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पटना: मॉनसून में बदलाव के चलते बिहार में मचा हाहाकार, पारा 10 साल के उच्चतम शिखर पर

ईटीवी भारत से खास बातचीत में स्वास्थ्य विभाग के पूर्व प्रधान सचिव व्यास जी ने कहा कि सरकार को इस बीमारी से लोगों को दूर निकालने के लिए बड़े पैमाने पर जागरुकता अभियान चलाना होगा.

व्यास जी
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Published : Jun 16, 2019, 3:23 PM IST

पटना: चमकी बीमारी के प्रकोप से पूरा मुजफ्फरपुर जूझ रहा है. जिले के लगभग हर घर में मातम का माहौल बना हुआ है. जानकारों की मानें तो इसका प्रमुख कारण बिहार में पड़ रही भीषण गर्मी है. इस सिलसिले में स्वास्थ्य विभाग के पूर्व प्रधान सचिव और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी व्यास जी से ईटीवी भारत के संवाददाता ने खास बातचीत की. इस बातचीत में व्यास जी ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में बिहार में मॉनसून समय से नहीं आया है. जिस कारण लगातार राज्य में गर्मी बढ़ती जा रही है.

2017-18 में भी हुई थी घटना
व्यास जी ने कहा कि 2017 -18 में मुजफ्फरपुर में ऐसी घटना में काफी कमी आई थी. इसके कारण शायद जागरुकता अभियान नहीं चलाया गया. लेकिन, इस बार बीमारी ने सबको हैरान कर दिया. अपने कार्यकाल को याद करते हुए व्यास जी बताते हैं कि 2012 में बड़े पैमाने पर मुजफ्फरपुर में इंसेफ्लाइटिस से सैकड़ों बच्चों की मौत हो गई थी. जिसके बाद बिहार सरकार ने इसकी जांच के लिए अटलांटा तक से विशेषज्ञों की टीम बुलाई थी. टीम की जांच रिपोर्ट में बताया गया कि इस बीमारी के कई कारण हैं.

व्यास जी, पूर्व प्रधान सचिव, स्वास्थ्य विभाग

डॉक्टर्स अलर्ट पर
स्वास्थ्य विभाग ने इसके बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सदर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज तक त्रिस्तरीय व्यवस्था सुनिश्चित की थी. खासकर गर्मी आने से पहले तमाम सरकारी डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को ट्रेनिंग दी जाती थी. वहीं, इस काम में आशा वर्कर और एएनएम को भी बड़े पैमाने पर जोड़ा जाता रहा था. लेकिन इस बार ऐसा कोई भी अभियान नहीं चलाया गया है.

लू से मरे लोगों पर जताई चिंता
वरिष्ठ आईएएस अधिकारी व्यास जी ने लू से मरे लोगों पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि लू से इस बार अप्रत्याशित मौते हुई हैं. पहले भी लू से मौत हुआ करती थी, लेकिन संख्या दहाई तक भी नहीं हुआ है. लू से होने वाले मौत का कारण प्रकृति के इस गर्मी से हुई है. वे कहते हैं कि इस बार बिहार में भीषण गर्मी पड़ रही है. जब तक मानसून नहीं आएगा तब तक इससे कोई निजात मिलना मुश्किल दिख रहा है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य विभाग और सरकारी तंत्र के प्रयासों पर भरोसा है. जल्द ही इस मामले से निपट लिया जाएगा.

पटना: चमकी बीमारी के प्रकोप से पूरा मुजफ्फरपुर जूझ रहा है. जिले के लगभग हर घर में मातम का माहौल बना हुआ है. जानकारों की मानें तो इसका प्रमुख कारण बिहार में पड़ रही भीषण गर्मी है. इस सिलसिले में स्वास्थ्य विभाग के पूर्व प्रधान सचिव और वरिष्ठ आईएएस अधिकारी व्यास जी से ईटीवी भारत के संवाददाता ने खास बातचीत की. इस बातचीत में व्यास जी ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में बिहार में मॉनसून समय से नहीं आया है. जिस कारण लगातार राज्य में गर्मी बढ़ती जा रही है.

2017-18 में भी हुई थी घटना
व्यास जी ने कहा कि 2017 -18 में मुजफ्फरपुर में ऐसी घटना में काफी कमी आई थी. इसके कारण शायद जागरुकता अभियान नहीं चलाया गया. लेकिन, इस बार बीमारी ने सबको हैरान कर दिया. अपने कार्यकाल को याद करते हुए व्यास जी बताते हैं कि 2012 में बड़े पैमाने पर मुजफ्फरपुर में इंसेफ्लाइटिस से सैकड़ों बच्चों की मौत हो गई थी. जिसके बाद बिहार सरकार ने इसकी जांच के लिए अटलांटा तक से विशेषज्ञों की टीम बुलाई थी. टीम की जांच रिपोर्ट में बताया गया कि इस बीमारी के कई कारण हैं.

व्यास जी, पूर्व प्रधान सचिव, स्वास्थ्य विभाग

डॉक्टर्स अलर्ट पर
स्वास्थ्य विभाग ने इसके बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सदर अस्पताल और मेडिकल कॉलेज तक त्रिस्तरीय व्यवस्था सुनिश्चित की थी. खासकर गर्मी आने से पहले तमाम सरकारी डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को ट्रेनिंग दी जाती थी. वहीं, इस काम में आशा वर्कर और एएनएम को भी बड़े पैमाने पर जोड़ा जाता रहा था. लेकिन इस बार ऐसा कोई भी अभियान नहीं चलाया गया है.

लू से मरे लोगों पर जताई चिंता
वरिष्ठ आईएएस अधिकारी व्यास जी ने लू से मरे लोगों पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि लू से इस बार अप्रत्याशित मौते हुई हैं. पहले भी लू से मौत हुआ करती थी, लेकिन संख्या दहाई तक भी नहीं हुआ है. लू से होने वाले मौत का कारण प्रकृति के इस गर्मी से हुई है. वे कहते हैं कि इस बार बिहार में भीषण गर्मी पड़ रही है. जब तक मानसून नहीं आएगा तब तक इससे कोई निजात मिलना मुश्किल दिख रहा है. हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि स्वास्थ्य विभाग और सरकारी तंत्र के प्रयासों पर भरोसा है. जल्द ही इस मामले से निपट लिया जाएगा.

Intro:ईक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के कारण मुजफ्फरपुर में 50 से अधिक मासूमों की जान जा चुकी है। सिलसिला यूं ही जारी रहा तो बहुत जल्दी आंकड़ा सैकड़ा पार कर चुका होगा। जानकार की मानें तो इसका प्रमुख कारण बिहार में पड़ रही भीषण गर्मी है। इस सिलसिले में स्वास्थ्य विभाग के पूर्व प्रधान सचिव व वरिष्ठ आईएएस अधिकारी व्यास जी से ईटीवी भारत के संवाददाता ने विस्तृत बातचीत की। व्यास जी ने ईटीवी भारत से कहा कि पिछले 10 वर्षों में बिहार में मानसून समय से नहीं आ रहा जिसके कारण लगातार राज में गर्मी बढ़ती जा रही है।


Body:उन्होंने बताया कि हालांकि 2017 - 18 में मुजफ्फरपुर में ऐसी घटना में काफी कमी आई थी। इसके कारण शायद जागरुकता अभियान नहीं चलाया गया ।
अपने कार्यकाल को याद करते हुए व्यास जी बताते हैं, कि 2012 में बड़े पैमाने पर मुजफ्फरपुर में इंसेफ्लाइटिस से सैकड़ों बच्चे मौत के आगोश में चले गए थे। जिसके बाद बिहार सरकार द्वारा इसकी जांच के लिए अटलांटा तक से विशेषज्ञों की टीम बुलाई गई थी । टीम द्वारा जांच रिपोर्ट में बताया गया था, कि यह बीमारी कई कारणों से हो रहा है । स्वास्थ्य विभाग ने इसके बाद प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सदरअस्पताल और मेडिकल कॉलेज तक त्रिस्तरीय व्यवस्था सुनिश्चित की थी। खासकर गर्मी आने से पहले तमाम सरकारी डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ को ट्रेनिंग दी जाती थी । इस काम में आशा वर्कर और एएनएम को भी बड़े पैमाने पर जोड़ा जाता रहा है।


Conclusion:वरिष्ठ आईएएस अधिकारी व्यास जी कहते हैं कि लू से इस बार अप्रत्याशित मौत हुई है। पहले भी लू से मौत हुआ करती थी लेकिन संख्या दहाई तक भी नहीं होती थी। लू से होने वाले मौत का कारण प्रकृति द्वारा कहर के रूप में गर्मी को बताया जा रहा है।
वे कहते हैं कि इस बार बिहार में भीषण गर्मी पड़ रही है और जब तक मानसून नहीं आएगा तब तक इससे कोई निजात मिलना मुश्किल दिख रहा है । हालांकि व्यास जी स्वास्थ्य विभाग और सरकारी तंत्र के प्रयासों पर भरोसा रखते हुए कहते हैं कि सभी विभाग समुचित व्यवस्था में लगे होंगे। से
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