पटना: देश सहित बिहार अभी कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ ही रहा है. तबतक एक और नया संक्रमण सामने आया गया है. जी हां ये संक्रमण है 'ब्लैक फंगस'. बिहार में इसके कई मामले सामने आ रहे हैं. यह चिंता का विषय है. बिहार में करीब 20 मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है.
बिहार में ब्लैक फंगस के मामलों की गौर करें तो पटना एम्स में 7, रुबन हॉस्पिटल में दो, पारस हॉस्पिटल में दो आईजीआईएमएस में चार, वेल्लोर इएंटी सेंटर में तीन और कैमूर के एक अस्पताल में एक मरीज मिले हैं, जबकि प्रदेश के अन्य अस्पतालों से भी ब्लैक फंगस के मामलों की सूचना मिल रही है.
पटना एम्स के उपाधीक्षक डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि ब्लैक फंगस एक फंगल बीमारी है और यह तभी होती है जब मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर हो जाती है. ब्लैक फंगस शरीर में नाक, मुंह और कटे फटे हिस्से के माध्यम से ही प्रवेश करते हैं. इसके प्रमुख शुरुआती लक्षण नाक से पानी आना और खून निकलना, नाक में काला पपड़ी जमना और आंख में सूजन होना और रोशनी कम होना है.
क्या हैं लक्षण
इस बीमारी के और भी कई लक्षण हो सकते हैं. नाक के अंदर रुकावट, आंखों और गाल का फूलना, नाक के अंदर दिक्कत जैसे कुछ अटक रहा हो, इसके लक्षणों में एक हैं. डॉक्टर्स कहते हैं कि ये संकेत दिखने के तुरंत बाद बायोप्सी कराई जाती है और एंटी-फंगल उपचार शुरू कर दिया जाता है. देश के कई राज्यों में भी इस फंगस की समस्या देखी जा रही है.
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'अगर किसी को ब्लैक फंगस का लक्षण महसूस होता है तो तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें और टेलीमेडिसिन के बजाय डॉक्टर से मिले. डॉक्टर सबसे पहले इंडोस्कोपिक करने की सलाह देंगे, जिसमें नाक के काले फंगस का पता लगाया जाता है. फिर जहां संक्रमण ज्यादा है. वहां सर्जरी के माध्यम से उसे हटाया जाता है. अगर ब्लैक फंगस लास्ट स्टेज में पता चलता है तो मरीज की मौत होने की संभावना ज्यादा है:- डॉ. अनिल कुमार, उपाधीक्षक, पटना एम्स
खतरनाक है ब्लैक फंगस!
इस बीमारी से मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर भी असर देखने को मिलता है. इसके कारण आंखों की रोशनी भी चली जाती है. वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी तक गल जाती है. अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो तो मरीज की मौत हो जाती है.
'तेजी से फैलता है 'ब्लैक फंगस'
भारतीय चिकित्सा विज्ञान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक, 'ब्लैक फंगस' एक विशेष तरह का फंगस है. यह फंगस शरीर में बहुत तेजी से फैलता है. यह इंफेक्शन उन लोगों में देखने को मिल रहा है जो कि कोरोना संक्रमित होने से पहले किसी दूसरी बीमारी से ग्रस्त है. इसके अलावा यह उन्हीं लोगों में देखने को मिल रहा है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है.