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कोरोना से परिवार नियोजन सर्जरी प्रभावित, स्वास्थ्य विभाग के पास भी नहीं है इस साल के आंकड़े

साल 1952 में विश्व में भारत पहला ऐसा देश बना था, जिसने राष्ट्रीय परिवार नियोजन के नाम से राज्य प्रायोजित परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू किए थे. यह कार्यक्रम प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में नियमित रूप से होता है. लेकिन इस साल कोरोना के कारण परिवार नियोजन सर्जरी ना के बराबर हुई. विभाग के पास अभी इसका आंकड़ा भी नहीं है.

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Published : Dec 17, 2020, 2:18 PM IST

परिवार नियोजन
परिवार नियोजन

पटनाः साल 2020 में कोरोना के कारण स्वास्थ्य सेवाओं पर काफी गंभीर असर पड़ा है और इसका नतीजा यह हुआ है कि इस बार राज्य स्वास्थ्य समिति और जिला स्वास्थ समिति के पास साल के परिवार नियोजन से जुड़े सर्जरी के आंकड़े वर्तमान में उपलब्ध नहीं हैं.

कोरोना पर किया गया मुख्य रूप से फोकस
साल 2020 कोरोना के साए में रहा. ऐसे में लोग कोरोना से भयभीत होने के कारण इस प्रकार की सर्जरी कराने से बचते नजर आए और बीच के समय में जब कुछ महीनों के लिए स्ट्रिक्ट लॉकडाउन लागू था तब राज्य के अस्पतालों में इस प्रकार की सर्जरीयां ना के बराबर हुई.

सरकारी अस्पताल में मुख्य रूप से फोकस कोरोना पर किया गया और छोटी मोटी सर्जरी के लिए जो लोग भी अस्पताल पहुंचे उन्हें आगे स्थिति सामान्य होने के बाद आने को कह वापस लौटा दिया गया. ऐसे में स्थिति यह हुई कि परिवार नियोजन से जुड़ी सर्जरी इस साल काफी घट गई.

जिलों के आंकड़े भी स्वास्थ्य समिति के पास नहीं
जिला स्वास्थ्य समिति के पास अब तक इस बात का आंकड़ा नहीं है कि इस साल परिवार नियोजन के कितने सर्जरियां हुईं हैं. जिला स्वास्थ्य समिति की तरफ से जानकारी दी गई कि अभी सभी कर्मी कोरोना से जुड़े हुए कार्य में व्यस्त हैं. इस वजह से वो अभी परिवार नियोजन की सर्जरी से जुड़े हुए डेटा का कलेक्शन नहीं कर पाए हैं.

यही स्थिति राज्य स्वास्थ्य समिति की रही और वहां से यह जानकारी मिली कि कुछ एक जिलों से परिवार नियोजन से जुड़ी हुई सर्जरी के आंकड़े राज्य स्वास्थ्य समिति को मिले हैं और अधिकांश जिलों के आंकड़े अब तक राज्य स्वास्थ्य समिति को प्राप्त नहीं हो पाए हैं.

जानकारी देते संवाददाता

स्वास्थ्यकर्मी कोरोना से जुड़े डेटा संकलन में व्यस्त
राज्य स्वास्थ्य समिति से भी यह बताया गया कि स्वास्थ्यकर्मी कोरोना से जुड़े हुए कार्य और उनके डेटा संकलन में अत्यंत व्यस्त हैं और बिना छुट्टी के लगातार काम कर रहे हैं. बावजूद इसके अभी उनके पास कोरोना छोड़ दूसरे मामलो का डेटा कलेक्ट करने का समय नहीं है.

जिला स्वास्थ्य समिति और राज्य स्वास्थ्य समिति दोनों की ओर से यही जानकारी दी गई कि कोरोना की स्थिति नियंत्रित होती है, तब जाकर इस प्रकार के कार्यक्रमों जैसे कि परिवार नियोजन से जुड़े हुई सर्जरी और अन्य कार्यक्रमों के लिए स्वास्थ्य कर्मी काम करेंगे.

कोरोना मरीजों की ड्यूटी पर लगे हैं स्वास्थ्यकर्मी
बता दें कि साल 1952 में विश्व में भारत पहला ऐसा देश बना था, जिसने राष्ट्रीय परिवार नियोजन के नाम से राज्य प्रायोजित परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू किए थे. यह कार्यक्रम प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में नियमित रूप से होता है. परिवार नियोजन की सर्जरी अमूमन छोटी सर्जरी मानी जाती है.

प्रदेश में स्वास्थ्य कर्मियों की काफी कमी है और अधिकांश स्वास्थ्यकर्मी संविदा पर कोरोना काल में बहाल हैं. फिर भी स्वास्थ्य कर्मियों की काफी कमी प्रदेश में है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के पास जनहित में चल रहे कई मेडिसिनल प्रोग्राम के आंकड़े इस साल उपलब्ध नहीं हो पाए हैं. परिवार नियोजन की सर्जरी से जुड़े मामले पर पीएमसीएच से भी कोई आंकड़ा नहीं मिल पाया और ना ही कोई बोलने के लिए तैयार था. जिला सिविल सर्जन ने कहा कि उनके पास इसका कोई आंकड़ा नहीं है और कुछ कहने से भी इंकार किया.

पटनाः साल 2020 में कोरोना के कारण स्वास्थ्य सेवाओं पर काफी गंभीर असर पड़ा है और इसका नतीजा यह हुआ है कि इस बार राज्य स्वास्थ्य समिति और जिला स्वास्थ समिति के पास साल के परिवार नियोजन से जुड़े सर्जरी के आंकड़े वर्तमान में उपलब्ध नहीं हैं.

कोरोना पर किया गया मुख्य रूप से फोकस
साल 2020 कोरोना के साए में रहा. ऐसे में लोग कोरोना से भयभीत होने के कारण इस प्रकार की सर्जरी कराने से बचते नजर आए और बीच के समय में जब कुछ महीनों के लिए स्ट्रिक्ट लॉकडाउन लागू था तब राज्य के अस्पतालों में इस प्रकार की सर्जरीयां ना के बराबर हुई.

सरकारी अस्पताल में मुख्य रूप से फोकस कोरोना पर किया गया और छोटी मोटी सर्जरी के लिए जो लोग भी अस्पताल पहुंचे उन्हें आगे स्थिति सामान्य होने के बाद आने को कह वापस लौटा दिया गया. ऐसे में स्थिति यह हुई कि परिवार नियोजन से जुड़ी सर्जरी इस साल काफी घट गई.

जिलों के आंकड़े भी स्वास्थ्य समिति के पास नहीं
जिला स्वास्थ्य समिति के पास अब तक इस बात का आंकड़ा नहीं है कि इस साल परिवार नियोजन के कितने सर्जरियां हुईं हैं. जिला स्वास्थ्य समिति की तरफ से जानकारी दी गई कि अभी सभी कर्मी कोरोना से जुड़े हुए कार्य में व्यस्त हैं. इस वजह से वो अभी परिवार नियोजन की सर्जरी से जुड़े हुए डेटा का कलेक्शन नहीं कर पाए हैं.

यही स्थिति राज्य स्वास्थ्य समिति की रही और वहां से यह जानकारी मिली कि कुछ एक जिलों से परिवार नियोजन से जुड़ी हुई सर्जरी के आंकड़े राज्य स्वास्थ्य समिति को मिले हैं और अधिकांश जिलों के आंकड़े अब तक राज्य स्वास्थ्य समिति को प्राप्त नहीं हो पाए हैं.

जानकारी देते संवाददाता

स्वास्थ्यकर्मी कोरोना से जुड़े डेटा संकलन में व्यस्त
राज्य स्वास्थ्य समिति से भी यह बताया गया कि स्वास्थ्यकर्मी कोरोना से जुड़े हुए कार्य और उनके डेटा संकलन में अत्यंत व्यस्त हैं और बिना छुट्टी के लगातार काम कर रहे हैं. बावजूद इसके अभी उनके पास कोरोना छोड़ दूसरे मामलो का डेटा कलेक्ट करने का समय नहीं है.

जिला स्वास्थ्य समिति और राज्य स्वास्थ्य समिति दोनों की ओर से यही जानकारी दी गई कि कोरोना की स्थिति नियंत्रित होती है, तब जाकर इस प्रकार के कार्यक्रमों जैसे कि परिवार नियोजन से जुड़े हुई सर्जरी और अन्य कार्यक्रमों के लिए स्वास्थ्य कर्मी काम करेंगे.

कोरोना मरीजों की ड्यूटी पर लगे हैं स्वास्थ्यकर्मी
बता दें कि साल 1952 में विश्व में भारत पहला ऐसा देश बना था, जिसने राष्ट्रीय परिवार नियोजन के नाम से राज्य प्रायोजित परिवार नियोजन कार्यक्रम शुरू किए थे. यह कार्यक्रम प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में नियमित रूप से होता है. परिवार नियोजन की सर्जरी अमूमन छोटी सर्जरी मानी जाती है.

प्रदेश में स्वास्थ्य कर्मियों की काफी कमी है और अधिकांश स्वास्थ्यकर्मी संविदा पर कोरोना काल में बहाल हैं. फिर भी स्वास्थ्य कर्मियों की काफी कमी प्रदेश में है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग के पास जनहित में चल रहे कई मेडिसिनल प्रोग्राम के आंकड़े इस साल उपलब्ध नहीं हो पाए हैं. परिवार नियोजन की सर्जरी से जुड़े मामले पर पीएमसीएच से भी कोई आंकड़ा नहीं मिल पाया और ना ही कोई बोलने के लिए तैयार था. जिला सिविल सर्जन ने कहा कि उनके पास इसका कोई आंकड़ा नहीं है और कुछ कहने से भी इंकार किया.

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