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Eye Flu Cases: बिहार में तेजी से पांव पसार रहा कंजंक्टिवाइटिस, डॉक्टर से जानिए इससे बचाव के टिप्स..

बिहार में आई फ्लू के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. आई फ्लू जिसे मेडिकल भाषा में कंजंक्टिवाइटिस कहा जाता है. उसके मामले इन दिनों काफी तेजी से बढ़ रहे हैं. डॉक्टर से जानिए कैसे करें बीमारी का इलाज. आगे पढ़ें पूरी खबर...

बिहार में आई फ्लू के मामले
बिहार में आई फ्लू के मामले
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Published : Jul 31, 2023, 3:09 PM IST

बिहार में आई फ्लू के मामले

पटना: बिहार में इन दिनों तेजी से आई फ्लू वापस आ रहा है. राजधानी पटना की बात करें तो यहां अस्पतालों में कंजंक्टिवाइटिस की संख्या बढ़ी हुई है और प्रतिदिन ओपीडी में लगभग 15 से 20 फीसदी मरीज आई फ्लू की शिकायत को लेकर पहुंच रहे हैं. गार्डिनर रोड अस्पताल में प्रतिदिन 60 से 80 की संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं. वहीं आईजीआईएमएस में भी आई फ्लू की शिकायत को लेकर पहुंचने वाले मरीजों की संख्या 100 से अधिक रह रही है.

पढ़ें-Cervical Problem in Youth: मोबाइल के अत्यधिक इस्तेमाल से युवाओं में बढ़ी सर्वाइकल की समस्या, जानें डॉक्टर की सलाह

हॉट एंड ह्यूमिड कंडीशन ने बढ़ाई मुश्किल: नेत्र रोग के अस्पतालों में भी कंजंक्टिवाइटिस के मरीजों की संख्या बढ़ी हुई है. ऐसे में जिस प्रकार आई फ्लू के मामले बढ़े हुए हैं उसको देखते हुए पटना की नेत्र रोग विशेषज्ञ व दृष्टिकुंज नेत्रालय की डायरेक्टर डॉ निम्मी रानी ने वीडियो के माध्यम से जागरूकता संदेश जारी किया है. डॉक्टर ने बताया है कि इन दिनों पूरे भारत में और बिहार में भी आई फ्लू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. हॉट एंड ह्यूमिड कंडीशन में आई फ्लू के मामले बढ़ते हैं और मानसून के समय अभी के समय जो गर्मी के साथ-साथ उमस का माहौल बना हुआ है यह आई फ्लू के फैलने के लिए काफी अनुकूल है.

क्या हैं इसके लक्षण: आई फ्लू यानी कि कंजंक्टिवाइटिस में आंखों में लालिमा छा जाना, आंखों में खुजली होना, जलन होना, आंखों का चिपचिपा होना प्रमुख लक्षण है. आई फ्लू के समय शरीर में दर्द और हल्की बुखार भी होती है. यह एक नॉर्मल बिमारी है और इसका इलाज भी सिंप्टोमेटिक मेडिसिन है. आई फ्लू से संक्रमित होने के बाद कुछ समय अवधि के बाद अपने आप यह ठीक हो जाता है लेकिन यह बहुत ही संक्रामक बीमारी होती है.

"आई फ्लू का ट्रीटमेंट संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करता है. यदि हल्का लक्षण है तो नॉर्मल आई ड्रॉप और आई लुब्रिकेंट के इस्तेमाल से ठीक हो जाता है, लेकिन यदि इंफेक्शन अधिक बढ़ गया है और पुतली पर इसका इंफेक्शन दिखने लगा है, जिस वजह से रोशनी प्रभावित हो रही है तो हल्के पावर का स्टेरॉयड ड्रॉप भी डालने की आवश्यकता पड़ जाती है."-डॉ निम्मी रानी, नेत्र रोग विशेषज्ञ

कैसे करें बचाव?: डॉक्टर ने बताया कि कभी भी स्टेरॉयड वाले आई ड्रॉप बिना चिकित्सीय परामर्श के खुद से नहीं डालें. जो आंखों की इन्फेक्शन हटाने वाले जनरल आई ड्रॉप है उनका उपयोग किया जा सकता है. यह बहुत ही संक्रामक बीमारी है इसलिए यदि किसी को लक्षण महसूस होता है तो खुद को आइसोलेट कर ले और इस दौरान घर पर आंखों की बर्फ से सिकाई करें और जनरल इन्फेक्शन हटाने वाले आई ड्रॉप का इस्तेमाल करें.

कैसे फैलता है संक्रमण: नेत्र रोग विशेषज्ञ ने बताया कि आई फ्लू के बारे में एक गलत अवधारणा है कf आंखों में देखने से यह बीमारी फैलती है. उन्होंने बताया कि यह बहुत ही संक्रामक बीमारी है इसलिए यदि कोई संक्रमित व्यक्ति है उसे अपने हाथों की सफाई रखना बेहद जरूरी है. हाथों से यदि वह आपको छूता है और फिर उसी हाथ से किसी तोलिया को छूता है और उस तोलिया या कपड़ा को दूसरे व्यक्ति छूते हैं तो वह भी संक्रमित हो सकते हैं.

बर्फ से करें आंखों की सिकाई: आई फ्लू के समय में आंखों से चिपचिपा पदार्थ और पानी का स्राव होता है. इसे पोछने के साथ-साथ जरूरी है कि जिस कपड़े से पोछते हैं उसे कोई दूसरा इस्तेमाल ना करें. हमेशा आंखों को साफ कपड़े से पोंछें. आई फ्लू के समय में धूप में ना घूमें और आंखों पर बर्फ से सिकाई करते हुए आंखों को ठंडक प्रदान करें. 1 से 2 दिन की समय अवधि के बाद धीरे-धीरे अपने आप फ्लू का लक्षण कमजोर पर जाता है.

बच्चों को लेकर बरतें सावधानी: बच्चों में यदि आई फ्लू होता है तो अभिभावक अधिक सावधानी बरतें क्योंकि आंखों में जलन होने पर बच्चे आंखों को हाथों से नोचने लगते हैं, जो घातक हो सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि यदि आंख लाल नजर आ रहा है तो जरूरी नहीं कि वह आई फ्लू ही है. अन्य बीमारी भी हो सकता है, ऐसे में चिकित्सक से परामर्श के बाद ही दवाओं का प्रयोग बेहतर है.

बिहार में आई फ्लू के मामले

पटना: बिहार में इन दिनों तेजी से आई फ्लू वापस आ रहा है. राजधानी पटना की बात करें तो यहां अस्पतालों में कंजंक्टिवाइटिस की संख्या बढ़ी हुई है और प्रतिदिन ओपीडी में लगभग 15 से 20 फीसदी मरीज आई फ्लू की शिकायत को लेकर पहुंच रहे हैं. गार्डिनर रोड अस्पताल में प्रतिदिन 60 से 80 की संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं. वहीं आईजीआईएमएस में भी आई फ्लू की शिकायत को लेकर पहुंचने वाले मरीजों की संख्या 100 से अधिक रह रही है.

पढ़ें-Cervical Problem in Youth: मोबाइल के अत्यधिक इस्तेमाल से युवाओं में बढ़ी सर्वाइकल की समस्या, जानें डॉक्टर की सलाह

हॉट एंड ह्यूमिड कंडीशन ने बढ़ाई मुश्किल: नेत्र रोग के अस्पतालों में भी कंजंक्टिवाइटिस के मरीजों की संख्या बढ़ी हुई है. ऐसे में जिस प्रकार आई फ्लू के मामले बढ़े हुए हैं उसको देखते हुए पटना की नेत्र रोग विशेषज्ञ व दृष्टिकुंज नेत्रालय की डायरेक्टर डॉ निम्मी रानी ने वीडियो के माध्यम से जागरूकता संदेश जारी किया है. डॉक्टर ने बताया है कि इन दिनों पूरे भारत में और बिहार में भी आई फ्लू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. हॉट एंड ह्यूमिड कंडीशन में आई फ्लू के मामले बढ़ते हैं और मानसून के समय अभी के समय जो गर्मी के साथ-साथ उमस का माहौल बना हुआ है यह आई फ्लू के फैलने के लिए काफी अनुकूल है.

क्या हैं इसके लक्षण: आई फ्लू यानी कि कंजंक्टिवाइटिस में आंखों में लालिमा छा जाना, आंखों में खुजली होना, जलन होना, आंखों का चिपचिपा होना प्रमुख लक्षण है. आई फ्लू के समय शरीर में दर्द और हल्की बुखार भी होती है. यह एक नॉर्मल बिमारी है और इसका इलाज भी सिंप्टोमेटिक मेडिसिन है. आई फ्लू से संक्रमित होने के बाद कुछ समय अवधि के बाद अपने आप यह ठीक हो जाता है लेकिन यह बहुत ही संक्रामक बीमारी होती है.

"आई फ्लू का ट्रीटमेंट संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर करता है. यदि हल्का लक्षण है तो नॉर्मल आई ड्रॉप और आई लुब्रिकेंट के इस्तेमाल से ठीक हो जाता है, लेकिन यदि इंफेक्शन अधिक बढ़ गया है और पुतली पर इसका इंफेक्शन दिखने लगा है, जिस वजह से रोशनी प्रभावित हो रही है तो हल्के पावर का स्टेरॉयड ड्रॉप भी डालने की आवश्यकता पड़ जाती है."-डॉ निम्मी रानी, नेत्र रोग विशेषज्ञ

कैसे करें बचाव?: डॉक्टर ने बताया कि कभी भी स्टेरॉयड वाले आई ड्रॉप बिना चिकित्सीय परामर्श के खुद से नहीं डालें. जो आंखों की इन्फेक्शन हटाने वाले जनरल आई ड्रॉप है उनका उपयोग किया जा सकता है. यह बहुत ही संक्रामक बीमारी है इसलिए यदि किसी को लक्षण महसूस होता है तो खुद को आइसोलेट कर ले और इस दौरान घर पर आंखों की बर्फ से सिकाई करें और जनरल इन्फेक्शन हटाने वाले आई ड्रॉप का इस्तेमाल करें.

कैसे फैलता है संक्रमण: नेत्र रोग विशेषज्ञ ने बताया कि आई फ्लू के बारे में एक गलत अवधारणा है कf आंखों में देखने से यह बीमारी फैलती है. उन्होंने बताया कि यह बहुत ही संक्रामक बीमारी है इसलिए यदि कोई संक्रमित व्यक्ति है उसे अपने हाथों की सफाई रखना बेहद जरूरी है. हाथों से यदि वह आपको छूता है और फिर उसी हाथ से किसी तोलिया को छूता है और उस तोलिया या कपड़ा को दूसरे व्यक्ति छूते हैं तो वह भी संक्रमित हो सकते हैं.

बर्फ से करें आंखों की सिकाई: आई फ्लू के समय में आंखों से चिपचिपा पदार्थ और पानी का स्राव होता है. इसे पोछने के साथ-साथ जरूरी है कि जिस कपड़े से पोछते हैं उसे कोई दूसरा इस्तेमाल ना करें. हमेशा आंखों को साफ कपड़े से पोंछें. आई फ्लू के समय में धूप में ना घूमें और आंखों पर बर्फ से सिकाई करते हुए आंखों को ठंडक प्रदान करें. 1 से 2 दिन की समय अवधि के बाद धीरे-धीरे अपने आप फ्लू का लक्षण कमजोर पर जाता है.

बच्चों को लेकर बरतें सावधानी: बच्चों में यदि आई फ्लू होता है तो अभिभावक अधिक सावधानी बरतें क्योंकि आंखों में जलन होने पर बच्चे आंखों को हाथों से नोचने लगते हैं, जो घातक हो सकता है. उन्होंने यह भी कहा कि यदि आंख लाल नजर आ रहा है तो जरूरी नहीं कि वह आई फ्लू ही है. अन्य बीमारी भी हो सकता है, ऐसे में चिकित्सक से परामर्श के बाद ही दवाओं का प्रयोग बेहतर है.

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