पटना: केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ कड़ाके की ठंड में भी दिल्ली की सीमा पर किसान आंदोलन कर रहे हैं. इसे तेज करने और समर्थन देने के लिए पूरे देश के किसान और विभिन्न राजनीतिक दल अपने-अपने तरीके से अभियान चला रहे हैं. इसी क्रम में बिहार राज्य किसान सभा ने पटना में किसान संसद लगाया और आगामी रणनीति बनाई. ऑल इंडिया किसान सभा के राष्ट्रीय महासचिव अतुल कुमार अंजान ने किसान आंदोलन को तेज करने की रणनीति ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताई.
पूरे देश में फैल गया है किसान आंदोलन
अतुल कुमार अंजान ने कहा "किसान संसद में तीनों कृषि विरोधी काले कानूनों के खिलाफ अस्वीकार प्रस्ताव पारित किया गया है. दिल्ली में चल रहा किसान आंदोलन पूरे देश में फैल गया है. किसान, नौजवान, महिलाएं सभी किसानों के समर्थन में सड़कों पर उतर गए हैं. जितने किसान दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे हैं उससे अधिक विभिन्न राज्यों में सड़कों पर हैं. हमारी सरकार से चार मांग है. तीनों कृषि विरोधी काले कानून को रद्द करें. किसानों की सभी तरह की फसल सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदे और न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू करें. स्वामीनाथन कमीशन की अनुशंसाओं को लागू करें. किसानों के सहकारी और सरकारी कर्जे माफ करें."
अतुल ने कहा "किसानों ने इस बार तय कर लिया है कि चाहे कुछ भी हो जाए पीछे नहीं हटेंगे. मोदी सरकार किसानों पर वाटर कैनन चलवाए या फिर लाठी-डंडे या गोली. किसान सभी का सामना करने के लिए तैयार हैं. दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन में सिर्फ पंजाब और हरियाणा ही नहीं बल्कि देश के हर कोने के किसान शामिल हैं. सरकार अपना भ्रम दूर करे."
नए-नए हथकंडे अपना रही सरकार
किसान आंदोलन का मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने के सवाल पर अतुल ने कहा "किसान आंदोलन में सुप्रीम कोर्ट बेवजह बीच में कूद रही है. हमने जब कोई आवेदन ही नहीं दिया, कोई हलफनामा ही दायर नहीं किया तो वे लोग कैसे कह रहे हैं कि कई आवेदन मिले हैं. मोदी सरकार अब किसान आंदोलन को देखकर घबरा रही है. इसलिए नए-नए हथकंडे अपना रही है."
अतुल ने कहा "बंगाल में करीब 20 साल तक कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार रही, लेकिन एक गलती के कारण सब कुछ खोना पड़ा. हमसे बहुत बड़ी गलती हुई थी. इसके लिए पहली बार पूरे देश से मैंने माफी भी मांगी थी. आज जो माहौल है देश में वह कोई छोटी गलती नहीं है. सरकार बहुत बड़ी गलती कर रही है. आने वाले समय में इसका खामियाजा भी सरकार को भुगतना पड़ेगा."
"किसान संसद में फैसला लिया गया कि 21 जनवरी से चंपारण से जन जागरण अभियान की शुरुआत की जाएगी. छात्र और युवा लोगों को जागरूक करेंगे और दिल्ली की ओर प्रस्थान करेंगे. जिस तरीके से पटना में किसान संसद का आयोजन किया गया उसी तरीके से बुद्धिजीवी और किसानों के साथ मिलकर हर जिले में किसान संसद का आयोजन किया जाएगा. किसान आंदोलन को मजबूती प्रदान की जाएगी और पूरे देश में आंदोलन तेज किया जाएगा. जरूरत पड़ी तो बिहार से दिल्ली तक मार्च किया जाएगा."- अतुल कुमार अंजान, राष्ट्रीय महासचिव, ऑल इंडिया किसान सभा