पटना: बिहार की अर्थव्यवस्था (Economy of Bihar) कृषि आधारित है. हाल के कुछ वर्षों में अनाज उत्पादन (Bihar Crop Production) में जबरदस्त इजाफा हुआ है. बिहार में उत्पादन बढ़ने के बावजूद भंडारण क्षमता (Crop Storage Capacity) में वृद्धि नहीं हुई है, जिसके चलते किसानों को भारी नुकसान हो रहा है.
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बिहार के किसान फसलों का रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन तो करते हैं, लेकिन उन्हें उचित कीमत नहीं मिल पाती है. भंडारण के अभाव में या तो किसानों को कम कीमत पर अनाज बेचना पड़ता है या फिर बड़े पैमाने पर अनाज की बर्बादी होती है. बिहार में 52 लाख हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि है. राज्य में हर साल 151 लाख टन अनाज का उत्पादन होता है. पर विडंबना यह है कि सिर्फ 12 लाख टन भंडारन की क्षमता ही प्रदेश में है. कुछ गोदाम निर्माणाधीन हैं. सच्चाई तो यह है कि अगर यह बनकर पूरी तरह से कार्य भी करने लगे तो भी भंडारन क्षमता 15 लाख टन तक ही होगी. वैसे बता दें कि बिहार खरीफ और रबी फसलों के उत्पादन के मामले में देश में दूसरे स्थान पर है.
बिहार सरकार ने 2021-22 तक अनाज भंडारण क्षमता बढ़ाकर 20 लाख मीट्रिक टन करने का लक्ष्य रखा था. हर जिले में गोदाम बनाए जाने की योजना थी. 80% गोदामों का निर्माण ग्रामीण इलाकों में कराया जाना था. जन वितरण प्रणाली के तहत बिहार को 25 लाख मीट्रिक टन गेहूं की जरूरत होती है, लेकिन सरकार 4 लाख मीट्रिक टन गेहूं ही खरीद पाती है. पिछले साल 35 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद हुई थी.
"भंडारण के अभाव में किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है. अनाज बिचौलियों के हाथों कम कीमत में बेचना पड़ता है. घर में रखने पर अनाज काफी मात्रा में बर्बाद हो जाता है. अगर भंडारण क्षमता होती तो किसानों को उचित कीमत मिलती."- महारुद्र झा, किसान
"सरकार दावे तो लंबे-चौड़े करती है, लेकिन किसानों के हितों को लेकर गंभीर नहीं है. लंबे समय से गोदाम बनाने की वकालत हो रही है, लेकिन योजना अब तक धरातल पर नहीं उतर सकी है."- एजाज अहमद, प्रवक्ता, राजद
"हम भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए प्रयासरत हैं. गोदाम निर्माण हो इसके लिए कोशिश जारी है. जब तक निर्माण कार्य नहीं हो जाता तब तक के लिए हम गोदाम किराये पर लेने की योजना बना रहे हैं. हम व्यवस्था से बिचौलियों को समाप्त करना चाहते हैं."- सुभाष सिंह, सहकारिता मंत्री
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