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Patna News : पटना के मैनपुरा देवी स्थान के कुएं का मिटता जा रहा वजूद, बना कूड़ेदान - ईटीवी भारत न्यूज

शहर ही बात को छोड़िए और गांव में भी ढूंढने पर कुआं देखने को नहीं मिल रहा है. आलम यह है कि शादी विवाद के मौके पर मांगलिक कार्य के लिए लोगों को काफी जतन करना पड़ता है. हम बात कर रहे हैं पटना शहर के मैनपुरा देवी स्थान स्थित शिव मंदिर के पास काफी पुराना कुआं है. कुआं का उपयोग पूजा करने से लेकर पीने के लिए किया जाता था. लेकिन अब आलम यह कि कुएं की सफाई नहीं कराई जाती है .अब कुआं गंदगी और बदबू का प्रयाय बन चुका है. यह सिर्फ कूड़ादान बनकर रह गया है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Mar 12, 2023, 9:44 PM IST

Updated : Mar 12, 2023, 9:55 PM IST

पटना: राजधानी पटना के पाटलिपुत्र कॉलोनी के पास स्थित ऐतिहासिक (Well of historical Mainpura Devi place) मैनपुरा देवी स्थान का कुआं काफी पुराना है. इस कुएं का इस्तेमाल पूजा और पीने के पानी के लिए किया जाता है. लेकिन अब ये कुआं लापरवाही और देखरेख के अभाव में कूडे़दान के साथ-साथ बदबू और गंदगी का पर्याय बन चुका है. लोग इस कुएं में अपने घरों का कूड़ा फेंकते हैं. तीन दशक पहले इन कुओं की साफ सफाई और देखरेख भी होती थी लेकिन अब ये मृतप्राय हो चुके हैं.

ये भी पढ़ें- पटना: युवा कर रहें मैनपुरा देवी स्थान का जिर्णोद्धार..

कुएं के अस्तित्व पर खतरे का बादल: शहर की बात तो दूर गांव में भी लोग अब नल के जल पर आश्रित होने लगे हैं. शहर के कुछ कुओं में जल का स्तर काफी अच्छा है, लेकिन जागरूकता के अभाव के चलते वे भी कूड़ेदान बनकर रह गए हैं. मैनपुरा देवी स्थान के ग्रामीण वीरेंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि इसी देवी स्थान के कुएं के पानी से हम लोग मंदिर में पूजा-पाठ करते थे, परंतु अब घर से पानी लाने की मजबूरी है. इसके जीर्णोद्धार पर किसी का ध्यान नहीं. अब इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है.

जनप्रतिनिधियों ने नहीं दिया ध्यान: शहर के दर्जनों कुआं मृतप्राय हैं, इनके पुनरुद्धार के प्रति कोई अलर्ट नहीं है. न तो जनप्रतिनिधि सजग हैं न ही अधिकारी. सरकार द्वारा जनप्रतिनिधियों के माध्यम से जनहित में कई लाभकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. फिर भी उस राशि का उपयोग करने के लिए किसी की रुचि नहीं दिख रही. यही कारण है कि मैनपुरा देवी स्थान का कुएं का अस्तित्व भी खत्म हो चुका है.

कुएं के पानी से होती थी पूजा: मैनपुरा देवी स्थान के कुएं का महत्व इतना था कि छठ पूजा के वक्त व्रत के दौरान इसी कुएं के पानी से व्रती अपना प्रसाद बनातीं थीं. इसकी वजह ये है कि कुएं के प्रति हमारी संस्कृति बहुत ही सजग हुआ करती थी. लेकिन अब जैसे-जैसे लोग चापाकल और नल से जल पीने लगे हैं उनमें जागरूकता की कमी दिखने लगी है. लोगों में जल संजय की दिशा में सोचना ही छोड़ दिया है. यही कारण है कि सरकार और उनके नुमांइदे भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं.

पटना: राजधानी पटना के पाटलिपुत्र कॉलोनी के पास स्थित ऐतिहासिक (Well of historical Mainpura Devi place) मैनपुरा देवी स्थान का कुआं काफी पुराना है. इस कुएं का इस्तेमाल पूजा और पीने के पानी के लिए किया जाता है. लेकिन अब ये कुआं लापरवाही और देखरेख के अभाव में कूडे़दान के साथ-साथ बदबू और गंदगी का पर्याय बन चुका है. लोग इस कुएं में अपने घरों का कूड़ा फेंकते हैं. तीन दशक पहले इन कुओं की साफ सफाई और देखरेख भी होती थी लेकिन अब ये मृतप्राय हो चुके हैं.

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कुएं के अस्तित्व पर खतरे का बादल: शहर की बात तो दूर गांव में भी लोग अब नल के जल पर आश्रित होने लगे हैं. शहर के कुछ कुओं में जल का स्तर काफी अच्छा है, लेकिन जागरूकता के अभाव के चलते वे भी कूड़ेदान बनकर रह गए हैं. मैनपुरा देवी स्थान के ग्रामीण वीरेंद्र कुमार सिंह बताते हैं कि इसी देवी स्थान के कुएं के पानी से हम लोग मंदिर में पूजा-पाठ करते थे, परंतु अब घर से पानी लाने की मजबूरी है. इसके जीर्णोद्धार पर किसी का ध्यान नहीं. अब इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है.

जनप्रतिनिधियों ने नहीं दिया ध्यान: शहर के दर्जनों कुआं मृतप्राय हैं, इनके पुनरुद्धार के प्रति कोई अलर्ट नहीं है. न तो जनप्रतिनिधि सजग हैं न ही अधिकारी. सरकार द्वारा जनप्रतिनिधियों के माध्यम से जनहित में कई लाभकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं. फिर भी उस राशि का उपयोग करने के लिए किसी की रुचि नहीं दिख रही. यही कारण है कि मैनपुरा देवी स्थान का कुएं का अस्तित्व भी खत्म हो चुका है.

कुएं के पानी से होती थी पूजा: मैनपुरा देवी स्थान के कुएं का महत्व इतना था कि छठ पूजा के वक्त व्रत के दौरान इसी कुएं के पानी से व्रती अपना प्रसाद बनातीं थीं. इसकी वजह ये है कि कुएं के प्रति हमारी संस्कृति बहुत ही सजग हुआ करती थी. लेकिन अब जैसे-जैसे लोग चापाकल और नल से जल पीने लगे हैं उनमें जागरूकता की कमी दिखने लगी है. लोगों में जल संजय की दिशा में सोचना ही छोड़ दिया है. यही कारण है कि सरकार और उनके नुमांइदे भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं.

Last Updated : Mar 12, 2023, 9:55 PM IST
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