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गया और भागलपुर में जल्द होगी आई बैंक की शुरुआत - सुशील मोदी

सुशील मोदी ने कहा कि पटना से इसकी शुरुआत हुई थी. लेकिन अब गया और भागलपुर में भी लोग नेत्रदान करने आ सकेंगे. इसके लिए गया और भागलपुर में जल्द ही आई बैंक की शुरुआत हो जाएगी.

eye bank will start in Gaya
गया में आई बैंक की शुरुआत
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Published : Feb 9, 2020, 5:19 PM IST

पटना: राजधानी के पीएमसीएच और आईजीएमएस के बाद अब गया और भागलपुर के मेडिकल कॉलेज में जल्द आई बैंक की शुरुआत होगी. दधीचि देहदान समिति ने रविवार को प्रथम वार्षिकोत्सव आयोजित किया. यह कार्यक्रम उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के आवास पर आयोजित हुआ. कार्यक्रम के दौरान सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राज्य में नेत्र और देहदान के लिए जागरुकता फैलाई जा रही है.

जल्द होगी आई बैंक की शुरुआत- सुमो
सुशील मोदी ने कहा कि पटना से इसकी शुरुआत हुई थी. लेकिन अब गया और भागलपुर में भी लोग नेत्रदान करने आ सकेंगे. इसके लिए गया और भागलपुर में जल्द ही आई बैंक की शुरुआत हो जाएगी. उन्होंने कहा कि लोगों को जीवित रहते रक्तदान और मृत्यु के बाद नेत्र और देह दान करना चाहिए.

देखें पूरी रिपोर्ट

अब तक हो चुके 442 आई ट्रांसप्लांट
कार्यक्रम के दौरान दधीचि देहदान समिति के मुख्य संरक्षक के तौर पर सुशील कुमार मोदी मौजूद रहे. इस दौरान नेत्र रोग से जुड़े कई विशेषज्ञ और डॉक्टर ने अपनी-अपनी राय व्यक्त की. बता दें बिहार में अब तक 442 आई ट्रांसप्लांट हुए हैं और 488 लोगों ने नेत्रदान किया है.


क्या है दधीचि के देह दान की कथा
प्राचीन काल में परम तपस्वी महर्षि दधीचि थे. जो बाल ब्रह्मचारी के साथ-साथ वेद शास्त्रों के ज्ञाता, परोपकारी और बहुत दयालु भी थे. उनके जीवन में अहंकार की कोई जगह नहीं थी. वो सदा दूसरों के हित के लिए तत्पर रहा करते थे. एक बार लोक हित के लिए वे कठोर तपस्या कर रहे थे. जिससे इंद्र घबरा गए और कामदेव के साथ-साथ एक अप्सरा को भी उनकी तपस्या को भंग करने के लिए भेजा. लेकिन महर्षि दधीचि की तपस्या भंग नहीं हो सकी. जिसके बाद इंद्र खुद अपनी सेना के साथ उनकी हत्या करने जा पहुंचे. लेकिन उसमें भी उन्हें सफलता नहीं मिली.

कुछ समय बाद वृत्रासुर नामक एक दानव ने देवलोक पर कब्जा कर लिया. जिसकी मृत्यु सिर्फ महर्षि दधीचि के अस्थियों से बने अस्त्र से ही संभव था. तीनों लोक के हित के लिए महर्षि दधीचि ने अपना देह दान कर दिया और उनकी अस्थियों से इंद्र ने वज्र बनाकर वृत्रासुर का वध किया. उसी समय से ही समाज और प्रकृति की रक्षा के लिए दे दान की परंपरा की शुरुआत हुई.

पटना: राजधानी के पीएमसीएच और आईजीएमएस के बाद अब गया और भागलपुर के मेडिकल कॉलेज में जल्द आई बैंक की शुरुआत होगी. दधीचि देहदान समिति ने रविवार को प्रथम वार्षिकोत्सव आयोजित किया. यह कार्यक्रम उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के आवास पर आयोजित हुआ. कार्यक्रम के दौरान सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राज्य में नेत्र और देहदान के लिए जागरुकता फैलाई जा रही है.

जल्द होगी आई बैंक की शुरुआत- सुमो
सुशील मोदी ने कहा कि पटना से इसकी शुरुआत हुई थी. लेकिन अब गया और भागलपुर में भी लोग नेत्रदान करने आ सकेंगे. इसके लिए गया और भागलपुर में जल्द ही आई बैंक की शुरुआत हो जाएगी. उन्होंने कहा कि लोगों को जीवित रहते रक्तदान और मृत्यु के बाद नेत्र और देह दान करना चाहिए.

देखें पूरी रिपोर्ट

अब तक हो चुके 442 आई ट्रांसप्लांट
कार्यक्रम के दौरान दधीचि देहदान समिति के मुख्य संरक्षक के तौर पर सुशील कुमार मोदी मौजूद रहे. इस दौरान नेत्र रोग से जुड़े कई विशेषज्ञ और डॉक्टर ने अपनी-अपनी राय व्यक्त की. बता दें बिहार में अब तक 442 आई ट्रांसप्लांट हुए हैं और 488 लोगों ने नेत्रदान किया है.


क्या है दधीचि के देह दान की कथा
प्राचीन काल में परम तपस्वी महर्षि दधीचि थे. जो बाल ब्रह्मचारी के साथ-साथ वेद शास्त्रों के ज्ञाता, परोपकारी और बहुत दयालु भी थे. उनके जीवन में अहंकार की कोई जगह नहीं थी. वो सदा दूसरों के हित के लिए तत्पर रहा करते थे. एक बार लोक हित के लिए वे कठोर तपस्या कर रहे थे. जिससे इंद्र घबरा गए और कामदेव के साथ-साथ एक अप्सरा को भी उनकी तपस्या को भंग करने के लिए भेजा. लेकिन महर्षि दधीचि की तपस्या भंग नहीं हो सकी. जिसके बाद इंद्र खुद अपनी सेना के साथ उनकी हत्या करने जा पहुंचे. लेकिन उसमें भी उन्हें सफलता नहीं मिली.

कुछ समय बाद वृत्रासुर नामक एक दानव ने देवलोक पर कब्जा कर लिया. जिसकी मृत्यु सिर्फ महर्षि दधीचि के अस्थियों से बने अस्त्र से ही संभव था. तीनों लोक के हित के लिए महर्षि दधीचि ने अपना देह दान कर दिया और उनकी अस्थियों से इंद्र ने वज्र बनाकर वृत्रासुर का वध किया. उसी समय से ही समाज और प्रकृति की रक्षा के लिए दे दान की परंपरा की शुरुआत हुई.

Intro:सब हेड...
राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज में बनेंगे आई बैंक। पटना के पी एन सी एच आर आई जी एम एस के बाद अब गया और भागलपुर के मेडिकल कॉलेज में सी आई बैंक की जल्द होगी शुरुआत।

दधीचि देहदान समिति ने आज प्रथम वार्षिकोत्सव आयोजित किया। अकाश क्रम उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी के आवास पर आयोजित हुआ। कार्यक्रम के दौरान सुशील कुमार मोदी ने कहा कि राज्य में नेत्र और देहदान के लिए जागरुकता फैलाई जा रही है।


Body:मोदी ने कहा कि पटना से इसकी शुरुआत हुई थी लेकिन अब गया और भागलपुर में भी लोग अपना नेत्रदान कर आ सकेंगे। इसके लिए गया और भागलपुर में जल्द ही आई बैंक की शुरुआत हो जाएगी। मोदी ने कहा कि लोगों को जीवित रहते हैं रक्तदान और मृत्यु के बाद नेत्र और दे दान करना चाहिए।
कार्यक्रम के दौरान जरी जरी चीज दे दान समिति के मुख्य संरक्षक के तौर पर सुशील कुमार मोदी मौजूद थे। इस दौरान नेत्र रोगों से जुड़े कई विशेषज्ञ और डॉक्टर भी अपने-अपने राय व्यक्त किए।
बिहार में अब तक 442 आई ट्रांसप्लांट हुए हैं। 488 लोगों ने नेत्रदान किया है।


Conclusion:क्या है दधीचि के देह दान की कथा..
प्राचीन काल में परम तपस्वी महर्षि दधीचि थे। जो बाल ब्रह्मचारी के साथ-साथ वेद शास्त्रों के ज्ञाता, परोपकारी और बहुत दयालु भी थे। उनके जीवन में अहंकार की कोई जगह नहीं थी। सदा दूसरों के हित के लिए तत्पर रहा करते थे।
एक बार लोक हित के लिए वे कठोर तपस्या कर रहे थे। जिससे इंद्र घबरा गए और कामदेव के साथ-साथ एक अप्सरा को भी उनके तपस्या को भंग करने के लिए भेजा। लेकिन महर्षि दधीचि का तपस्या भंग नहीं हो सका। जिसके बाद ही निर्देश खुद अपनी सेना के साथ उनकी हत्या करने जा पहुंचे लेकिन उसमें भी उन्हें सफलता नहीं मिली। बहुत समय बाद उड़ता सुर नामक एक दानव ने देवलोक पर कब्जा कर लिया। जिसकी मृत्यु सिर्फ महर्षि दधीचि के अस्थियों से बने अस्त्र से ही संभव था।
तीनो लोग के हित के लिए महर्षि दधीचि ने अपना देह दान कर दिया और उनकी अस्थियों से इंद्र ने वज्र बनाकर अमृता सुर का वध किया। इसी वक्त से ही समाज और प्रकृति की रक्षा के लिए दे दान की परंपरा की शुरुआत हुई।
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