पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में मनमाने तरीके से खर्च करने का फर्जीवाड़ा का मामला सामने आया है. यह मामला तब तूल पकड़ा जब लोकसभा चुनाव की तुलना में कई गुना ज्यादा राशि का बिल एजेंसियों ने दे दिया. हालांकि इस मामले की जांच जिलाधिकारी पटना के आदेश के बाद शुरू कर दी गई है. शुरुआती जांच में यह पता चला है कि अर्धसैनिक बल के जवान जिस जगह पर ठहरे भी नहीं थे. वहां भी टेंट और पंडाल लगाने के नाम का बिल एजेंसियों ने दिए हैं.
ये भी पढ़ें..मुजफ्फरपुरः पूछताछ करने पर पुलिस पर चाकू से हमला, महिला थानेदार सहित 4 पुलिसकर्मी घायल
10 दोपहिया वाहनों के नंबर पर 4 पहिया वाहन का बिल
बिहार विधानसभा चुनाव में फर्जीवाड़ा देखने को मिला, जब एजेंसियों के द्वारा 10 दोपहिया वाहनों का नंबर बस का बताकर बील दे दिया गया. दरअसल, चुनाव के लिए अधिकृत किए गए वाहनों के तेल में खर्च का खेल ऐसा हुआ कि ऑडिट करने आई टीम ने यह पाया कि जिन बसों के नंबर एजेंसी के द्वारा दिए गए हैं और जितने तेल की खपत एजेंसियों के द्वारा बताई गई है, वह सभी गाड़ी नंबर बाइक्स के हैं और इन्हीं दो पहिया वाहनों के जरिए एजेंसी ने सैकड़ों लीटर डीजल की खपत का बिल भी बना दिया.
ये भी पढ़ें..बिहार में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 2.61 लाख के पार, अब तक 1524 लोगों की मौत
चुनाव के खर्च में हुआ फर्जीवाड़ा
दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पटना जिले में 7346 मतदान केंद्र बनाए गए थे और इसके लिए और सैनिक बलों की 215 कंपनियां आई थी. इन्हें ठहरने के लिए 400 जगह चिन्हित किए गए थे और इन्हीं सब के खर्च के लिए एजेंसियों ने 42 करोड़ का बिल दे दिया था और इस पूरे बिल का सत्यापन करने वाली टीम ने बाद में सत्यापन कर इसे घटाकर 31 करोड़ 40 लाख रुपये कर दिया था और इस सत्यापित बिल पर भी उस समय के तत्कालीन जिलाधिकारी कुमार रवि ने संदेह जताया था.
2014 के लोकसभा चुनाव में फर्जीवाड़ा
पटना जिले में 7 और सैनिक बलों की कंपनियां आई थी और सैनिक बलों के जवान पर उस समय दो करोड़ 30 लाख रुपये खर्च आया था. जबकि 2020 में कुल 215 कंपनियों पर खर्च का आकलन एजेंसियों ने 42 करोड़ रुपये दिखाया है. अगर हम बात पटना जिले की करें तो बिहार विधानसभा चुनाव के समय और सैनिक बलों को ठहरने के लिए जिन जगहों पर टेंट पंडाल लगाने के लिए खर्च का ब्यौरा इन एजेंसियों के द्वारा दिया गया, वह उसकी मूल कीमत से भी ज्यादा है.
क्या कहते हैं अधिकारी
अधिकारियों का कहना है कि जिन स्थानों पर टेंट और पंडाल लगाने के खर्च का विवरण एजेंसियों के द्वारा दिया गया. यदि उन स्थलों के लिए सरकार या प्रशासन के द्वारा टेंट पंडाल की खरीद भी की जाती तो लगभग 1 करोड़ रुपये की राशि से ज्यादा का बिल नहीं आता.
गड़बड़ी उजागर होने पर होगी कार्रवाई
वहीं, पटना जिला अधिकारी चंद्रशेखर सिंह ने जानकारी दी है कि इस बिल को देखते ही उन्हें आशंका हो गई और इसलिए भुगतान से पहले ही इस पूरे बिल का भौतिक सत्यापन कराने का निर्देश जारी किया गया. अगर एजेंसी द्वारा दिए गए बिल में गड़बड़ी उजागर होती है तो संबंधित लोगों पर विभाग मुकम्मल कार्रवाई करेगा.