़ी का खास महत्व
बिहार में वैसे तो इस दिन कई ऐसी चीजें हैं जो खाई जाती हैं, जैसे दही चुड़ा, गुड़, तिलकुट, तिल के लड्डू और शाम के वक्त खिचड़ी. लेकिन तिल, गुड़ और खिचड़ी का खास महत्व होता है.
सर्दियों में गुड़ से होता है शरीर गर्म
इस दिन भगवान को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. तिल और गुड़ का प्रसाद बांटा जाता है. कई स्थानों पर पतंग उड़ाने की परंपरा भी है. जिसकी वजह कुछ घंटे सूर्य के प्रकाश में बिताना है. सर्दी के मौसम में गर्मी तासीर वाली चीजे खाना स्वास्थ्य के लिहाज से लाभदायक होता है. इसलिए, इस दिन गुड़ और तिल से बने मिष्ठान खाए जाते हैं.
खिचड़ी का महत्व
बिहार में मकर संक्रान्ति को खिचड़ी नाम से भी जाता हैं. इस दिन चावल और दाल की खिचड़ी खाई और दान की जाती है. दरअसल, जानकार बताते है कि मिथिलांचल में सर्दियों के मौसम में खीर (दूध-चावल से बना व्यंजन) को उत्तम भोजन माना जाता है, लेकिन गरीबों के लिए दूध जुटाना संभव नहीं था, इसलिए पानी में पकने वाली खिचड़ी बनाने की परंपरा शुरू हुई. मिथिला में खिचड़ी पकाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.
मकर संक्रांति मुहूर्त
- पुण्य काल मुहूर्त: सुबह 08:03:07 से 12:30:00 तक
- महापुण्य काल मुहूर्त: सुबह 08:03:07 से 08:27:07 तक
कैसे मनाएं मकर संक्रांति?
- मकर संक्रांति पर सूर्योदय से पूर्व उठकर पवित्र नदियों में स्नान करें.
- भोजन, वस्त्र, अन्न, कंबल, मूंगदाल-चावल की खिचड़ी और गुड़-तिल का दान करें.
- भोजन में नए अन्न की खिचड़ी बनायें.
- भोजन भगवान को समर्पित करके प्रसाद रूप से ग्रहण करें.
- गायों को चारा खिलाएं.
- सूर्य से लाभ पाने के लिए क्या करें?
- लाल फूल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें.
- सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें.
- मंत्र होगा - "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः".
- लाल वस्त्र, ताम्बे के बर्तन तथा गेंहू का दान करें.
- संध्या काल में अन्न का सेवन न करें.
- मकर संक्रांति पर तिल का कैसे प्रयोग करें?
- सूर्य देव को तिल के दाने डालकर जल अर्पित करें.
- स्टील या लोहे के पात्र में तिल भरकर अपने सामने रखें.
- फिर "ॐ शं शनैश्चराय नमः" मंत्र का जाप करें.
- किसी गरीब व्यक्ति को बर्तन समेत तिल का दान कर दें
- इससे शनि से जुड़ी हर पीड़ा से मुक्ति मिलेगी.